अलवर: शुक्रवार रात को गो-तस्करी के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर रकबर(अकबर) खान की हत्या के बाद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के बाद अलवर में रामपुर थाना क्षेत्र में घटित इस घटना के बाद पुलिस जब मौके पर पहुंची तो उसने बुरी तरह घायल रकबर को अस्पताल पहुंचाने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. उसको छह किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचएसी) तक पहुंचाने के लिए पुलिस को तीन घंटे लग गए. रिपोर्ट्स के मुताबिक रकबर की जान बचाने के बजाय पुलिस की प्राथमिकता उससे बरामद दो गायों को गोशाला पहुंचाने में रही. इस कारण पहले गायों को घटनास्थल से 10 किमी दूर गोशाला पहुंचाया गया. उसके एक घंटे बाद रकबर को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसको मृत घोषित कर दिया गया.
स्वास्थ केंद्र के ओपीडी रजिस्टर के मुताबिक रकबर खान को सुबह चार बजे अस्पताल पहुंचाया गया. जबकि एफआईआर के मुताबिक पुलिस को देर रात 12:41 मिनट पर हमले के बारे में एक ‘गो-रक्षक’ नवल किशोर शर्मा ने सूचना दी थी. रामगढ़ पुलिस का दावा कि उसके बाद पुलिस की एक टीम अगले 15-20 मिनट में घटनास्थल पर पहुंच गई थी. लेकिन पुलिस अब मीडिया के इन सवालों का जवाब नहीं दे पा रही है कि आखिर उसके बाद बुरी तरह घायल को अस्पताल सुबह चार बजे तक क्यों पहुंचाया गया? घटनास्थल से छह किमी दूर अस्पताल तक पहुंचने में पुलिस को तीन घंटे कैसे लग गए?
इस बीच इस मामले में रविवार को तीसरे शख्स की गिरफ्तारी की गई. उससे पहले शनिवार को दो लोगों को पकड़ा गया था. इसके साथ ही जांच की जिम्मेदारी अतिरिक्त एसपी रैंक के एक अधिकारी को सौंपी गई है. तीसरे आरोपी की गिरफ्तारी के बारे में रामगढ़ पुलिस थाना के प्रभारी सुभाष शर्मा ने बताया, ”नरेश सिंह को गिरफ्तार किया गया. वह लालावंडी गांव का रहने वाला है. पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है.”
इस घटना के संदर्भ में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने रविवार को कहा कि भारत में कई जगहों पर ‘मुस्लिमों की तुलना में गाय’ ज्यादा सुरक्षित है. शशि थरूर की यह टिप्पणी उनके ‘हिन्दू पाकिस्तान’ के बयान के बाद सामने आई है जिसकी उनके राजनीतिक विरोधियों ने आलोचना की थी. शशि थरूर ने ट्विटर पर लिखा, ”भाजपा के मंत्रियों का सांप्रदायिक हिंसा में कमी के बारे में दावा तथ्यों पर खरा क्यों नहीं उतरता. ऐसा प्रतीत होता है कि कई जगहों पर मुस्लिम की तुलना में गाय सुरक्षित है.”
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अर्जुन राम मेघवाल ने शनिवार को उस वक्त नया विवाद पैदा कर दिया, जब उन्होंने कहा कि अलवर लिंचिंग की घटना प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता से संबंधित है. उन्होंने कहा कि शुक्रवार रात गाय की तस्करी के संदेह में 28 वर्षीय युवक की पीट-पीट कर हत्या निंदनीय है, लेकिन 1984 का सिख दंगा भारत के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी मॉब लिंचिंग की घटना है.
अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “हम मॉब लिंचिंग की निंदा करते हैं, लेकिन यह केवल एक घटना नहीं है. आपको इसकी पड़ताल इतिहास में करनी होगी. यह क्यों होती है? इसे किसे रोकना चाहिए? 1984 में सिखों के साथ जो कुछ भी हुआ था, वह हमारे देश के इतिहास में मॉब लिंचिग की सबसे बड़ी घटना थी.
अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि पीएम मोदी की बढ़ती लोकप्रियता के बीच मॉब लिंचिंग की घटना बीजेपी सरकार को बदनाम करने के लिए होती है. मेघवाल ने कहा, “मोदी जी जितने लोकप्रिय होंगे, इस तरह की घटनाएं उतनी ही बढ़ती जाएंगी. बिहार चुनाव के समय ‘अवॉर्ड वापसी’ थी. उत्तर प्रदेश चुनाव के समय मॉब लिंचिंग थी. 2019 के चुनाव में कुछ और होगा. मोदी जी ने विकासपरक योजनाएं दी हैं और इसका असर अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है. इस तरह की घटनाएं उनकी लोकप्रियता पर प्रतिक्रिया हैं.” यह घटना इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय की ओर से केंद्र व राज्य सरकार को फटकार लगाने के चार दिनों के बाद हुई है. अदालत ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए संसद को कानून बनाने के लिए कहा था.