नई दिल्ली: सरकारी दफ्तरों में सिटिजन चार्टर लागू करने और हर सरकारी दफ्तर में शिकायतों के निपटारे के लिए अधिकारी नियुक्त करने के साथ-साथ शिकायत निवारण आयोग गठित करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि आप अपनी मांग सरकार के सामने रखें, कोर्ट संसद को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकता. दरअसल, ये जनहित याचिका भारतीय मतदाता संगठन ने दायर की थी.
याचिका में कहा गया था कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से भारत का करप्शन पर्सेप्शन इंडेक्स 2015 में 8वां स्थान है. ये इसलिए है कि केंद्र सरकार ने लोकपाल और कई राज्य सरकारों ने लोकायुक्तों की नियुक्ति नहीं की है. याचिका में कहा गया था कि सेवाओं के समयबद्ध निपटारे का अधिकार संविधान की धारा 21 के अनुरूप नहीं दिया गया है. याचिका में सुब्रमण्यम स्वामी बनाम मनमोहन सिंह के केस में सुप्रीम कोर्ट के अवलोकन का उल्लेख किया गया था. उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भ्रष्टाचार संवैधानिक सरकार के लिए खतरा है और वह लोकतंत्र की जड़ों को हिला देता है.
आपको बता दें कि याचिका में ये भी कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट का ये कर्तव्य है कि भ्रष्टाचार निरोधी कानून की व्याख्या करे और उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में एक हथियार बनाए.याचिका में कहा गया था कि कई मंत्रालय सिटिजन चार्टर को ये कहकर लागू नहीं करते कि वे सार्वजनिक संगठन नहीं हैं.याचिका में कहा गया है कि ब्रिटेन, मलेशिया, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में सिटिजन चार्टर लागू किया गया है.