भोपाल/मनीष द्विवेदी।मंगल भारत। कुर्सी मिलते ही
भाजपा नेताओं को अब लग्जीरियस सुविधाओं की तलब लगने लगी है। यह तलब लग रही है उन नेताओं को जिन्हें सरकार ने हाल ही में निगम मंडलों की कमान सौंपी है। सरकार ने इन्हें मंत्री पद का दर्जा देने में भी देर नहीं की है। अब यह नेता चाहते हैं कि उन्हें राजधानी में एक सरकारी बड़ा आलीशान बंगला तो मिले ही साथ ही लग्जरी गाड़ी भी मुहैया कराई जाए। यह बात अलग है कि निगम मंडल अध्यक्षों के लिए सरकारी बंगला देने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन इसके बाद भी तमाम सरकारें उन्हें नियम विरुद्ध बंगला देकर उपकृत करती रहीं हैं। इसे अब पंरपरा बना लिया गया है। हालत यह है कि हाल ही में जिन 25 नेताओं को निगम मंडलों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाकर उपकृत किया गया है उनमें से लगभग एक दर्जन नेताओं ने बगैर देर किए शासन को पत्र लिखकर बंगलों की भी मांग कर डाली है। खास बात यह है इनमें वे नेता खासतौर पर शामिल हैं, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बतौर प्रचारक रहने के बाद भाजपा में संभागीय संगठन मंत्री रह चुके हैं। संघ के स्वयसंवकों से लेकर प्रचारकों को लग्जीरियस सुविधाओं से दूर रहने वाला माना जाता है, लेकिन हो उल्टा रहा है। खास बात यह है कि इन नेताओं द्वारा जो बंगले मांगे गए हैं, वे बी टाइप के बताए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार की मुश्किल यह है कि अभी इस बी टाइप के बंगले खाली ही नहीं हैं। हालात यह हैं कि बीते तीन माह में ही एसीएस और पीएस स्तर के अफसरों के 50 आवेदन बी-टाइप बंगले के लंबित पड़े हुए हैं। इसके अलावा सी, डी टाइप के आवास की मांग अलग से लंबित है।
इसके उलट कुछ नेताओं और अफसरों ने भी पदों से हटने के बाद भी सरकारी बंगलों पर अब भी कब्जा किया हुआ है, लेकिन सरकार व प्रशासन भी इनके रसूख के आगे असहाय नजर आ रहा है। हद तो यह हो गई कि पद मिला नहीं कि कुछ अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को पुराने सरकारी वाहन रास नहीं आ रहे हैं जिसकी वजह से उनके द्वारा पुरानी गाड़ी की जगह नई गाड़ी की भी मांग शुरू कर दी गई है। इसकी वजह से मजबूरन अफसरानों को उनके लिए नए वाहन खरीदी की तैयारी शुरू करनी पड़ रही है। खास बात यह है कि इससे पहले से ही घाटे में चल रहे इन निगम मंडलों की हालत और अधिक आर्थिक रुप से दयनीय होना तय है।
यह नेता लिख चुके हैं बंगला आवंटन के लिए पत्र
अब तक शासन के पास जिन निमग मंडलों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के पत्र बंगलों के लिए पहुंचे हैं उनमें पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेंद्र बरुआ, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के जितेंद्र लिटोरिया, गृह निर्माण एवं अधोसंरचना निर्माण मंडल के आशुतोष तिवारी, पर्यटन विकास निगम के विनोद गोंटिया, मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के रघुराज कंसाना, राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के जसवंत जाटव, उर्जा विकास निगम के गिर्राज दंडोतिया, मप्र राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम के मुन्नालाल गोयल, राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के सावन सोनकर के नाम शामिल हैं। इसी तरह से उपाध्यक्षों में राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम के राजकुमार कुशवाहा, पाठ्य पुस्तक निगम के प्रहलाद भारती और मंजू दादू के नाम शामिल हैं। कुछ ने मुख्यमंत्री, गृह विभाग और आवास समिति को भी आवास आवंटन के पत्र लिखे हैं।
पहले से ही कब्जा था इमरती, एदल के पास
कांग्रेस सरकार के समय मंत्री रहते इमरती देवी और एमपी एग्रो के चेयरमैन एदल सिंह कंसाना को बी-टाइप के बंगले आवंटित किए गए थे, लेकिन मंत्री पद से हटने और विधायक का चुनाव हारने के बाद भी उनके पास यह बंगले बरकरार रहे। सरकार ने भी इनसे बंगले खाली कराने में कोई रुचि नहीं ली। अब निगम मंडल में पद मिलने के बाद उनके पास यह बंगले बरकरार हैं। गिर्राज दंडोतिया ने उसके बाद बंगला खाली कर दिया था, जिसके चलते वे अब उसे वापस मांग रहे हैं।
पद संभालने से पहले ही मंगा ली कार
अध्यक्ष-उपाध्यक्षों को निगम मंडलों से ही वाहन मिलता है। हद तो यह हो गई कि इमरती देवी ने तो पदभार लेने के पहले ही बंगले पर सरकारी गाड़ी तलब कर ली थी। खास बात यह है कि यह गाड़ी उनके द्वारा नई मंगवाई गई थी। इसी तरह से अब हाउसिंग बोर्ड में चेयरमैन आशुतोष तिवारी को नगरीय प्रशासन विभाग से वाहन नहीं मिला है, लिहाजा उनके द्वारा भी नई इनोवा कार की मांग की गई है। अब उनके अलावा कई अन्य अध्यक्षों व उपाध्यक्षों के लिए संबंधित निगम मंडलों में नए वाहन खरीदने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।