नई दिल्ली: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भले ही विपक्षी एकता के नाम पर कांग्रेस, बसपा के साथ तालमेल की कोशिशों में हैं लेकिन बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सख्त रुख के चलते यह आसान नहीं दिखता. ऐसा इसलिए क्योंकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बसपा ने साफ कर दिया है कि वह या तो इन तीनों ही चुनावी राज्यों में कांग्रेस के साथ तालमेल करेगी, अन्यथा वह अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. इससे कांग्रेस के समक्ष मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.
दरअसल कांग्रेस राज्यवार ढंग से विभिन्न पार्टियों से तालमेल की संभावनाएं टटोल रही है. मसलन कि दलित वोटरों को रिझाने के लिए वह बीएसपी के साथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, यूपी जैसे राज्यों में तो तालमेल करना चाहती है लेकिन अन्य राज्यों में उसके साथ गठबंधन की इच्छुक नहीं है. इसी कड़ी में पिछले शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के कांग्रेस अध्यक्षों एवं प्रभारियों से मुलाकात हुई थी. उसमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के नेताओं ने तो बसपा के साथ तालमेल की पुरजोर वकालत की लेकिन राजस्थान यूनिट के नेताओं ने इसका विरोध किया.
उनका तर्क था कि राजस्थान में वसुंधरा राजे के खिलाफ जबर्दस्त सत्ता विरोधी लहर है. दूसरी बात कि राजस्थान में बसपा कुछ क्षेत्रों तक सीमित है. ऐसे में उसके साथ गठबंधन से कांग्रेस को दीर्घकालिक अवधि में नुकसान होगा. तीसरा परंपरागत रूप से हर पांच साल में राजस्थान में सत्ता कांग्रेस और बीजेपी के बीच बदलती रही हैं. इसलिए कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार राजस्थान में उसकी जीत तय है. इन परिस्थितियों को देखते हुए कांग्रेस की राजस्थान यूनिट वहां पर बसपा के साथ किसी तरह के तालमेल के मूड में नहीं है. लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं का मानना है कि वहां पर बसपा के साथ तालमेल से बीजेपी को कड़ी चुनौती दी जा सकती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अलग-अलग राज्यों में बसपा के साथ तालमेल के मुद्दे पर भिन्न राय उत्पन्न होने पर उस मीटिंग में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन तीन राज्यों के नेताओं से कहा है कि वे इस संदर्भ में अगले कुछ दिनों के भीतर ‘जमीनी ब्यौरा’ सौंपें. उन्होंने फिलहाल बसपा से तालमेल के मुद्दे पर अपनी कोई राय जाहिर नहीं की.
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं से कहा है कि जमीनी ब्यौरा हासिल करें, बसपा की क्या स्थिति है और सीटों के तालमेल में सही सूरत क्या होगी?” उसके बाद जमीनी हकीकत का आकलन करने के बाद ही पार्टी निर्णय करेगी