आईपीएस में जोड़तोड़

हरीश फतेहचंदानी/मंगल भारत। सूबे में आईपीएस अफसरों की


पदोन्नति आदेश जारी होने के बाद अब उनकी नई पदस्थापना का इंतजार किया जा रहा है। नई पदस्थापना सूची जारी होने में अभी समय है। माना जा रहा है कि इस पखवाड़े के बाद ही यह सूची जारी होगी। इसकी वजह है प्रदेश में होने वाले दो बड़े आयोजन। इस सूची के जारी होने में लगने वाले समय की वजह से कई पदोन्नत आईपीएस अफसर मनचाही पदस्थापना पाने के लिए जोड़-तोड़ में लग गए हैं। खास बात यह है कि इनमें पदोन्नत होने वाले अफसर तो शामिल हैं ही साथ ही गैर पदोन्नति वाले भी कई अफसर शामिल हैं। दरअसल पदोन्नत हुए अफसरों की जगह नई पदस्थापनाएं की जानी हैं। इस वजह से कई जिलों के पुलिस कप्तान भी बदले जाने हैं। वहीं जो अफसर अभी लूप लाइन या फिर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ हैं, वे भी मैदानी पदस्थापना के लिए लॉबिंग करने में लगे हुए हैं। दरअसल मैदानी पदस्थापना में बडे पैमाने पर तबादले होने हैं। इसकी एक और वजह है कई जिलों में पुलिस कप्तानों का समय दो साल या उससे अधिक समय का हो चुका है, जिन्हें चुनावी साल होने की वजह से बदला जाना है। इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते जनवरी में होने वाली तबादला सर्जरी को पुलिस महकमें में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालात यह हैं कि पदोन्नत हुए 14 डीआईजी में से करीब एक दर्जन डीआईजी रेंज में जाने की जुगत लगा रहे हैं। प्रदेश में डीआईजी की कई रेंज का जिम्मा बतौर अतिरिक्त चार्ज में हैं, इन डीआईजी रेंज में अब अतिरिक्त चार्ज वाले अफसरों की जगह पर भी डीजीआई को पदस्थ किया जाना है। भोपाल ग्रामीण डीआईजी का पद अभी अतिरिक्त चार्ज के साथ कृष्णावेनी देसावदू के पास है। उनकी पोस्टिंग डीआईजी एसएएफ भोपाल के तौर पर है, लेकिन उन्हें भोपाल ग्रामीण डीआईजी का अतिरिक्त जिम्मा भी दे रखा गया है। भोपाल डीआईजी ग्रामीण बनने के लिए चार अफसर प्रयासरत हैं। इसमें अधिकांश वे अफसर हैं जो भोपाल में रहकर काम करना चाहते हैं। इनमें से कुछ पीएचक्यू में पदस्थ हैं,जबकि दो अफसर इस वक्त जिले में पुलिस अधीक्षक हैं। भोपाल शहर में अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर का भी एक पद खाली है। इस पद पर आने के लिए भी दो अफसर प्रयास कर रहे हैं। वहीं इंदौर शहर के अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर बनने के प्रयास भी एक अफसर द्वारा किए जा रहे हैं। वे अभी जिले में पुलिस अधीक्षक हैं। वे पूर्व में भी इंदौर में पदस्थ रह चुके हैं। रतलाम डीआईजी सुशांत सक्सेना के आईजी बनने के चलते इस रेंज में डीआईजी बनने में भी दो-तीन अफसरों ने रूचि दिखाई है। वहीं रीवा, सीधी, विदिशा, कटनी और राजगढ़ जिलों में पुलिस कप्तानी करने की इच्छा रखने वाले अफसर इन जिलों में कमान पाने के लिए सक्रिय हो गए हैं। इन जिलों में जाने के लिए एक दर्जन अधिकारी प्रयास कर रहे हैं। वहीं इंदौर के एक डीसीपी पास के जिले में जाने के प्रयास में हैं। भोपाल में बतौर डीसीपी तैनात दो अफसर भी अब जिले की कप्तानी चाहते हैं।
अब सुधर जाएगा पुलिस महकमे का पिरामिड
नए साल में 3 स्पेशल डीजी सहित 16 आईपीएस रिटायर होंगे। खास बात यह है कि इन रिटायरमेंट वाले अफसरों में बलवीर सिंह का नाम भी शामिल है। वे बीते दो दशक से डेपुटेशन पर रहे है। वे अभी भोपाल में ज्वाइंट डायरेक्टर हैं और मूल कैडर में वापस आए बिना ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे। एमपी कैडर के वे अकेले ऐसे अधिकारी हैं , जो कभी मैदानी स्तर पर एसपी, डीआईजी, आईजी और एडीजी नहीं रहे हैं। हालांकि, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए सिंह को स्पेशल टास्क में रखा गया। उन्हें कई सालों तक खुफिया एजेंसियों में पदस्थ किया गया। इस साल कुछ अफसरों के रिटायरमेंट के बाद कैडर के पिरामिड में ऊपरी असंतुलन में सुधार हो सकेगा। प्रदेश पुलिस के आईपीएस कैडर में इस समय चार बैच के 13 महानिदेशक स्तर के अधिकारी हैं, जिनमें से 1988 बैच के एसएल थाउसन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। वहीं एडीजी स्तर के नौ बैच के 55 अधिकारी हैं, जिनमें से 12 केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। महानिदेशक स्तर के तीन अधिकारी इस साल रिटायर हो रहे हैं, जिनके रिटायरमेंट के बाद 1989 बैच के बचे हुए एडीजी को महानिदेशक पद पर पदोन्नति मिल जाएगी। 1989 बैच में अभी चार अधिकारी राजेश चावला, सुशोभन बनर्जी, सुषमा सिंह पदोन्नति से बचे हैं।
चावला बनेंगे स्पेशल डीजी
फरवरी में मंगलम के रिटायरमेंट के बाद चावला को मौका मिलेगा, लेकिन बनर्जी जुलाई में रिटायर होने वाले और उन्हें अगर चावला के साथ या जुलाई के पहले पदोन्नति दी जाती है तो ही वे डीजी बनकर रिटायर हो पाएंगे, अन्यथा वे अपने बैच के जीआर मीणा की तरह एडीजी से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जुलाई में पवन जैन व मुकेश जैन के रिटायरमेंट पर सुषमा सिंह को पदोन्नति मिल जाएगी और इसके अलावा 1990 बैच के डॉ एसडब्ल्यू नकवी को भी प्रमोशन मिल सकता है। नकवी अगस्त में रिटायर होने वाले हैं। इस तरह उन्हें एक महीने डीजी पद का वेतनमान मिल जाएगा। इस साल राज्य शासन को पुलिस महकमे में एडीजी पदों पर ज्यादा अधिकारियों की संख्या को नियंत्रित करने का मौका मिलेगा, क्योंकि छह एडीजी रिटायर हो रहे है और पदोन्नति की अगली कड़ी में 1999 बैच में तीन अधिकारी ही है। 1999 बैच के दो अधिकारी इस समय आईजी हैं तो एक निरंजन वायंगणकर डीआईजी है। ऐसे में चार आईजी 2022 की तुलना में ज्यादा उपलब्ध रहेंगे।
इस साल यह अफसर होंगे रिटायर
फरवरी में 1988 बैच के विशेष महानिदेशक अन्वेष मंगलम, मार्च में 1990 बैच के एडीजी केटी वाइफे व 2006 बैच के डीआईजी एमएल छारी, अप्रैल में 1996 बैच के ज्वाइंट डायरेक्टर आईबी बलवीर सिंह व 2002 बैच के आईजी अनिल शर्मा, 7 मई में 2006 बैच के डीआईजी तिलक सिंह, जुलाई में 1987 बैच के होमगार्ड के डीजी पवन जैन, 1989 बैच के विशेष महानिदेशक मुकेश जैन व अतिरिक्त महानिदेशक सुशोमन बनर्जी व 2009 बैच की कमांडेंट 15वीं वाहिनी अनीता मालवीय, अगस्त में 1988 बैच के एडीजी डॉ. एसडब्ल्यू नकदी व 1992 बैच के एडीजी डी श्रीनिवास राव, सितंबर में 2006 बैच के डीआईजी अनुराग शर्मा, नवंबर महीने में 1988 बैच के सीमा सुरक्षा बल के डीजी के नाम शामिल हैं।