पहली सूची में ज्यादातर नाम मौजूदा विधायकों के रहेंगे…
भोपाल।मंगल भारत। मप्र में विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। 7 दिसंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। प्रदेश में जहां एक तरफ भाजपा कार्यक्रमों और योजनाओं का ऐलान कर रही है, तो वहीं कांग्रेस अभी से उम्मीदवारों पर विचार कर रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि लगभग 100 सीटों पर टिकट तय हो गए हैं। पहली सूची में ज्यादातर नाम मौजूदा विधायकों के रहेंगे। कांग्रेस चुनाव से करीब 5 महीने पहले ही टिकट देने की तैयारी में हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के टिकट जून में ही घोषित हो जाएंगे। प्रदेश में कांग्रेस को मिली सत्ता जाने के बाद इस बार पूरी कोशिश होगी कि पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाए। इसके लिए पार्टी ने उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए फॉर्मूला भी बना दिया है। लगातार हारने वाली सीटों पर सबसे पहले प्रत्याशियों की घोषणा होगी। कांग्रेस करीब 100 सीटों पर जून में उम्मीदवार उतार देगी। 17 अप्रैल को पीसीसी चीफ कमलनाथ ने बड़ी बैठक बुलाई है। इस बैठक में फाइनल रणनीति तैयार होगी। प्रदेश की करीब 40 सीटों पर इसी महीने सहमति बन जाएगी। 5 महीने पहले टिकट मिलने से प्रत्याशी को भरपूर समय मिलेगा। लोगों के बीच काम करने का समय मिल सकेगा। कांग्रेस का मानना है कि 5 महीने पहले टिकट देकर भाजपा से सीट छीनी जा सकती है।
हारी हुई सीटों पर फोकस
कांग्रेस ने हारी हुई सीटों पर दिग्गज नेताओं को उतारा है। कमलनाथ से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तक हारी हुई सीटों का दौरा कर रहे हैं। दिग्विजय ने मंडल सेक्टर की बैठक मोर्चा प्रकोष्ठों पर फोकस किया है। भाजपा के गढ़ में सेंध लगाकर कमलनाथ जनसभा और कार्यकर्ताओं को मजबूत कर रहे हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता भाजपा के गढ़ों में कार्यकर्ताओं को जोश भरने और जगाने का काम कर रहे हैं। वहीं कमलनाथ प्रत्याशी चयन को लेकर बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं। अंदरूनी तौर पर दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा अलग-अलग माध्यमों से सर्वे करा रहे हैं। लेकिन प्रत्याशियों के नाम के ऐलान में कांग्रेस पूर्व के चुनावों की भांति इस बार भी सबसे आगे हो सकती है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने 100 टिकट तय कर लिए हैं। इनमें से ज्यादातर नाम मौजूदा विधायकों में से ही हैं जबकि कुछ नाम नए एवं कुछ पिछले चुनावों में हार चुके नेताओं के भी शामिल हैं। यदि सब कुछ ठीक रहा तो कांग्रेस अगले दो महीने के भीतर कुछ सीटों से प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर सकती है।
तैयारियां करने का संकेत
पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने जिन नेताओं को चुनाव लड़ाने का मन बना लिया है, उनको क्षेत्र में तैयारी करने का इशारा भी कर दिया है। यहां बता दें कि निकाय चुनाव में भी कांग्रेस ने टिकट की घोषणा से पहले नेताओं को संकेत दे दिए थे। इसी रणनीति पर चर्चा के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने 17 अप्रैल को बैठक बुलाई है। कांग्रेस विन्ध्य, बुंदेलखंड और भोपाल होशंगाबाद क्षेत्र में सबसे ज्यादा कमजोर है। अगले चुनाव में कांग्रेस इन क्षेत्रों में ज्यादातर चेहरे नए उतारेगी। जबकि जो मौजूदा विधायक हैं। उनमें से कुछ को छोडक़र सबके टिकट रिपीट हो सकते हैं। इसी तरह ग्वालियर-चंबल अंचल में कांग्रेस के 17 विधायक हैं। इनमें से 13 या 14 की वापसी हो सकती है। 1-2 विधायकों की भाजपा से नजदीकी पार्टी के संज्ञान में है। वहीं विधायकों की मौजूदा संख्या के हिसाब से कांग्रेस महाकौशल क्षेत्र में सबसे ज्यादा मजबूत है। हालांकि क्रॉस वोटिंग के चलते इस क्षेत्र के कुछ विधायकों के टिकट कटेंगे, लेकिन ज्यादातर को फिर मौका मिलेगा। इसी तरह मालवा-निमाड़ में भी कांग्रेस पिछले चुनाव की अपेक्षा ज्यादा मजबूत है। क्रॉस वोटिंग मामले में इस क्षेत्र के कुछ विधायक नजर में आए हैं ,आखिरी समय में ऐसे विधायकों के टिकट पर कैची चल सकती है।
22 विधायकों का टिकट कटेगा
पार्टी सूत्रों की मानें तो पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों के मामले को कमलनाथ ने गंभीरता से लिया है। संगठन ने अपने स्तर पर क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की पहचान की है। हाईकमान को भरोसे में लेकर इन विधायकों को अगला टिकट नहीं मिलेगा। इसको लेकर पार्टी में अदरूनी तौर पर मंथन हो चुका है। गौरतलब है कि मप्र 230 विधायकों में कांग्रेस के 96 हैं। इनमें से राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को 79 वोट ही मिले। जबकि भाजपा के 127 विधायक के मुकाबले 146 वोट द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में पड़े। जबकि पांच वोट निरस्त हुए हैं। राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू को कांग्रेस सहित अन्य दलों के भी वोट मिले थे। कांग्रेस के 17 विधायकों ने पार्टी के निर्देशों के विपरीत मतदान किया था। हालांकि कांग्रेस मानकर चल रही है कि कांग्रेस के 22 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। निरस्त होने वाले मत भी कांग्रेस के ही थे। यदि ऐसे विधायकों को फिर से टिकट दिया जाता है तो फिर जीतने के बाद पार्टी से गद्दारी की भी संभावना है। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व ने क्रॉस वोटिंग करने वाले किसी विधायक का नाम सार्वजनिक नहीं किया है।