इलाहाबाद : अगले साल लगने जा रहे कुंभ मेले में पवित्र स्रान के लिए देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की आवभगत करने में निजी क्षेत्र की कंपनियां भी रुचि दिखा रही हैं और इन कंपनियों ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण से इस संबंध में संपर्क किया है। कुंभ मेलाधिकारी विजय किरण आनंद ने पीटीआई भाषा को बताया, “अभी तक 50-60 कंपनियों ने सीएसआर गतिविधियां के लिए हमसे पूछताछ की है। इनमें एचडीएफसी बैंक, ंिहदुस्तान लीवर, रेकिट बेंकाइजर आदि शामिल हैं। दिल्ली के मोती महल ग्रुप ने भी इस मेले में काम करने में रुचि दिखाई है।”
प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के एक-दो उपक्रमों ने भी सीएसआर गतिविधियों के लिए संपर्क किया है। हालांकि अभी तक सार्वजनिक क्षेत्र की ओर से कोई खास उत्साह देखने को नहीं मिला है। उल्लेखनीय है कि प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने विश्व के इस सबसे बड़े समागम में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में एक विज्ञापन प्रकाशित कर कचरा प्रबंधन एवं स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवाओं, महिलाओं के लिए सुविधा केंद्र, नगर खाद्य आपूर्ति, श्रद्धालुओं के लिए भोजन, दिव्यांगों के काम आने वाला साजो सामान, मेला क्षेत्र में अस्थाई बसेरे, वेंडरों को प्रशिक्षण आदि के लिए निजी क्षेत्र से आगे आने का आ’’ान किया था।
उन्होंने कहा कि मेला क्षेत्र में सीएसआर के तहत कार्य करने में कई स्थानीय मीडिया एवं मार्केंिटग कंपनियों ने भी रुचि दिखाई है। वहीं, एक गैर सरकारी संगठन ने एक कंपनी के गठबंधन में मेला क्षेत्र में स्वच्छता पर कार्य करने की इच्छा जताई है।
अधिकारी ने बताया कि अभी मेला शुरू होने में पांच महीने से ज्यादा का समय बाकी है और मेला प्राधिकरण को दिसंबर के अंत तक बड़ी संख्या में कंपनियों के सीएसआर के तहत कार्य करने के लिए आगे आने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि कंपनियां इस मेले में परोपकारी कार्य करके श्रद्धालुओं के मन में अपनी एक अमिट छाप छोड़ सकती हैं। साथ ही वे विदेशी सैलानियों के बीच भी अपनी बेहतर छवि पेश कर सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि अगले साल प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन वाराणसी में किया जा रहा है और वहां से प्रवासी भारतीयों को कुंभ मेला लाने की सरकार की योजना है। केंद्र और राज्य सरकार प्रयाग कुंभ को ऐतिहासिक बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं।
कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व :सीएसआर: दरअसल एक कोष होता है, जिसका इस्तेमाल विभिन्न बड़ी कंपनियां सामाजिक कार्यों में करती हैं। नियम के अनुसार, मुनाफा कमाने वाली कंपनियों को अपने तीन साल के सालाना औसत लाभ का करीब 2 फीसद हिस्सा सामाजिक जिम्मेदारी से जुड़े कार्यों में खर्च करना होता है।