- सीमवार्ती जिलों में मिलेगा फायदा, उप्र की जीत से मिलेगा बूस्ट अप
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्यप्रदेश के जिन
भाजपा नेताओं को चुनावी रणनीतिकार माना जाता है,उन नेताओं ने एक बार फिर अपना लोहा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मनवाया है। दरअसल संगठन द्वारा प्रदेश के कई नेताओं की तैनाती उप्र विधानसभा चुनावों में सफलता दिलाने के लिए की गई थी। इन नेताओं ने अपनी तैनाती वाली 75 फीसदी सीटों पर विजय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिन नेताओं की ड्यूटी उप्र चुनाव में पार्टी ने लगाई थी उनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित प्रदेश से आने वाले केन्द्रीय मंत्री और शिव के गण भी शामिल थे। इसके अलावा करीब दो सैकड़ा कार्यकर्ताओं की भी दो माह पहले तैनाती कर दी गई थी। इन नेताओं को उप्र के बुंदेलखंड, कानपुर, बृज और काशी क्षेत्र की 61 सीटों का जिम्मा सौंपा गया था। इनमें से 45 सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को जीत मिली है। यह प्रभार वाली सीटों का 75 फीसद होता है। उप्र में मिली जीत का असर प्रदेश की उन 45 सीटों पर भी मप्र भाजपा को मिलना तय माना जा रहा है , जो उप्र की सीमा से लगी हुई हैं। इन सीटों पर उप्र की जीत बूस्ट अप का काम करेगी। मध्यप्रदेश में 2023 में विधानसभा के आम चुनाव होना है। इनमें भी विंध्य और बुंदेलखंड अंचल की सीटें सीधे तौर पर उप्र के असर में रहती है। फिलहाल इन इलाकों में आधी से ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है इन सीटों पर बसपा और सपा का भी खासा प्रभाव रहता है, लेकिन यूपी में जीत के बाद भाजपा इन सीटों पर और मजबूत होगी। ऐसे में आगामी में चुनाव में भाजपा को वोट प्रतिशत से लेकर सीट संख्या तक बढ़ने में मदद मिलेगी। पिछली बार जब सपा ने यूपी में सरकार बनाई थी,तो एक साल बाद ही मध्यप्रदेश में 2013 के चुनाव में पांच सीटें हासिल कर ली थीं। फिर यूपी में सपा हार गई, तो मप्र में भी 2018 के चुनाव में इन सीटों पर भाजपा का प्रभाव बढ़ गया था। मप्र से उप्र चुनाव में भेजे गए नेताओं को सभा से लेकर चुनावी प्रबंधन तक काम दिया गया था। कार्यकर्ताओं ने जहां इस दौरान इन सीटों पर मैदानी समन्वय बनाते हुए संगठन को हर घटनाक्रम से अपडेट करने काम किया तो वहीं अन्य नेताओं ने सभाओं से लेकर सामाजिक संपर्क और रणनीति बनाने का काम बखूबी किया। जिन नेताओं ने सभाएं और रोड शो किए उनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम शामिल हैं। इसके अलावा मंत्रियों में डॉ नरोत्तम मिश्रा, प्रद्युम्न सिंह तोमर, डॉ मोहन यादव और अरविंद भदौरिया, कुछ सांसद और विधायकों को भी सामाजिक समीकरण साधने में लगाया गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तो ऐसा नेता रहे हैं , जिन्होंने उप्र के अलावा उत्तराखंड और गोवा की कुछ विधानसभा सीटों पर चुनावी सभाएं भी की हैं। उनके द्वारा इन राज्यों में डेढ़ दर्जन से अधिक चुनावी सभाएं की गईं। खास बात यह है कि प्रदेश के भाजपा नेताओं की मेहनत और कामकाज की यूपी के चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहित पार्टी हाईकमान ने भी तारीफ की है।
कहां-कहां की गई थी तैनाती
भाजपा संगठन ने कानपुर क्षेत्र के 12, बृज में एक और काशी क्षेत्र के 2 जिले में मप्र के नेताओं को सौंपे थे। इनके अलावा बिहार, झारखंड, दिल्ली सहित राजस्थान-छत्तीसगढ़ से भी कुछ लोगों को भेजा गया था। यूपी के बुंदेलखंड में झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट, उरई, मिजार्पुर, इटावा, फरूखाबाद-कन्नौज और प्रतापगढ़-प्रयागराज से लेकर आगरा अंचल के कुछ इलाकों में कार्यकर्ताओं को बूथ और पन्ना प्रमुखों के साथ लगाया गया था। इनमें ज्यादातर चुनावी प्रबंधन के अनुभवी और सीमावर्ती जिलों के कार्यकतार्ओं को ही तैनात किया गया था। हर विधानसभा और जिला स्तर पर 2-2 पूर्णकालिक कार्यकर्ता लगाए गए थे। इनको चुनाव प्रचार-कैंपेनिंग की जगह संबंधित क्षेत्र पर फोकस, हर छोटे-बड़े घटनाक्रम और कहां क्या कमी है इस पर नजर रखने का काम दिया गया था।
दिखेगा मप्र में भी असर: उत्तरप्रदेश में पार्टी की हुई शानदार जीत का असर मप्र में भी पड़ना भी तय माना जा रहा है। मध्यप्रदेश में 2023 में विधानसभा और फिर 2024 में लोकसभा चुनाव होना है। इन दोनों ही चुनावों में उप्र की जीत बुस्टअप का काम करेगी। इसका फायदा भाजपा को उप्र की सीमा से सटी सीटों पर खासतौर पर फायदा होना तय माना जा रहा है।
वोट शेयर बढ़ाने हितग्राही कैम्पेंन : उप्र चुनावों से फ्री होने के बाद भाजपा संगठन का पूरा फोकस अब मप्र में डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर लग गई है। इसके लिए अब प्रदेश में हितग्राही को वोटर बनाने के फॉमूर्ले पर मिशन मोड में काम शुरू करने की तैयारी है। उप्र में जिस मॉडल पर काम कर भाजपा ने जीत हासिल की है, उसे सफल मानते हुए उस पर अब मप्र में काम किया जाएगा। इसके लिए प्लानिंग शुरू कर दी गई है। अगले तीन महीने में सरकारी योजनाओं के हितग्राहियों से सम्पर्क करने के रोडमैप पर अमल किया जाएगा। इसमें सबसे पहले राशन दुकानों के हितग्राहियों को लिया जाएगा।