पत्रकार आशीष तिवारी को पुलिस नही करेगी गिरिप्तर ,
पत्रकार के ऊपर दर्ज फर्जी एस्ट्रो सिटी एक्ट के प्रकरण में हाईकोर्ट ने लगाई गिरिप्तरी पर रोक
जवालपुर /सीधी
दिनाँक 2,09,2011 को थाना अजाक सीधी में एस्ट्रो सिटी एक्ट के तहत पट्टे कब्जे की जमीन में अवेधनिक तौर से कब्ज करने गली गलौज एव्म जाती सूचक सब्दो से अपमानित करने का आरोप एक कनकटी निवासी महिला ने अशीष तिवारी पत्रकार के ऊपर लिखित आवेदन देकर लगाई थी एक माह बाद बिना जांच के अजाक थाना प्रभारी उपनिरीक्षक सरोज शर्मा ने दिनाँक 5/10/2018 को धारा 294,352,447,506 ipcएव्म एस्ट्रो सिटी एक्ट की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर दिये जबकी जिस महिला ने अशीष तिवारी पत्रकार के ऊपर यह आरोप लगाए थे वह महिला अद्दतन फरियादी थी पूर्ब में भी गांव के लोगो के ऊपर फर्जी आरोप लगा कर झूठी शिकायत कर चुकी थी एक दो के ऊपर प्रकरण भी दर्ज हुआ सरकार द्वारा मिली राशि की लालच के कारण जमीन के नाम पर अक्सर शिकायत करती रहती है जबकि कोर्ट ने आरोपी को निर्दोष मानते हुए दोष मुक्त भी किया है । जिस दिन व समय महिला ने आवेदन देकर अशीष तिवारी पत्रकार के ऊपर आरोप लगाया था उस दिनाँक एव्म समय मे आशीष तिवारी कनकटी गांव में थे ही नही तो विवाद का कोई औचित्त ही नही होता लेकिन दोष पूर्ण कार्यवाही करते हुए थाना प्रभारी अजाक ने बिना जांच के ही प्रकरण दर्ज कर दिया फर्जी तरीके से मामला दर्ज होते ही जिले से लेकर भोपाल तक के पत्रकारों ने सामूहिक ज्ञापन सौप कर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुऐ पूरे मामले में खत्म लगाने की मांग का ज्ञापन जिला कलेक्टर पुलिस अधीक्षक से लेकर डी जी पी भोपाल तक ज्ञापन सौप डीजी पी ऋषिकुमार शुक्ला ने फर्जी तरीके से दर्ज किये गये एस्ट्रो सिटी एक्ट के प्रकरण में निष्पक्ष जाँच एव्म जाँच उपरांत निर्दोष पायेजाने पर पूरे मामले में खात्म लगाने हेतु एडीजी अजाक को पत्र लिखते हुये आशीष तिवारी के ऊपर फर्जी प्रकरण दर्ज करने वाले अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने का भी पत्रकारों को भरोसा दिलाया पूरे मामले की जाँच चल ही रही थी कि अशीष तिवारी पत्रकार ने अपने ऊपर दर्ज फर्जी fir को निरस्त कराने गिरिप्तरी पर रोक लगाने धारा 482 के तहत हाईकोर्ट में अधिववक्त सीतल तिवारी के माध्यम से याचिका दायर की अशीष तिवारी पत्रकार के पास बो सब साक्ष्य उपलब्ध थे जिसमें अशीष तिवारी निर्दोष साबित हो सकते है अशीष तिवारी की याचिका में अधिववक्त सीतल तिवारी ने पैरवी करते हुऐ पूरे रिकार्ड हाईकोर्ट के समझ प्रस्तुत किये जिससे अशीष तिवारी के ऊपर लगे आरोप को कोर्ट ने गम्भीरत से लेते हुए माना की जिस जमीन को बल पुरबक कब्जा करने का पुलिस ने अशीष तिवारी के ऊपर fir दर्ज किया था अश्लीयत में बो पिछले 20 वर्षो से जमीन शासकीय है बर्तमान में 10 वर्ष से जल संधान बिभाग के माइनर नहर हेतु खसरा नम्बर 585,586 पूर्ब से अधिग्रहित है उस जमीन में किसी प्रकार का किसी ब्यक्त विशेष का कब्जा हो ही नही सकता आता पटवारी तहशील दार द्वारा जाँच प्रतिवेदन में इस बात का उल्लेख भी किया गया झूठी शिकायत का पूरा प्रकरण ही बनावटी बनाया गया था जमीन से सम्बंधित सुरु किया गया था पत्रकार के निष्पक्ष पत्रकारिता में बाधा उत्पन्न करने का अशफल प्रयास किया गया हाईकोर्ट ने अशीष तिवारी के खिलाफ दर्ज एस सी एसटी एक्ट के प्रकरण में गिरिप्तरी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी कानून में सी आर पी सी की क्रिमिनल एक्ट की धारा 482 crpc की एक अएसी धारा है जिसमें हाईकोर्ट को अपनाविशेषधिकार उपयोग करने का पूरा अधिकार दिया गया है हाईकोर्ट सी आर पी सी की धारा 482 के तहत किसी भी निर्दोष के ऊपर हुई fir को ही अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुऐ निरस्त कर सकती है हाईकोर्ट का बिषेधकर है सी आर पी सी की धारा 482 का प्रयोग करते हुए तत्काल गिरिप्तरी पर रोक लगा सकती है यह crpc की धारा 482 हर भारतीय का सुरक्षा कबच है यह अधिकार केवल हाईकोर्ट के पास है जिसे हाईकोर्ट निर्दोष लोगो के ऊपर हुई fir ही निरस्त कर सकती है लेकिन इसके लिए पर्याप्त साक्ष्य की आवश्कता होती है जिसे हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कराना पड़ता है और जब हाईकोर्ट यह मान ले कि यह कार्यवाही दोष पूर्ण है निर्दोष के ऊपर फर्जी शिकायत एव्म पुलिस द्वारा द्रेश पूर्ण अपराध कायम किया गया है तो कोर्ट गिरिप्तरी पर रोक लगाकर fir ही निरस्त कर सकती है सरकार द्वारा पेश किये गये संशोधन विधयक 2018 में इस धारा का नही हुआ कही उल्लेख इस लिए आज भी यह crpi की धारा 482 है प्रभाव