मनीष द्विवेदी/मंगल भारत। प्रदेश कांग्रेस में बड़े नेताओं के
बीच जारी गुटबाजी व आपस में पटरी न बैठ पाने की खबरों के बीच बीते रोज जिस तरह से तीन बड़े नेता एक साथ ग्वालियर -चंबल अंचल के दौरे पर गए हैं, उससे इन अटकलों को हवा देने वालों में बैचेनी की आलम बन गया है। यह हवा ऐसे समय दी जा रही थी , जब कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ प्रदेश के ग्वालियर -चंबल अंचल के दौरे पर जाने वाले थे। दरअसल यह इलाका कांग्रेस के साथ ही कमलनाथ के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है , इसकी वजह है यह अंचल उनकी सरकार गिराने वाले श्रीमंत का गृह अंचल है। शायद यही वजह है कि कमलनाथ ने संत रविदास जयंती के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इसी अंचल का चयन किया। बीते रोज जब ग्वालियर के लिए कमलनाथ ने उड़ान भरी तो उनके साथ राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह और अरुण यादव भी उडऩखटोले में सवार थे।
तीनों नेताओं को एक साथ देखकर उनकी यह यात्रा अचानक चर्चा में आ गई। एक ही प्लेन से रवाना हुए और एक साथ कार्यक्रम में शामिल होने की वजह से उनके इस दौरे को कांग्रेस की एकता का संदेश देने के रुप में देखा जा रहा है। यही नहीं इस दौरे के बाद दिग्विजय सिंह और कमलनाथ एक ही प्लेन से दिल्ली भी रवाना हुए। गौरतलब है कि इसके पहले भी भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों और सागर में हुए कार्यक्रम में भी दोनों वरिष्ठ नेता एक साथ दौरे कर चुके हैं। उस दौरान वे प्लेन में ही नहीं , बल्कि एक ही वाहन से भी यात्रा कर चुके हैं। यही नहीं कहा तो यह भी जा रहा है कि इन दोनों नेताओं के बीच कुछ समय पहले लगातार कई बैठकें एक साथ दिल्ली में हो चुकी हैं, लेकिन उनकी चर्चा नही हुई। वही अरुण यादव के साथ होने से कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद पार्टी का मुख्यमंत्री कौन होगा को लेकर दिए गए बयान पर भी अब विराम लगता दिख रहा है। दरअसल प्रदेश में लोकसभा उपचुनाव के समय से ही अरुण यादव और कमलनाथ के बीच मतभेद की खबरें जोर पकड़ रही थीं।
एक समय प्रदेशाध्यक्ष रह चुके यादव का पहले अपना खुद का खेमा माना जाता था, लेकिन समय के साथ वे कमजोर होते गए और उसके बाद उनके दिग्विजय सिंह के खेमे में शामिल होने की खबरें आनी लगी थीं। दरअसल खंडवा लोकसभा हारने के बाद यादव के समर्थक माने जाने वाले लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाने कई जिलाध्यक्षों को चुनाव में भितरघात करने के आरोप में पदों से हटा दिया गया था। यह बात अलग है कि बाद में पूरा मामला पार्टी हाईकमान के पास पहुंचने के बाद यादव समर्थकों की बहाली कर दी गई थी। उधर, दूसरी तरफ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समय कमलनाथ व दिग्विजय सिंह के मतभेद सामने आए थे । जिसे राहुल गांधी भी भांप गए थे। इसकी वजह से उन्हें दोनों ही नेताओं को गले मिलवाना पड़ा था। दरअसल यात्रा के समय यादव और दिग्विजय सिंंह राहुल गांधी को खरगोन में दंगे के प्रभावित मुस्लिम परिवारों से मिलवाना चाहते थे। खरगोन विधायक रवि जोशी यादव के विरोधी माने जाते हैं, उन्हें भी इस मामले में दोनों ने विश्वास में नहीं लिया था। यदि राहुल खरगोन वाला रूट अपनाते तो वहां वोटों का ध्रुवीकरण होने का खतरा रहता। इस तर्क का हवाला देकर नाथ समर्थक ने विरोध किया तो सिंह ने विधायक रवि जोशी को लेकर टिप्पणी कर दी। बाद मेें नाथ ने खरगोन के बजाए यात्रा का रूट बड़वाह, सनावद और बलवाड़ा रखवाया दिया था।
मतभेद की खबरों को हवा मिलने की वजह
दो दिन पहले जिस तरह से अरुण यादव और जीतू पटवारी के बयान आए उससे कमलनाथ के साथ इन नेताओं के जारी मतभेदों को हवा मिली थी। जिसे सत्ता में वापसी की तैयारी के बीच कांग्रेस के नेताओं में वर्चस्व की जंग के रुप में देखा जाने लगा था। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को भावी सीएम के रूप में पेश कर रही प्रदेश कांग्रेस को पार्टी के ही पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने साफ कर दिया कि कांग्रेस पार्टी ने अभी सीएम का चेहरा तय नहीं किया है। सीएम पर फैसला चुनाव परिणाम आने के बाद पार्टी आलाकमान करता है। यही बात पूर्व मंत्री जीतू पटवारी भी दोहरा चुके हैं।
नाथ ने दिया एकता का संदेश
कमलनाथ को भी कुशल राजनीतिज्ञ माना जाता है। मतभेद व गुटवाजी की खबरों को और अधिक हवा मिलती उसके पहले ही उनके द्वारा अपने विरोधी अरुण यादव और दिग्विजय सिंह को साथ लेकर यात्रा कर इस खबर की हवा निकालते हुए एकता का संदेश दे दिया, जिससे पार्टी में न केवल उनके विरोधी, बल्कि विपक्षी दल को भी बड़ा झटका लगा है।