160 सीटों पर संघ ने दी… मेहनत करने की नसीहत

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में अब चंद माह बाद


ही विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजना है। ऐसे में भाजपा द्वारा प्रदेश में 51 फीसदी मतों के साथ ही इस बार भी 200 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए पार्टी द्वारा लगातार कार्यकर्ताओं को अबकी बार दो सौ बार को नारा बीते एक साल से दिया जा रहा है। इस बीच पार्टी से लेकर सत्ता व संघ द्वारा जो सर्वे कराए गए हैं , उससे पार्टी के सामने बड़े संकट की आहट ही सामने आ रही है। इसकी वजह है किसी भी सर्वे में अब तक सत्ता में वापसी के लिए जरुरी आंकड़ा तक पहुंचना आसान नहीं बताया गया है। यही नहीं जो संभावित जीत के आंकड़े बताए जा रहे हैं उनमें 60 से लेकर 80 सीटें ही भाजपा को मिलती बताई जा रही हैं। यही वजह है कि अब इस मामले में पर्दे के पीछे से पूरी तरह संघ सक्रिय हो गया है। संघ ने अपने आंकलन व तमाम सर्वे रिपोर्ट के आधार पर अब प्रदेश भाजपा के संगठन व सत्ता को ऐसी 160 सीटों की सूची सौंपी है, जहां पर पार्टी के लिए जीत बेहद मुश्किल बनी हुई है। इसके साथ ही इन सीटों पर जरूरी कदम उठाने के साथ ही मेहनत करने को कहा है। बताया जा रहा है कि संघ द्वारा दी गई सूची में उन 57 सीटों के भी नाम हैं , जिन पर अभी भाजपा विधायक हैं और उन पर पार्टी की हार तय मानी जा रही है। इसके साथ ही बताया गया है कि अभी की स्थिति में में भाजपा अपने कब्जे वाली 127 सीटों में से महज 70 सीटों पर ही जीतने की स्थिति में है। इस हिसाब से देखें तो अभी भाजपा दो सौ तो ठीक इसकी आधी सीटों पर जीत दर्ज करने की स्थिति में भी नही है। दरअसल भाजपा द्वारा 3 सर्वे और संघ द्वारा करीब आधा दर्जन बार सर्वे कराया जा चुका है। इन सर्वे में हर बार स्थिति पहले से अधिक खराब होती बताई गई है। इसकी वजह से ही बीते कई सालों से भाजपा के बड़े नेताओं के साथ ही संघ के नेताओं का फोकस मप्र पर बना हुआ है। दरअसल इस बार भी प्रदेश में सरकार और मंत्रियों के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकम्बेंसी है। इसको समाप्त करने के लिए लगातार कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं , लेकिन इसके बाद भी स्थिति में सुधार होता नहीं दिख रहा है। इसके पीछे की जो वजहें बताई जा रहीं हैं, उसके मुताबिक मंत्री मिलते नहीं हैं और अफसर काम करते नही हैं। कर्मचारी भी बगैर लक्ष्मी जी की कृपा हासिल किए काम करने को तैयार नहीं होते हैं। आम जनता तो ठीक भाजपा कार्यकर्ता तक को सरकारी महकमा तवज्जो नहीं देता है। भ्रष्टाचार के मामले में भी सरकार व शासन स्तर पर कोई बड़ा कदम उठता नहीं दिखता है। यही वजह है कि लोगों में नाराजगी कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही है।
भाजपा की मौजूद यह सीटें कमजोर
भाजपा वर्तमान समय में जिन 127 सीटों पर काबिज है, उनमें से 57 सीटों पर हार का खतरा मंडरा रहा है। ये सीटें हैं- विजयपुर, जौरा, अम्बाह, मेहगांव, ग्वालियर, भांडेर, पोहरी, कोलारस, बमोरी, गुना, अशोकनगर, मुंगावली, बीना, नरियावली, टीकमगढ़, निवाड़ी. जतारा, पृथ्वीपुर, खरगापुर, चंदला, मल्हरा, जबेरा, पवई, नागौद, अमरपाटन, रामपुर बघेलान, देवतालाब, चुरहट, सीधी, सिंगरौली, ब्यौहारी, अनूपपुर, मुडवारा, सिहोरा, मंडला, परसवाड़ा, आमला, टिमरनी, सिवनी मालवा, सांची, बासौदा, हाटपिपल्या, मांधाता, पंधाना, नेपानगर, बड़वानी, जोबट, धार, बदनावर, इंदौर-5, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, रतलाम ग्रामीण, जावरा, सुवासरा, मनासा, नीमच आदि ।
इन उपचुनाव वाली सीटों पर भी बड़ा खतरा
प्रदेश में भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का आलम यह है कि उपचुनाव वाली सीटों पर भी पार्टी की स्थिति खराब बताई जा रही है। दरअसल 2020 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने 2018 में हारी जिन 21 सीटों जौरा, अम्बाह, मेहगांव, ग्वालियर, भांण्डेर, पोहरी, बमोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी. पृथ्वीपुर, बड़ामलहरा, अनूपपुर, सांची, हाटपिपल्या, मांधाता, नेपानगर, जोबट, बदनावर, सांवेर और सुवासरा को जीता था, उन पर भी अभी से संघर्ष की स्थिति बताई जा रही है। इस वजह से इन सीटों पर भी अतिरिक्त मेहनत की दरकार बनी हुई है।
आधा सैकड़ा सीटों पर जीत की चुनौती
गुजरात में मिली बड़ी जीत को मप्र में भाजपा दोहराना चाहती है, लेकिन अब तक पार्टी गुजरात जैसे कड़े कदम नहीं उठा सकी है, जिसकी वजह से वैसा माहौल नहीं बन पा रहा है। इसके बाद भी प्रदेश में भाजपा वहां किए गए संगठन स्तर के फॉर्मूले पर काम कर रही है, वहीं दूसरी तरफ संघ की रिपोर्ट में 160 सीटों पर दयनीय स्थिति बताई गई है। दरअसल, साल 2018 के आम चुनाव में बहुमत से पीछे रहने की वजह से भाजपा हारी हुई सीटों को जीतने की रणनीति पर काम कर रही थी ,लेकिन संघ ने भाजपा के कब्जे वाली 57 सीटों को कमजोर बताकर पार्टी की चिंताएं बढ़ा दी है। अब भाजपा के सामने बहुमत तक पहुंचने के लिए इन 160 सीटों में से आधा सैकड़ा सीट जीतने की चुनौती बनी हुई है।
यह सीटें बनी हुई हैं भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, ब्यावरा, राजगढ़, खिलचीपुर, सुसनेर, आगर, शाजापुर, कालापीपल, सोनकच्छ, बुरहानपुर, भीकनगांव, बड़वाह, महेश्वर, श्योपुर, सबलगढ़, सुमावली, मुरैना, दिमनी, भिंड, लहार, गोहद, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा, सेंवड़ा, करेरा, पिछोर, चाचौड़ा, राघोगढ़, चंदेरी, देवरी, बंडा, महाराजपुर, राजनगर, छतरपुर, बिजावर, पथरिया, दमोह, गुनौर, चित्रकूट, रेगांव, सतना, सिंहावल, कोतमा, पुष्पराजगढ़, बड़वारा, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर पश्चिम, शहपुरा, डिंडोरी, बिछिया, निवास, बैहर, लांजी, वारासिवनी, कटंगी, बरघाट, लखनादौन, गोटेगांव, तेंदूखेड़ा, गाडरवारा, जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, चौरई, सौसर, छिंदवाड़ा, परासिया, पांढुर्णा, मुलताई, बैतूल, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, उदयपुरा, विदिशा, कसरावद, खरगोन, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर, पानसेमल, अलीराजपुर, झाबुआ, थांदला, पेटलावद, सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, धर्मपुरी, देपालपुर, इंदौर-1, राऊ, नागदा, तराना, घट्टिया, बडऩगर, सैलाना, आलोट।