मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। अपनी सुख सुविधाओं को
प्राथमिकता देने वाले प्रदेश के आला अफसरों को आम आदमी की तो ठीक सरकारी खजाने तक की ङ्क्षचता नहीं रहती है। यही वजह है कि हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष में सरकारी खजाने को 15 अरब रुपए से अधिक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। दरअसल प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग ने समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए सभी तरह के करों की वसूली से 68912 करोड़ रुपए की आय का लक्ष्य तय किया था। इसके एवज में पूरे साल में 67369 करोड़ 22 लाख रुपए की ही वसूली की जा सकी है। इनमें भी कुछ विभाग ऐसे हैं जिनके लिए तय किए गए लक्ष्य की तुलना में अधिक करों की वसूली की गई है।
यह बात अलग है कि बीते वित्तीय वर्ष में प्रदेश सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर कई तरह की उपलब्धियां हासिल की है, उसके बाद भी राजस्व वसूली के मामले में प्रदेश तय लक्ष्य को हासिल करने में फिसड्डी साबित हुआ है। यही नहीं बीते साल कई विभाग ऐसे भी रहे हैं , जो विभिन्न मदों में मिली राशि को भी खर्च करने में पूरी तरह से नकारा साबित हुए हैं। इसमें भी खास बात यह है कि बैट से मिलने वाली राशि से सर्वाधिक कमाई की गई है। इसकी वजह रही है पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में लगातार वृद्धि होना, लेकिन अगर अन्य सेक्टरों की बात की जाए तो सरकार लक्ष्य के मुताबिक करों की वसूली नहीं कर सकी है। इसमें आबकारी विभाग भी शामिल है। इसकी जो वजह बताई जा रही है उसके मुताबिक लोगों में शराब पीने को लेकर बेरुखी रही है, तो वहीं शराब की अन्य राज्यों की तुलना में दाम अधिक होना माना जा रहा है। इसकी वजह से आसपास के इलाकों से जमकर सस्ती शराब की तस्करी भी होने की खबरें आती रहीं, लेकिन जिम्मेवार उस पर लगाम लगाने में नाकाम बने रहे। इसके अलावा कुछ हद ताक इस मामले में सरकारी जागरुकता को भी श्रेय दिया जा रहा है। अब इस साल तो सरकार ने प्रदेश में अहातों पर प्रतिबंध भी लगा दिया है, जिसकी वजह से इस साल भी शराब की बिक्री में कमी आने का अनुमान लगाया जा रहा है, हालांकि इसमें कितनी कमी आएगी इसका पता आने वाले तिमाही की समाप्ति पर ही चल पाएगा। गौरतलब है कि सरकार ने प्रदेश में इस साल से 2611 अहातों को बंद कर दिया गया है, वहीं मंदिर, स्कूल, कॉलेज अस्पताल परिसर से 100 मीटर के दायरे में आने वाले 232 शराब दुकानों को भी बंद कर दिया है। इससे संभावना जताई जा रही है कि नए वित्तीय वर्ष में आबकारी से आमदनी जरुर कुछ प्रभावित होगी, लेकिन माना जा रहा है कि इसके एवज में प्रदेश में बारों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी जिससे सरकार को कुछ हद तक राहत मिल सकती है। हालांकि राज्य सरकार ने अधिक राजस्व जुटाने के लिए आबकारी शुल्क और ठेके के दामों में वृद्धि की है। इधर सरकार के पास वित्तीय वर्ष 2022-23 की अवधि के राजस्व संग्रहण के आंकड़े सामने आ चुके हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ आबकारी महकमे ने ही बेट के मामले में तय किए गए लक्ष्य की तुलना में अधिक कमाई की है, बाकि सभी में लक्ष्य हासिल करने में फिसड्डी साबित हुए हैं। अगर आबकारी महकमे की बात की जाए तो वेट में ही सरकार को तय लक्ष्य से 29 फीसदी राशि अधिक मिली है, लेकिन जब शराब की बिक्री से होने वाली आय की बात आती है तो इसका आंकड़ा बमुश्किल 97 फीसदी तक ही पहुंच पाया है। दरअसल प्रदेश सरकार ने शराब की बिक्री से 13255 करोड़ रुपए कमाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इससे महज 12849 करोड़ 68 लाख रुपए ही मिल सके हैं। इसकी वजह से सरकारी खजाने को 405 करोड़ 32 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। लेकिन अगर शराब पर लगने वाले वेट की बात की जाए तो इससे खजाने में जरुर 129 फीसदी राशि आयी है। सरकार द्वारा वेट से होने वाली आय का लक्ष्य 1470 करोड़ रुपए तय किया था, लेकिन इससे 1895 करोड़ 63 लाख रुपए की आय हुई है। यानि की लीकर वैट से सरकार को 425 करोड़ 63 लाख रुपए से अधिक मिले हैं।
इन करों की आय में भी पिछड़े
प्रदेश सरकार के कई विभाग भी ऐसे हैं जो तय किए गए लक्ष्य को पूरा करने में नाकाम साबित हुए हैं, इनमें प्रोफेशनल टैक्स भी शामिल है। सरकार ने इससे 350 करोड़ रुपए की आय का लक्ष्य तय किया था , लेकिन इससे 349 करोड़ 3 लाख रुपए की ही आय हो सकी, जो तय किए गए लक्ष्य की तुलना में महज 97 फीसदी है। इस कर की वसूली कोचिंग सेंटर, डॉक्टरों, आर्किटेक्ट, टेंट कारोबारियों से की जाती है। इसी तरह से पंजीयन और मुद्रांक शुल्क के मामले में भी तय लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सका है। यह हाल तब रहा है ,जबकि प्रदेश में जमीनों, घरों की जमकर खरीदी बिक्री हुई। इसके बाद भी तय किए गए 9200 करोड़ रुपए के लक्ष्य की तुलना में विभाग इस मद में 8916 करोड़ 89 लाख रुपए ही जुटा सका है। जो कि तय लक्ष्य का 96 फीसदी होता है। इसकी वजह से सरकार को इससे 283 करोड़ 11 लाख रुपए के नुकसान का सामना करना पड़ा है।
आय के मामले में मिली बड़ी सफलता
अगर आय के मामले में बीते दोनों सालों की तुलना की जाए तो वित्त वर्ष 2021-22 की अवधि की तुलना में बीते साल 11189 करोड़ 23 लाख रुपए अधिक की आय हुई है। 2021-22 में सभी तरह के टैक्स और शुल्क से सरकार को 56179 करोड़ 99 लाख रुपए की आय हुई थी, जो कि 2022-23 में बढक़र 67369 करोड़ 22 करोड़ रुपए हो गई है।
जीएसटी में लगा सर्वाधिक फटका
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 की अवधि के लिए सीसीटी और जीएसटी से होने वाली आय का लक्ष्य 28 हजार करोड़ रुपए तय किया था , लेकिन वाणिज्यिक कर विभाग इस लक्ष्य को पाने में फिसड्डी साबित हुआ है। विभाग को इस मद में 27170 करोड़ 96 लाख रुपए की ही आय हो सकी है जिसकी वजह से सरकार को 829 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। इसी तरह से अगर डीजल, पेट्रोल से होने वाली आय की बात की जाए तो इस मद में भी सरकार को नुकसान उठाना पड़ा है। इस मद में सरकार ने 16637 करोड़ रुपए की आय का लक्ष्य तय किया था, लेकिन इस लक्ष्य को महज 97 फीसदी ही हासिल किया जा सका। इससे सरकार को 16187 करोड़ 3 लाख रुपए की आय हुई जिसकी वजह से सरकार को 449 करोड़ 97 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।