झाबुआ मंगलवार को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिए पीएम मोदी झाबुआ पहुंचे। झाबुआ की रैली में पीएम मोदी ने हमेशा की तरह कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा पर उनका मेन फोकस आदिवासियों पर रहा और उनके भाषण में इस तबके का जिक्र भी आया।
झाबुआ आदिवासी बाहुल जिला है। मोदी ने एक तरह से आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में करने की कोशिश की है क्योंकि पिछले चुनाव बताते हैं कि बीजेपी की तीसरी बार ताजपोशी में इनका काफी योगदान रहा।
एक तरह से कहें तो 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी चौथी बार सरकार बनाएगी या सत्ता से बेदखल होगी, ये दोनों ही बातें सूबे की रिजर्व सीटों (खासकर एसटी) में छिपी हुई हैं। आप मध्य प्रदेश के नक्शे पर गौर करें तो इसकी तस्वीर और साफ नजर आएगी। यहां झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बरवानी जैसे आदिवासी बहुल जिले एक साथ लगे हुए हैं। पिछले चुनावों में बीजेपी ने झाबुआ, अलीराजपुर जिले की 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर जीत हासिल की थी।
मोदी मंगलवार को जब झाबुआ पहुंचे तो जाहिर तौर पर यह आंकड़ा उनके दिमाग में रहा होगा। बीजेपी को अगर चौथी बार सत्ता में वापसी करनी है तो उसे रिजर्व खासकर आदिवासी तबके लिए सुरक्षित सीटों पर अपना पिछला प्रदर्शन दोहराना होगा। आइए देखते हैं कि बीजेपी के लिए रिजर्व सीटों का मामला कितना अहम है।
मध्य प्रदेश में रिजर्व सीटों ने 2013 में बीजेपी को दिलाई थी सत्ता!
2013 में बीजेपी मध्य प्रदेश में लगातार तीसरी बार बहुमत पाने में सफल रही। बीजेपी की इस सफलता के पीछे रिजर्व सीटों का हाथ कहें तो यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति के लिए कुल 82 सीटें आरक्षित हैं। इसमें एससी के लिए 35 और एसटी के लिए 47 सीटें रिजर्व हैं।
बीजेपी को 2013 के चुनाव में इन सीटों पर बंपर जीत मिली थी। तब बीजेपी ने 35 एससी सीटों में से 28 और 47 एसटी सीटों में से 31 पर कब्जा जमाया था। यानी दोनों कैटिगरी की रिजर्व सीटों को जोड़ें तो बीजेपी को 82 में से 59 सीटों पर जीत मिली थी।