नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में किस्मत आमजाने उतरने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों को जेब ज्यादा ढीली करनी होगी। निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2014 के बाद विस चुनाव की खर्च सीमा 28 लाख कर दी है। अब चाय-नाश्ते से लेकर सामान की मानक दरों में वृद्धि हो सकती है। खर्च सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। पिछले चुनावों तक 2 से 5 रुपए की मानक दर वाली चाय, कॉफी की दर 8 रुपए तक हो सकती है जबकि 5 रुपए का समोसा 10 रुपए का हो सकता है। इसी तरह नाश्ते की कीमत भी 20 से 25 रुपए तक जा सकती है। समर्थकों का खाना 50 से 80 रुपए का हो सकता है। जल्द ही निर्वाचन खर्च की सीमा तय कर दी जाएगी। गुजरात और कर्नाटक में हुए चुनाव के लिए आयोग ने इन्हीं दरों पर खर्च की सीमा घोषित की थी। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनाव के लिए यहां की परिस्थितियों और महंगाई की दरों के अनुसार चुनावी खर्च तय करने का काम निर्वाचन आयोग ने प्रारंभ कर दिया है। आचार संहिता लगने के साथ ही इसे घोषित कर दिया जाएगा।
इसके बाद प्रत्याशियों के खर्च में इन्हीं दरों के अनुसार निर्वाचन व्यय शामिल किए जाएंगे। पांच सालों में बढ़ी हुई महंगाई की दरों को देखते हुए इस बार गाडिय़ों के किराए से लेकर मंच, पंडाल और चुनाव कार्यालय में लगने वाले पंखे, एसी से लेकर गद्दे-तकिए तक सभी सामान की मानक दरों में वृद्धि की बात कहीं जा रही है।
यह हो सकती है संभावित दर
हालिया चुनावों के लिए निर्वाचन आयोग ने दो स्तर पर खाने की कीमत तय की है। मप्र में भी इसी आधार पर खाने की दरें तय की जा सकती हैं। आयोग ने 25 रुपए के लंच बाक्स में 6 पूड़ी, एक सूखी सब्जी और अचार तय किया है जबकि 60 से 80 रुपए की थाली में रोटी, छोले, सूखी सब्जी, चावल, दाल, सलाद, अचार और एक मीठा को शामिल किया है। वाहन खर्चे में पिछली दरों में वृद्धि करते हुए एक दिन के जीप किराए को 13 सौ से 15 सौ तक कर दिया है।
ज्यादा खर्च किया तो गिरेगी गाज
प्रत्याशियों के खर्च की निगरानी के लिए निर्वाचन आयोग ने टीम बनाई है। यह टीम चुनाव प्रचार से लेकर कार्यालय और दौरे तक हर काम की निगरानी करेगी। इनकी मदद के लिए प्रत्याशी के कार्यालय व निवास पर कैमरे भी लगाए जाएंगे। अधिक खर्च करने और कम का ब्यौरा आयोग में देने पर प्रत्याशियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है इसलिए आयोग पहले ही सभी मदों के लिए मानक दरें तय कर देता है।