मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के कार्य भी हो रहे प्रभावित…
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के कार्य भी हो रहे प्रभावित…
नवनिहालों को नहीं मिल रहा पोषण आहार…
भोपाल/मंगल भारत। महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी व पर्यवेक्षक काम बंद कर सामूहिक अवकाश पर हैं जिनका समर्थन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं ने भी कर दिया है। जिससे 15 मार्च से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ताला लगा हुआ है। जिसके कारण टीएचआर वितरण, होम विजिट, मंगल दिवस कार्यक्रम के अलावा 3 से 6 वर्ष के बच्चों को पोषण नाश्ता व भोजन वितरण नहीं हो पा रहा है। शासन को 0 से 6 माह तक के स्वास्थ्य एवं शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों की जानकारी एप के माध्यम से दी जाती है, जो नहीं दिया जा रहा। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के कार्य पर भी सीधा असर पड़ रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका के हड़ताल पर रहने से ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को योजना से संबंधित जानकारी नहीं मिल पा रही। जानकारी के अभाव में ग्रामीण महिलाएं अपने दस्तावेजों को कंम्पलीट कराने भटक रही हैं। बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर 15 मार्च से हैं। कार्यकर्ताओं ने अपनी मांग में कहा है कि सरकार उन्हें शासकीय सेवक घोषित करे, पूर्व में काटे गए वेतन भुगतान को एरियर सहित वापस करने सहित कई अन्य मांग भी शामिल है। कार्यकर्ता-सहायिका के 7 संगठनों ने अधिकारियों के आंदोलन को समर्थन देने के साथ मांगों पर 15 मार्च से सामूहिक अवकाश ले रखा है। प्रदेश में 97,135 आंगनबाड़ी है। इनमें से 25 मार्च को 20,155 आंगनवाड़ी ही खुलीं। इनकी रीढ़ 1.35 लाख कार्यकर्ता-सहायिकाएं हैं।
मांग संबंधी फाइल पांच साल से खा रही धूल
गौरतलब है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्मचारी सालों से अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। वहीं उनकी मांग संबंधी फाइल प्रशासकीय अनुमोदन के बाद भी कर्मचारी आयोग में 5 साल से धूल खा रही है। पिछले साल अफसर पर्यवेक्षकों ने 21-25 मार्च तक हड़ताल की थी। 25 मार्च 2022 को सीएम के प्रतिनिधि के तौर पर सामान्य वर्ग आयोग अध्यक्ष शिव -चौबे, मप्र राज्य कर्मचारी कल्याण समिति अध्यक्ष रमेशचंद्र शर्मा, असंगठित कर्मकार कल्याण मंडल अध्यक्ष सुल्तान सिंह शेखावत, संचालक डॉ. रामराव भोसले ने चर्चा की। मांगों को जल्द पूरा करने का लिखित आश्वासन दिया, पर सालभर बाद भी कुछ नहीं हुआ। इस बार 15 मार्च से लगातार विधायक-मंत्रियों को ज्ञापन सौंपे। सीएम को पत्र लिखे। 1 लाख पोस्टकार्ड पर मांगें लिख भेजीं। रैली भी निकाली। परियोजना अधिकारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष इंद्रभूषण तिवारी का कहना है, सीएम जल्द हमारी मांगें पूरी करें। दरअसल सामूहिक अवकाश पर चल रहे 453 परियोजना अधिकारी, 3400 पर्यवेक्षकों की ग्रेड देश में सबसे कम है। संविदा पर्यवेक्षकों को नियमितीकरण, परियोजना अधिकारियों, नियमित पर्यवेक्षकों की पदोन्नति परियोजना अधिकारियों के आहरण-संवितरण अधिकारों के लिए भी संघर्ष चल रहा है। नियमित परियोजना अधिकारियों का 9300- 34800+ ग्रेड-पे 3600, पर्यवेक्षकों को 5200-20200+ ग्रेड-पे 2400 है। क्रमश: 10300-34800+ 4800 व 9300-34800+ ग्रेड पे 3600 चाहते हैं।
कार्यकर्ताओं की मांगें
आंदोलन कर रहे कर्मचारियों की मांग पर परियोजना अधिकारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष इंद्रभूषण तिवारी का कहना है कि हमारी मांग है कि नियमितीकरण किया जाए, इसके अभाव में न्यूनतम वेतनमान दिया जाए। सेवानिवृत्ति पर कार्यकर्ता को 5 लाख, मिनी कार्यकर्ता को 3 लाख, महायिकाओं को दो लाख दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सेवानिवृत्ति होने पर ग्रेच्युटी लाभ, आकस्मिक मृत्यु पर कार्यकर्ता को 5 लाख, मिनी को 3 लाख, सहायिकाओं को दो लाख दिया जाए। पर्यवेक्षक के पद पदोन्नति या विभागीय परीक्षा से कार्यकर्ताओं सहायिकाओं से भरें। मिनी आंगनबाड़ी को पूर्ण दर्जा दिया जाए।