नामांकन पत्र वापस लेने का समय समाप्त होने के बाद अब प्रदेश की 26 सीटें ऐसी हैं जहां बागी चुनौती बने हुए हैं। इनमें सबसे अधिक चुनौती भाजपा के सामने है। भाजपा के रणनीतिकार तमाम प्रयासों के बाद भी अपने दल से बागी हुए नेताओं को मनाने में सफल नहीं हो पाए हैं। इन सीटों की खासियत यह है कि यहां काफी करीबी मुकाबला अब तक होता रहा है, जिसकी वजह से हार जीत का फैसला भी 2 फीसदी वोट के अंतर से होता रहा है। संगठन की तरफ से डैमेज कंट्रोल की कवायद के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल को खुद इस मामले को संभालने के
लिए मैदान मे उतरना पड़ा है। यही नहीं अंतिम समय तक प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बागियों को मनाने के लिए फोन लगाते रहे। खास बात तो यह है कि पथरिया-दमोह से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री डा. रामकृष्ण कुसमारिया को मनाने के लिए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा दमोह गए, लेकिन उनसे कुसमारिया ने मिलने से मना कर दिया। यही नहीं टिकट वितरण के बाद से हुए विद्रोह को खत्म करने के लिए भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा पूरी ताकत लगा देने के बाद भी बागी नेता मैदान से हटने को तैयार नहीं हुए । इसी तरह से श्री झा ने छतरपुर के जिला महामंत्री व नगर परिषद के अध्यक्ष अनंत सिंह और उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार अजय यादव को भी मनाने का असफल प्रयास किया। करीबी मुकाबले वाली सीटों में शामिल सेंधवा,राजपुर, पानसेमल और बड़वानी में भले ही बागी चुनाव मैदान में नहीं हैं, लेकिन टिकट वितरण से उपजे असंतोष के चलते भितरघात होने की पूरी -पूरी आशंका के चलते पार्टी द्वारा डैमेज कंट्रोल की कवायद की जा रही है।
बुंदेला-सिसोदिया को बनाया जिलाध्यक्ष
पार्टी से बगावत करने वाले पूर्व सांसद जितेंद्र सिंह बुंदेला और गरोठ से विधायक चंदर सिंह सिसोदिया को मना लिया गया है। पार्टी ने बुंदेला को छतरपुर और सिसोदिया को मंदसौर का जिला अध्यक्ष बनाया है।
बड़े नेता निर्दलीय मैदान में
नरेंद्र सिंह कुशवाहा: भिंड
समीक्षा गुप्ता- ग्वालियर दक्षिण
धीरज पटेरिया- जबलपुर मध्य
ललित पोरवाल- इंदौर 3
केएल अग्रवाल-गुना
इन सीटों पर बागियों ने भरी है हुंकार
उज्जैन दक्षिण- इकबाल सिंहगांधी
बडऩगर- जितेंद्र पंड्या
सुसनेर- संतोष जोशी