भोपाल। मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला दिए जाने के मामले में राजनैतिक सरगर्मियां तेज हो चली है।पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते कैलाश जोशी, उमा भारती और बाबूलाल गौरको बंगला मिलने लेकिन दिग्विजय को ना मिलने पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। इस मामले में शनिवार को खुद दिग्विजय सिंह ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर स्टाफ के लिए कार्यालय स्थान देने की मांग की थी। वही मुख्य सचिव को लिखे पत्र पर अभी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। अब कांग्रेस इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली है।
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगले खाली कराने को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगले खाली करवाए जाने थे, उनमें से तीन कैलाश जोशी, उमा भारती और बाबूलाल गौर को वही बंगले नए सिरे से सशुल्क आवंटित कर दिए हैं। लेकिन दिग्विजय सिंह को कोई बंगला आवंटित नहीं किया गया है। इसको लेकर राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस सवाल उठा रही है कि जब तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों कैलाश जोशी, बाबूलाल गौर और उमा भारती को नए बंगले आवंटित किए गए हैं तो फिर दिग्विजय सिंह को क्यों नहीं। इस मामले में अब कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने कहा कि उत्तरप्रदेश में राजनाथ सिंह, अखिलेश यादव और मायावती ने बंगले खाली कर दिए हैं तो मध्यप्रदेश में इसका पालन क्यों नहीं किया जा रहा है। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रही है। एक ओर पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगला खाली करवाया और दोबारा उन्हें वही बंगला आवंटित कर दिया। इसे लेकर हम सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर करेंगे।
दिग्विजय ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र
इससे पहले शनिवार को इस मामले में खुद दिग्विजय सिंह ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर स्टाफ के लिए कार्यालय स्थान देने की मांग की थी। मुख्य सचिव को लिखे पत्र में दिग्विजय ने कहा पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से मुझे आवंटित किये गए आवास गृह बी-1 श्यामला हिल्स भोपाल का आवंटन मप्र शासन ने हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में 16 जुलाई को निरस्त कर दिया, जिसकी प्रति 19 जुलाई को उन्हें प्राप्त हुई है, उन्होंने पत्र में अगले एक माह में आवास रिक्त कर देने की बात कही है, साथ ही उन्होंने कहा उन्हें दिए गए स्टाफ को कार्य करने और कार्यालय का सञ्चालन करने के लिए उनके पास भोपाल में कोई अन्य निजी अथवा शासकीय आवासगृह का कार्यालय उपलब्ध नहीं है| ऐसी स्तिथि में कार्यालय का सञ्चालन किया जाना संभव नहीं है| दिग्विजय ने मांग की है कि उन्हें उनके स्टाफ के लिए जल्द एक कार्यालय उपलब्ध कराया जाए।
गौरतलब है कि मप्र हाईकोर्ट ने 20 जून को लॉ स्टूडेंट रौनक यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री से बंगला खाली कराने के सरकार को आदेश दिए थे। साथ ही कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियो के वेतन भत्तों को लेकर पिछले साल बनाए गए नियम को भी असंवैधानिक करार दिया। कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से एक महीने के अंदर बंगला खाली कराने के आदेश दिए थे, इसके बाद उमा भारती और कैलाश जोशी ने बंगला खाली करने की तैयारी भी कर ली थी ।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर गृह विभाग ने शुक्रवार देर शाम तीन पूर्व मुख्यमंत्री को आवास आवंटन आदेश जारी कर दिए।