ग्रामीण इलाकों के गढ़ में… विपक्ष का परचम

भाजपा संगठन भौंचक, बूथ स्तर तक की जा रही पूछताछ

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भाजपा के कई मजबूत गढ़ों को ढहा दिया है। इनमें वे जिले भी शामिल हैं, जिन्हें पंरपरागत रुप से भाजपा के लिए बेहद मुफीद माना जाता है। पहले चरण के तहत हुए पंचायत चुनावों में अपने गढ़ों में कांग्रेस को बढ़त मिलने की खबरों से भाजपा संगठन में हड़कंप की स्थिति बन गई है।
हालात यह हैं कि अब संगठन द्वारा इस मामले में जिलों से लेकर बूथ स्तर तक खैर खबर लेने का काम शुरू कर दिया गया है। यह बात अलग है कि पंचायत चुनाव गैर दलीय आधार पर होते हैं, लेकिन प्रत्याशियों को राजनैति दलों का न केवल समर्थन होता है , बल्कि प्रत्याशी भी राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता ही होते हैं। अब तक जो खबरें आयी हैं उनमें देवास जिले में पंचायत चुनाव के पहले चरण में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों को भाजपा के गढ़ बागली, कन्नोद और खातेगांव के 9 वार्डों में बढ़त मिल चुकी है। यह बात अलग है कि इनके नतीजों का अधिकृत रुप से ऐलान बाद में किया जाएगा, लेकिन 10 में से 9 वार्डों में कांग्रेस को बढ़त मिलने से सभी चौंक गए हैं। यह वो जिला है जहां पर पांच में से 4 विधानसभा सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। बागली, कन्नोद और खातेगांव का इलाका पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कैलाश जोशी का कार्यक्षेत्र रहा है। इसकी वजह से यह जिला पूरी तरह से भाजपा का गढ़ माना जाता है।
पिछले 4 दशकों से इस जिले में भाजपा ही प्रभावी रही है, दूसरे चरण के तहत 8 वार्डों का मतदान 1 जुलाई को होना है, लेकिन पहले चरण में ही कांग्रेस को इकतरफा बढ़त मिलने से यह तय हो गया है कि जिपं अध्यक्ष का पद कांग्रेस को मिलना तय है। छिंदवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, रतलाम, मंदसौर सहित कई जिलों में कांग्रेस को सफलता मिली है। वहीं इंदौर, भोपाल, नीमच सहित अन्य शहरों में भी भाजपा का कुछ हद तक प्रभाव दिख रहा है।
कांग्रेस का दावा: सीहोर जिला पंचायत में जीते….
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गढ़ सीहोर में पांच जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में चार कांग्रेस ने जीते हैं। इधर, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में 8 में से 7 जिला पंचायत सदस्य के पदों पर कांग्रेस ने परचम लहराया है। देवास जिले की 18 जिला पंचायतों में से 14 कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों ने फतह की है। धार जिले के 10 जिपं सदस्यों के चुनाव में 9 कांग्रेस समर्थित जीते हैं।
भोपाल में 5 कांग्रेस तो दो भाजपा समर्थक
अगर भोपाल जिले की बात की जाए तो अब तक जो रुझान आए हैं और जिस तरह के दावे किए जा रहे हैं उसके मुताबिक एजेंट को दी गई वोट संख्या के आधार पर 10 वार्ड में से 9 में प्रत्याशियों ने जीत के दावे करना शुरू कर दिए हैं। वार्ड 9 को काउंटिंग के कारण होल्ड किया गया है। इनमें से दावा करने वालों में रश्मि भार्गव, विनया राजौरिया, रामकुंवर गुर्जर, विनय मेहर और विक्रम बालेश्वर गुर्जर कांग्रेस समर्थक बताए जा रहे हैं, जबकि वार्ड 4 से चंद्रेश राजपूत के ससुर रामगोपाल पहले भाजपा में रहे और फिर कांग्रेस में रहने के बाद स्वयं को अब स्वतंत्र बता रहे हैं। वार्ड 2 की प्रत्याशी के पति अनिल हाड़ा और वार्ड 5 के प्रत्याशी अशोक मीणा भाजपा समर्थक हैं, जबकि वार्ड एक के मोहन सिंह जाट किसी पार्टी के पदाधिकारी नहीं हैं।
फंदा में भी कांग्रेस को बढ़त
इसी तरह से भोपाल जिले के तहत आने वाले फंदा जनपद के 25 में से सिर्फ आधा दर्जन प्रत्याशी ही खुद को भाजपा समर्थक बता रहे हैं, जबकि 8 कांग्रेस का समर्थक बता रहे हैं। इसी तरह से शेष 13 खुद को स्वतंत्र बता रहे हैं। बैरसिया जनपद में बढ़त बना चुके 8 प्रत्याशी खुद को भाजपा समर्थक तो छह ने खुद को कांग्रेस समर्थक बताया है। इसके अलावा 10 खुद को स्वतंत्र बता रहे हैं।
गुटबाजी और विधायकों की जिद पड़ी भारी
पार्टी सूत्रों की माने तो इस हालात की वजह है भाजपा की गुटबाजी और जिले में विधायकों की अपनी जिद। विधायकों ने अपनी जिद और पसंद न पसंद के चलते जनाधार विहीन कार्यकर्ताओं को अधिक तबज्जो दी , जिसके चलते पहले चरण के मतदान में विपरीत रुझान सामने आए हैं। पहले चरण के रुझानों के बाद अब भाजपा संगठन को सबसे ज्यादा चिंता दूसरे चरण के 8 वार्डों की सताने लगी है।
अन्य जिलों में भी यही स्थिति
रीवा जिले में भी यही हाल रहे हैं। जिले के जिन सीटों पर जिला पंचायत और जनपद पंचायतों के लिए निर्वाचन हुआ है उनमें से अधिकांश सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को बढ़त मिली है। खास बात यह है कि इस जिले में भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के परिजनों को हार का मुंह देखना पड़ा है। इसमें भी खास बात यह है कि पहले चरण में जिन वार्डों में चुनाव हुए हैं, उनमें अधिकांश जिले भाजपा के गढ़ के रुप में माने जाते हैं। लगभग यही हाल जबलपुर जिले के भी बताए जाते हैं। बड़वानी जिले में पूर्व मंत्री अंतर सिंह आर्य के गांव में भाजपा को कम वोट मिले हैं और यहां से चुनाव लड़ रहे भाजपा समर्थित प्रत्याशी के हार की स्थिति है। इसी तरह सतना जिले में पूर्व मंत्री जुगल बागरी के बेटे पुष्पराज बागरी, बहू वंदना बागरी भी चुनाव लड़े और रुझानों के आधार पर सामने आई रिपोर्ट में इनकी हार भी लगभग तय मानी जा रही है। दूसरी ओर धार जिले से कांग्रेस से सांसद का चुनाव लड़ चुके और अब भाजपा में शामिल दिनेश ग्रेवाल के भी जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में मिले रुझानों में हार की स्थिति बताई जा रही है। यह स्थिति पंचायत चुनाव के पहले चरण की वोटिंग और मतदान स्थल पर हुई मतगणना के बाद आए रुझानों में सामने आ रही है। चूंकि चुनाव परिणाम तीनों चरण की वोटिंग के बाद होने वाले टेबुलेशन के बाद घोषित किए जाएंगे, इसलिए अधिकारी बयान देने से बच रहे हैं लेकिन प्रत्याशियों को पंचायतों में मिले वोट के आधार पर उन्हें मिले वोट की जानकारी के साथ ही उन्हें उनकी जीत हार की जानकारी तो हो ही गई है।
बालाघाट में मंत्री के क्षेत्र में बीजेपी झटका
बालाघाट में मंत्री रामकिशोर कावरे के क्षेत्र में बीजेपी को झटका लगा। यहां परसवाड़ा के जिला पंचायत वार्ड 26 तामेश्वर पटेल और वार्ड 27 से दलसीह पंद्रे विजय रहे। दोनों ही कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी हैं। बैहर के एक वार्ड से कांग्रेस समर्थित मंसाराम मडावी जीते हैं, जबकि दूसरी सीट पर गोंडवाना के मनोज सैयाम जाते। वारासिवनी से एक वार्ड से लोम हर्ष बिसेन जीते हैं। खैरलांजी में टेंभारे निर्दलीय विजयी हुए।