कारम बांध: सेवानिवृत्ति के दिन किया बहाल…
भोपाल।मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश का सिंचाई महकमा अपनी कार्यशैली और भ्रष्टाचार की वजह से प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश भर में भी बदनाम है, लेकिन मजाल है कि विभाग से लेकर सरकार तक को उसकी छवि की चिंता हो। इसका फायदा उठाते हुए नौकरशाही की विभाग में मनमानी जारी है। इसका उदाहरण है कारम बांध के मामले के एक आरोपी आला अफसर पर की गई मेहरबानी। यही नहीं जिन आधा दर्जन अफसरों को धार जिले के कारम बांध क्षतिग्रस्त होने के मामले में दोषी माना जा रहा है उन दागियों पर छह माह बाद भी कोई कार्रवाई तक करने की हिम्मत अब तक नहीं दिख सकी है। इसके उलट विभाग ने एक निलंबित किए गए अफसर सीएस घटोले की सेवानिवृत्ति के दिन ही बहाली तक कर डाली। हद तो यह हो गई कि इस मामले में दोषी मानी जा रही कंपनी एएनएस कंस्ट्रक्शन और इसकी सहयोगी सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी को भी क्लीनचिट दे डाली गई। इसके एवज में कंपनी से यह समझौता कर लिया गया है कि वह बगैर शासन से वित्तीय सहायता लिए कारम बांध का निर्माण फिर से करेगी। इससे समझा जा सकता है कि सरकार व शासन किस कदर से गंभीर मामलों में भी किसी भी तरह की कार्रवाई करने से बचते हैं। गौरतलब है कि इस बांध के टूटने से पूरे देश में प्रदेश की जमकर बदनामी हुई थी और इसके अलावा 100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ अलग से। इसके बाद भी मजाल है कि किसी भी जिम्मेदार पर आंच आयी हो। उल्लेखनीय है कि जल संसाधन विभाग ने धार जिले में कारम बांध के क्षतिग्रस्त होने पर आठ इंजीनियरों सहित वहां के तत्कालीन मुख्य अभियंता सीएस घटोले को 26 अगस्त 2022 को निलंबित कर दिया था, 31 जनवरी 2023 को सेवानिवृत्ति के दिन घटोले को बहाल कर उन्हें विभाग ने तोहफा प्रदान कर दिया है। यह बात अलग है कि उनके विरुद्ध जारी विभागीय जांच चलती रहेगी। इस मामले में विभाग का तर्क है कि कारम बांध का फिर से काम शुरु करने से पहले केंद्रीय जल आयोग और बांध सुरक्षा संगठन मिलकर बांध की बारीकी से जांच कर रहा है। मामले में दोषी अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया है, लेकिन बांध निर्माण के अनुबंध के तहत यही कंपनी शेष कार्य पूरा कर बांध बनाएगी।अब बांध का निर्माण केंद्रीय जल आयोग और बांध सुरक्षा संगठन की निगरानी में ही कराया जाएगा।
आरोप पत्र जारी करने में लगा दिए तीन माह
दरअसल बीते साल अगस्त 2022 में धार जिले की कारम मध्यम सिंचाई परियोजना वाला बांध क्षतिग्रस्त हो गया था। इस मामले में राज्य सरकार ने आठ अफसरों को दोषी मानते हुए उन्हें तीन माह बाद नवंबर माह में आरोप-पत्र जारी किए थे। इन अधिकारियों में तत्कालीन प्रभारी मुख्य अभियंता नर्मदा ताप्ती कछार सीएस घटोले, तत्कालीन एसई जल संसाधन मंडल धार इंदौर पी जोशी, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री बीएल निनामा, तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी विकार अहमद सिद्दीकी एवं चार तत्कालीन उपयंत्री विजय कुमार जत्थाप, राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, अशोक कुमार राम एवं दशावन्ता सिसौदिया शामिल थे। इन्हें इस हादये के मामले में निलंबित कर दिया गया था।
नहीं किया सुपरविजन
निलंबित इंजीनियरों पर आरोप है कि 304 करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति वाले कारम बांध के निर्माण में सुपरविजन और निर्माण की शर्तों का पालन न कराए जाने से बांध क्षतिग्रस्त हुआ, जिससे 18 ग्रामों में जान- माल की तबाही रोकने के लिए आबादी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। बांध के दायें कोने में कट लगाकर चैनल बनाकर पानी की निकासी की गई। इससे विभाग की छवि धूमिल हुई है।
काम पूरा होने से ही पहले हुआ क्षतिग्रस्त
चार साल पहले अगस्त 2018 में दिल्ली की एएनएस कंस्ट्रक्शन कंपनी को 304 करोड़ रुपये में कारम बांध बनाने का ठेका दिया गया था। इस कंपनी ने 99.86 करोड़ रुपये का काम पेटी पर ग्वालियर की सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी को दे दिया। अगस्त 2021 तक काम पूरा करना था, लेकिन कोविड के कारण काम प्रभावित हुआ, जिसके कारण मियाद बढ़ा दी गई। अब अगस्त 2022 तक काम पूरा करना था, इसलिए जल्दबाजी में किए गए काम के कारण बांध में दरार आ गई और बांध को तोड़ना पड़ा।