भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ उनके ही घर में पटखनी देने के लिए कांग्रेस ने अरुण यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। चुनाव प्रचार में जुटे कांग्रेस उम्मीदवार अरुण यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक 10 रुपए के नोट की तस्वीर शेयर की है। इस 10 रुपए के नोट के पीछे अरुण यादव ने एक बेहद ही रोचक किस्सा सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
दरअसल एक बुजुर्ग महिला ने अरुण यादव 10-10 रुपए के कई नोट चंदे में दिए थे और शिवराज सिंह को हराने के लिए कहा था। बता दें अरुण यादव पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रहे चुके हैं।
बेटा यह पैसे लो इस शिवराज सिंह को हराओ
ट्विटर पर उस घटना की फोटो शेयर करते हुए अरुण यादव ने लिखा कि, यह मेरी राजनीति की सबसे बड़ी पूंजी है,कल मैं जब बुधनी विधानसभा क्षेत्र के निमोटा गाँव पहुंचा तो मुझे एक बुजुर्ग अम्मा ने अपनी जमा किए गए 10-10₹ के बहुत सारे नोट लाकर दिए और कहा, बेटा यह पैसे लो इस शिवराज सिंह को हराओ उसमें से एक नोट मैं अपने साथ ले आया जो आपके साथ शेयर कर रहा हूँ। अरुण यादव इस फोटो के जरिए सीधा संकेत दे रहे हैं कि, शिवराज सिंह के गढ़ में लोग उनसे नाखुश है और उन्हें हराने का मन बना चुके हैं।
यह मेरी राजनीति की सबसे बड़ी पूंजी है,कल मैं जब बुधनी विधानसभा क्षेत्र के निमोटा गाँव पहुंचा तो मुझे एक बुजुर्ग अम्मा ने अपनी जमा किए गए 10-10₹ के बहुत सारे नोट लाकर दिए और कहा,बेटा यह पैसे लो इस शिवराज सिंह को हराओ उसमें से एक नोट मैं अपने साथ ले आया जो आपके साथ शेयर कर रहा हूँ.
शिवराज के खिलाफ कांग्रेस ने अरुण को उतारा
गौरतलब है कि बुधनी से शिवराज पांचवी बार चुनावी मैदान में हैं। स्थानीय लोगों का मूड देखकर लग रहा है कि इस सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। शिवराज सिंह चौहान और अरुण यादव दोनों ही ओबीसी समुदाय से आते हैं। बुधनी विधानसभा क्षेत्र में किरार जाति (शिवराज सिंह चौहान इसी जाति के हैं) से लगभग दोगुनी संख्या यादवों की है। कांग्रेस को लग रहा है कि जातिगत आधार और शिवराज के खिलाफ लोगों की नाराजगी को भुना कर मुख्यमंत्री को उनके घर में ही हराया जा सकता है। इसी सोच के साथ कांग्रेस ने शिवराज के खिलाफ अरुण यादव को उतारा है।
अरुण यादव मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं
अरुण यादव मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा वह मनमोहन सरकार में मंत्री भी रहे हैं। उनके पिता सुभाष यादव मध्य प्रदेश के कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में एक थे। खुद अरुण की युवा नेताओं में एक अच्छी पहचान है। चुनावों से ठीक पहले राहुल गांधी ने अरुण यादव को हटाकर कमलनाथ को कमान सौंप दी थी। अरुण यादव खंडवा से दो बार सांसद भी रह चुके हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। अरुण यादव की खंडवा मालवा क्षेत्र में काफी मजबूत पकड़ मानी जाती है।