गैम्बलिंग के चलते आत्महत्या, अपराध के केस बढ़े
भोपाल/मंगल भारत। भारत ऑनलाइन गैम्बलिंग यानी जुए का बड़ा बाजार बनता जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन गैम्बलिंग या ऑनलाइन सट्टे का क्रेज काफी बढ़ा है। फैंटेसी क्रिकेट, ऑनलाइन रमी, पोकर, तीन पत्ती, फेयर प्ले जैसे न जाने कितने गैम्बलिंग प्लेटफॉर्म एक्टिव हैं।
महामारी ने भारत में सट्टेबाजी युक्त ऑनलाइन गेमिंग को बढ़ावा दिया है। विश्लेषकों के अनुसार, भुगतान से जुड़े गेमिंग बाजार में 2.4 करोड़ (24 मिलियन) से अधिक भारतीय जुड़ गए हैं। इसका असर मप्र पर भी तेजी से बढ़ रहा है। गृह मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय बिजनेस एडवाइजरी कंपनी केपीएमजी के आंकड़ों के मुताबिक, आरएमजी यानी ऑनलाइन रीयल मनी गेमिंग का भारतीय बाजार लगातार फल-फूल रहा है। वित्त वर्ष 2021 में यह लगभग 50 अरब डॉलर का था, जिसके वर्ष 2025 में बढक़र 61 अरब डॉलर तक से जाने का अनुमान है। ऑनलाइन गैम्बलिंग का यह फैलता बाजार बड़ी तादाद में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को लुभा रहा है। इसी का नतीजा है कि ऑनलाइन गैम्बलिंग के लिए आज यहां फेंटेसी क्रिकेट, प्ले एंड विन, माई 11 सर्किल, ऑनलाइन रमी, पोकर तीन पत्ती, बबल गेम, फेटार प्ले कैसिनो जैसे दर्जनों गैम्बलिंग प्लेटफॉर्म शामिल हैं, जो धड़ल्ले से पूरे देश में लोगों को लूटने में लगे हैं। कोई क्रिकेट में सट्टा लगवाता है, कोई ताश के खेल खिलाता है तो कोई लूडो खिलवाकर पैसे कमाता है। बच्चों और युवाओं में ऑनलाइन गैम्बलिंग का लत महामारी का रूप लेता जा रहा है। छतरपुर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में 13 वर्षीय कृष्ण इसलिए फंदे पर झूल गया क्योंकि उसे ऑनलाइन गेम खेलने की आदत थी और मां के बैंक एकाउंट से 40 हजार रुपए हार गया था। भोपाल के शंकराचार्य नगर बजरिया के 11 वर्षीय सूर्यांश ने इसी ऑनलाइन गेम के चलते फांसी लगा ली। भोपाल का 37 साल का युवक अमेरिका में इंजीनियर था। कोविड में लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन गैम्बलिंग की लत लग गई। वह मोबाइल पर तीन पत्ती खेलने लगा शुरुआत में तो फायदा हुआ, लेकिन लालच में आकर उसने 6-7 साल में करीब 40 लाख रुपए गंवा दिए हैं। अभी उसकी काउंसलिंग चल रही है। सिंगरौली के सनत के नाना से बुढ़ापे के लिए पाई-पाई जोडक़र बैंक में कुछ लाख रुपए जमा किए थे। एक दिन उन्हें पता चला कि बैंक से साढ़े आठ लाख रुपए किसी ने उनके नाम पर निकाल लिए हैं।
40 प्रतिशत इंटरनेट यूजर्स खेलते हैं जुआ
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 40 प्रतिशत इंटरनेट यूजर्स जुआ खेलते हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। इसे देखते हुए यह कोरोना से भी बड़ी महामारी बनते जा रहा है। मकसद सबका एक ही है, इंस्टेंट मनी हासिल करने के पीछे पागल लोगों की कमजोरी का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाएं। मुनाफे की इस अंधी दौड़ में इन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि इनकी वजह से कौन अपराधी बन रहा है, कौन साइबर अपराधों का शिकार बन रहा है, कौन अवसाद में पहुंच चुका है और कौन खुदकुशी कर रहा है। पिछले साल 1 अप्रैल को कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकोस ने ऑनलाइन गेमिंग (रेगुलेशन) बिल, 2022 पेश किया था। जिसमें बताया गया था कि भारत में साल 2022 में लगभग 42 करोड़ सक्रिय ऑनलाइन गेमर्स हैं। साल 2021 में लगभग 39 करोड़ (390 मिलियन), 2020 में 36 करोड़ और 2019 में 30 करोड़ (300 मिलियन) सक्रिय गेमर्स दर्ज किए गए थे। भारतीय ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री हर साल करीब 30 प्रतिशत की दर से फल-फूल रही है। इसी बिल में बताया गया था कि साल 2025 तक इसके 5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
मप्र सरकार बना रही कानून का मसौदा
ऑनलाइन गैंबलिंग के बढ़ते मामलों के बाद अब केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग में सट्टेबाजी और दांव लगाने से संबंधित किसी भी गेम को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। ऑनलाइन गेम को मंजूरी देने का फैसला इस बात को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा कि उस गेम में किसी तरह से दांव या बाजी लगाने की प्रवृत्ति तो शामिल नहीं है। अगर एसआर ओ (सेल्फ रेगुलेटरी ऑर्गनाइजेशन) की यह पता चलता है कि किसी ऑनलाइन गेम में दांव लगाया जाता है तो वह उसे मंजूरी नहीं देगा।