मिशन 200 पार के लिए भाजपा ने बनाई रणनीति।
गुजरात की तरह मप्र में भी रिकॉर्ड जीत हासिल करने के फॉर्मूले पर काम कर रही भाजपा ने मिशन 200 पार के लिए अब नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इस रणनीति के तहत 103+57 यानी 160 सीटों को कमजोर मानकर इनको जीतने का फॉर्मूला तैयार किया है। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि अगर इन सीटों को जीत लिया गया तो इस बार मप्र में भाजपा जीत के सारे रिकॉर्ड बना लेगी। जानकारों का कहना है कि नई रणनीति पर भाजपा ने काम करना भी शुरू कर दिया है।
दरअसल, साल 2018 के आम चुनाव में नंबर गेम में पिछडऩे के बाद भाजपा ने अब इस बार के विधानसभा चुनाव को लेकर हारी हुई 103 सीटों को जीतने के लिए रणनीति पहले ही बना ली है। साथ ही इस अभियान में पार्टी ने 57 ऐसी अन्य सीटों को भी जोड़ लिया है ,जहां पार्टी अपने आप को कमजोर मान कर चल रही है। इन 160 विधानसभाओं को जीतने के लिए भाजपा ने रणनीति पर काम शुरु कर दिया है। इन्हीं सीटों पर हारे हुए बूथों को जीतने से लेकर प्रत्याशियों के चयन की एक्सरसाइज भी संगठन अभी से शुरु की है।
124 सीटें थीं आकांक्षी की कैटेगरी में
भाजपा संगठन के एक पदाधिकारी ने बताया कि 2018 विधानसभा चुनाव के बाद आए परिणामों की समीक्षा में 124 सीटें ऐसी थीं, जिन्हें आकांक्षी की श्रेणी में चिन्हित किया गया था। लेकिन 2018 से अब तक हुए 34 सीटों के उपचुनाव ने बाजी पलट दी। भाजपा को इन 34 उपचुनावों में से 21 सीटों को जीतने में कामयाबी मिली। इन उपचुनाव में कुछ सीटें ऐसी थीं, जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी तीसरे और चौथे नंबर पर पहुंच गए थे। इस तरह पार्टी ने कुछ 160 ऐसी सीटों को चिन्हित किया है जिन्हें पार्टी हर हाल में जीतने का प्रयास करेगी। भाजपा सूत्रों का कहना है कि ये वे सीटें हैं जहां भाजपा को जीतने के लिए दमदारी से किला लड़ाना पड़ेगा। यानी ये सीटें काफी मुयिकल मानी जा रही हैं।
51 फीसदी से अधिक वोट का टारगेट
भाजपा ने 200 सीटें जीतने के लिए 51 फीसदी वोट का टारगेट रखा है। दरअसल, भाजपा 2018 की गलतियों को दोहराना नहीं चाहती। इस कारण से उसने पूरा फोकस आदिवासियों, दलितों, महिलाओं और युवाओं पर कर रखा है। एंटी इन्कंबेंसी को दूर करने के लिए 40 फीसदी तक मौजूदा विधायकों के टिकट कट सकते हैं। खासतौर पर उन विधायकों के टिकट खतरे में हैं जिनकी उम्र हो चुकी है और जो चार या पांच बार से विधायक हैं। इसके अलावा पिछली बार कम अंतर से जीते विधायकों को भी रेड जोन में रखा गया है। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में एकजुटता के साथ ही नाराज और रूठे हुए कार्यकर्ता और नेताओं को मनाने में भी लगी हुई है। इसके लिए सभी दिग्गजों को मैदान में उतारा गया है। पार्टी का पूरा चुनाव अभियान केंद्रीय रणनीति के हिसाब से चल रहा है। गौरतलब है कि 2020 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने 2018 में हारी इन 21 सीटों जौरा, अम्बाह, मेहगांव, ग्वालियर, भांण्डेर, पोहरी, बमोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी, पृथ्वीपुर, बड़ामलहरा, अनूपपुर, सांची, हाटपिपल्या, मांधाता, नेपानगर, जोबट, बदनावर, सांवेर और सुवासरा को जीत लिया है। लेकिन पार्टी इन्हें भी चुनौतिपूर्ण मानकर चल रही है।
70 सीटों पर भाजपा मजबूत
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने जो रणनीति बनाई है उसके अनुसार वह 70 सीटों पर काफी मजबूत है। यानी भाजपा इन सीटों को जीता मानकर चल रही है। ये सीटें वह हैं जहां, भाजपा पिछले तीन या उससे अधिक बार से चुनावों में हारी नहीं हैं। जाहिर है भाजपा के रणनीतिकार इस बार मुकाबला बेहद कठिन मान रहे हैं। ऐसे में पार्टी का पूरा फोकस 160 सीटों पर रहेगा। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 41 फीसदी और कांग्रेस को 40.9 फीसदी मत मिले थे। भाजपा केवल 4337 वोटों का कारण 7 सीटों पर हार गई थी। इस कारण उसे सत्ता गंवानी पड़ी थी। पिछले चुनाव में 18 सीटें ऐसी थी जहा,ं भाजपा 1000 के लगभग अंतर से हारी। 30 सीट ऐसी थी जहां , पार्टी को 3000 से कम मतों से पराजय का मुंह देखना पड़ा। 45 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच 3 से 5000 वोटों का अंतर था । यह सभी सीटें भाजपा हार गई थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर दक्षिण ऐसी सीट थी, जहां कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने भाजपा उम्मीदवार को मात्र 121 मतों से हराया था। इसी तरह सुवासरा सीट पर भाजपा 350 मतों से हारी थी। कुल मिलाकर 7 सीट ऐसी थी जहां , भाजपा 500 से कम मतों से हारी थी। पार्टी ने क्षेत्र के अनुसार तथा पिछले चुनाव के रिकॉर्ड के आधार पर मध्यप्रदेश की विधानसभा सीटों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया है। पार्टी उसी हिसाब से अपनी रणनीति बना रही है।
ये 103 विधानसभाएं भाजपा के लिए बनी चुनौती
श्योपुर, सबलगढ़, सुमावली, मुरैना, दिमनी, भिंड, लहार, गोहद, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा, सेंवड़ा, करेरा, पिछोर, चाचौड़ा, राघोगढ़, चंदेरी, देवरी, बंडा, महाराजपुर, राजनगर, छतरपुर, बिजावर, पथरिया, दमोह, गुनौर, चित्रकूट, रैगांव, सतना, सिंहावल, कोतमा, पुष्पराजगढ़, बड़वारा, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर पश्चिम, शहपुरा, डिंडोरी, बिछिया, निवास, बैहर, लांजी, वारासिवनी, कटंगी, बरघाट, लखनादौन, गोटेगांव, तेंदूखेड़ा, गाडरवारा, जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, चौरई, सौसर, छिंदवाड़ा, परासिया, पांढुर्णा, मुलताई, बैतूल, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, उदयपुरा, विदिशा, भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, ब्यावरा, राजगढ़, खिलचीपुर, सुसनेर, आगर, शाजापुर, कालापीपल, सोनकच्छ, बुरहानपुर, भीकनगांव, बड़वाह, महेश्वर, कसरावद, खरगोन, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर, पानसेमल, अलीराजपुर, झाबुआ, थांदला, पेटलावद, सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, धर्मपुरी, देपालपुर, इंदौर -1, राऊ, नागदा, तराना, घट्टिया, बडनग़र, सैलाना, आलोट।
बड़े अंतर से हारी हुई सीटें
श्योपुर- 41710, सेंवढ़ा- 33268, राघौगढ़- 46697, सिंहावल- 31506, पुष्पराजगढ़- 21401, बड़वारा- 21360, जबलपुर पूर्व- 35136, शहपुरा- 33960, डिण्डोरी- 32050, बिछिया- 21388, निवास- 28315, बैहर- 16480, लांजी- 18696, कटंगी- 11750, लखनादौन- 12276, गोटेगांव- 15363, गाडरवारा- 15363, जुन्नारदेव- 22688, अमरवाड़ा- 18163, चौरई- 13004, सौंसर – 23472, छिंदवाड़ा- 25566, परासिया- 12734, पांढुर्णा- 21349, मुलताई- 17250, बैतूल – 21645, घोडाडोंगरी- 17297, भैंसदेही- 30880, सांची- 10813, विदिशा- 15454, भोपाल उत्तर- 34857, भोपाल मध्य- 14757, राजगढ़- 31183, शाजापुर- 44979, कालापीपल- 13699, भीकनगांव- 27257, महेश्वर- 35836, सेंधवा- 15878, पानसेमल- 25222, अलीराजपुर- 21962, थांदला- 31151, सरदारपुर- 36205, कुक्षी- 38831, मनावर- 39501, धरमपुरी- 13972, सैलाना- 28498।