प्रदेश में बीते कुछ सालों में लगाए गए अंत्योदय मेलों के नाम पर करीब दो हजार करोड़ रुपए का गड़बड़झाला सामने आ रहा है। यह राशि सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग ने जिलों को आवंटित की थी। दरअसल विभाग द्वारा राशि जारी कर जिला प्रशासन से विकास खण्ड, नगर निगम, नगर पालिकाओं स्तर पर अंत्योदय मेले लगाने को कहा था। इसके बाद इन मेलों का आयोजन किया गया, लेकिन अब तक उपयोगिता प्रमाण-पत्र ही नहीं दिया गया जिसकी वजह से इस राशि का उपयोग पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हाल ही में संपरीक्षा एवं लेखा विभाग ने जिलों को जारी अंत्योदय मेले की राशि का ऑडिट किया तो यह बात सामने आयी है। गौरतलब है कि सरकार ने मेले के लिए 3 लाख रुपए मान से राशि आवंटित की थी। वित्तीय वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में प्रदेश के जिलों को करोड़ों रुपए की राशि आवंटन में करीब 2 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है। संपरीक्षा लेखा विभाग ने पाया कि सामाजिक न्याय नि:शक्तजन विभाग के पास 1958 लाख राशि के उपयोगिता प्रमाण-पत्र नहीं आए हैं।
नियमों की अनदेखी
मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि शासन ने निर्देश दिया था कि जो राशि अंत्योदय मेले के लिए दी जा रही है, वह मेले के आयोजन से पहले खातों से न निकाली जाए। मेला आयोजन के समय ही राशि का आहरण किया जाए, लेकिन नगर निगम, नगर पालिका व विकास खण्ड स्तर पर निर्देश का पालन नहीं किया गया है। मेला आयोजन करने वाली समितियों को मेले में लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों को वितरित की गई राशि की जानकारी निर्धारित प्रपत्र में भरकर एक सप्ताह के अंदर दस्तावेजों के साथ कार्यक्रमों की सीडी बनाकर सामाजिक न्याय नि:शक्तजन विभाग को देने के लिए कहा गया था, लेकिन न तो हितग्राहियों की जानकारी दी गई और न ही खर्च की राशि का हिसाब दिया गया।
यह था आयोजन का उद्देश्य
जिला व विकास खण्ड स्तर पर अंत्योदय मेले का आयोजन करने के पीछे सरकार की मंशा थी कि पात्र हितग्राहियों को प्रमाण-पत्र वितरित करने के साथ, शासन की अन्य योजनाओं के पात्र हितग्राहियों को भी सुविधा का लाभ देना था। इसमें कर्मकार मंडल के हितग्राहियों, पट्टे के पात्र हितग्राहियों एवं अन्य योजना के पात्र हितग्राही शामिल हैं।
इनका कहना है
अंत्योदय मेले की राशि कलेक्टरों को आयोजन के हिसाब से आवंटित की जाती है। अंत्योदय मेलों के नाम पर जारी की गई राशि की जांच कराई जाएगी और इसमें जो भी अधिकारी दोषी पाया जाएगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गोपाल भार्गव, मंत्री सामाजिक न्याय, नि:शक्तजन विभाग