अपनों को साधो… भाजपाई असंतुष्टों को बांधो

कांग्रेस के 16 नेताओं को सौंपी 52 जिलों की कमान.

सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस हर संभव प्रयास कर रही है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की कोशिश है कि पार्टी में कोई असंतुष्ट न रहे। इसके लिए अब कांग्रेस ने भी भाजपा की तरह ही अपने 16 नेताओं को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी सौंप कर जिला स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं की गुटबाजी को खत्म करने, समन्वय बनाने और जमीनी फीडबैक लेने की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं नेताओं को निर्देशित किया गया है की भाजपा के जो नाराज नेता हैं, उन्हें रिझाकर अपनी पार्टी से बांधो(जोड़ो)। कांग्रेस की राजनीतिक मामलों की कमेटी की बैठक में नेताओं को जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया गया है। ये नेता पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की तरह की अलग-अलग जिलों का दौरा करेंगे और रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंपेंगे। प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब 6 माह का समय बचा है। इसके पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर चुनावी अभियान को तेज करना चाहती है। इस कालखण्ड में कांग्रेस जिलों में नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी, गुटबाजी को खत्म करना और संगठन के जमीनी स्तर तक का फीडबैक लेना चाहती है। इसके लिए कांग्रेस के 16 वरिष्ठ नेताओं को तीन-चार जिलों की जिम्मेदारी सौंपी है। ये नेता जिलों में प्रवास करके कार्यकर्ताओं से बातचीत के आधार पर संगठन की स्थिति, कार्यकर्ताओं की नाराजगी और वचन पत्र के लिए सुझाव आदि पर चर्चा करेंगे। संबंधित जिले के प्रभारी नेता जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं में आपसी समन्वय बनाने का काम करेंगे। उनके बीच मनमुटाव को दूर करेंगे। आगामी चुनाव के लिए संभावित जिताऊ उम्मीदवारों का पैनल बनाकर जिले की रिपोर्ट पीसीसी को सौंपेंगे।
भाजपा के असंतुष्टों पर नजर
भाजपा के आंतरिक सर्वे और फीडबैक में पूछपरख न होने से कार्यकर्ताओं के असंतुष्ट होने की बात सामने आई है। कांग्रेस इसे एक अवसर के रूप में देख रही है। कांग्रेस की नजर भाजपा के असंतुष्ट नेताओं पर है। इनसे संपर्क करने के लिए पार्टी ने 16 वरिष्ठ नेताओं को क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने तय किया है कि जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं का जनाधार है, उन्हें बड़े कार्यक्रमों में कांग्रेस में शामिल कराया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस ने चुनाव अभियान की जो कार्ययोजना बनाई है, उसमें भाजपा के असंतुष्ट नेताओं से संपर्क करना भी शामिल है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ सहित अन्य नेता यह दावा कर चुके हैं, कि भाजपा के कई नेता उनके संपर्क में हैं, जिन्हें समय आने पर पार्टी में शामिल कराया जाएगा। उधर, भाजपा अपने नाराज कार्यकर्ताओं को मानने में जुटी है। वरिष्ठ नेता अलग-अलग जिलों में ऐसे कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ सामूहिक बैठकें और अलग-अलग चर्चा भी कर रहे हैं। कांग्रेस नवंबर में होने वाले चुनाव में ऐसा कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहती है, जो उसकी जीत की संभावनाओं को बल देता हो। यही कारण है कि पिछले माह निमाड़ क्षेत्र में असर रखने वाले भाजपा के पूर्व सांसद माखन सिंह सोलंकी को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और मुंगावली के पूर्व विधायक राव देशराज सिंह यादव के पुत्र यादवेंद्र सिंह यादव को कमल नाथ की उपस्थिति में कांग्रेस की सदस्यता दिलाई गई थी। विंध्य क्षेत्र में प्रभाव रखने वालीं बसपा से पूर्व विधायक शीला त्यागी भी कांग्रेस में शामिल हो चुकी हैं।
उधर, प्रदेश के कृषि मंत्री और छिंदवाड़ा के प्रभारी कमल पटेल का दावा है कि इस बार भाजपा छिंदवाड़ा में विधानसभा और लोकसभा दोनों जीतेगी। उनका कहना है कि कांग्रेस जो वादा करती है, उसे कभी पूरा नहीं करती। सत्ता में आने से पहले किसानों की ऋण मुक्ति से लेकर जो भी वचन दिए, उन्हें पूरा नहीं किया। यही कारण है कि उपचुनाव में जनता ने उसे नकार दिया। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सफाया हो जाएगा। छिंदवाड़ा के कांग्रेस का गढ़ होने का भ्रम आगामी चुनाव में टूट जाएगा। कमलनाथ और नकुलनाथ भी चुनाव हारेंगे। उधर, कृषि मंत्री के बयान को प्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता संगीता शर्मा ने हार का डर बताया। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा की जनता का कमल नाथ पर विश्वास न कभी टूटा था, न टूटेगा, भले भाजपा कोई भी षडयंत्र क्यों न कर ले। कमल पटेल ने कहा कि कांग्रेस भाजपा की नकल करती है। हमने बूथ सशक्तीकरण अभियान प्रारंभ किया तो कांग्रेस को भी याद आ गई। भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। कोई भी नाराज नहीं है।
पूर्व मंत्रियों पर डोरे डाल रही कांग्रेस
भाजपा के कई पूर्व मंत्री और पूर्व विधायकों पर कांग्रेस डोरे डाल रही है। ये दिग्गज नेता भाजपा की राह में मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। कद्दावर मंत्री रहे जयंत मलैया, डॉ. गौरीशंकर शेजवार, दीपक जोशी, रामकृष्ण कुसमरिया जैसे पूर्व मंत्री आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। कांग्रेस के बड़े नेता इन भाजपा नेताओं के निरंतर संपर्क में हैं। इन नेताओं में से बहुत से ऐसे हैं, जिनकी परंपरागत सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए नेता चुनाव जीत गए हैं। वहीं, गौरीशंकर बिसेन अपनी बेटी को टिकट देने के लिए पार्टी पर दबाव बना रहे हैं। पार्टी ने इनकार किया तो वे बालाघाट, सिवनी और छिंदवाड़ा की कई सीटों को प्रभावित कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के कुछ नेताओं को इस लाइन पर काम करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के बड़े नेता डा. गौरीशंकर शेजवार की सांची विधानसभा क्षेत्र पर भी स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का कब्जा है। ऐसी स्थिति में शेजवार के बेटे मुदित शेजवार के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। कांग्रेस के नेता शेजवार के संपर्क में हैं। उन्हें प्रस्ताव दिया गया है कि वे स्वयं चौधरी के खिलाफ चुनाव लडऩे को तैयार हों तो कांग्रेस उन्हें टिकट दे सकती है। दीपक जोशी की सीट हाटपिपल्या विधानसभा क्षेत्र भी अब कांग्रेस से आए मनोज चौधरी के पास है। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक का राजनीतिक भविष्य भी संकट में हैं। वहीं पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया और माया सिंह की सीट भी कांग्रेस से आए नेताओं के पास चली गई है। ये भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं।
इन नेताओं को मिली जिम्मेवार जिम्मेदारी
कांग्रेस ने अपने 16 वरिष्ठ नेताओं को जिलेवार जिम्मेदारी सौंपी है, उनमें फूल सिंह बरैया को श्योपुर, मुरैना और भिंड की, अजय सिंह राहुल को ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी की, अरुण यादव को निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर की, जीतू पटवारी को सतना, पन्ना, दमोह, रायसेन की, सुरेश पचौरी को सिंगरौली, सीधी, रीवा, कटनी की, गोविंद सिंह को अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, जबलपुर की, तरुण भनोत को डिंडौरी, बालाघाट, सिवनी, मंडला, नरसिंहपुर की, सज्जन सिंह वर्मा को छिंदवाड़ा, बैतूल, हरदा, नर्मदापुरम की, बाला बच्चन को बुरहानपुर, खंडवा, धार की, कांतिलाल भूरिया को बड़वानी, खरगोन की, मीनाक्षी नटराजन को आलीराजपुर, झाबुआ, आगरा की, कमलेश्वर पटेल को नीमच, मंदसौर, रतलाम की, जयवर्धन सिंह को इंदौर और उज्जैन की, रामनिवास रावत को राजगढ़ और शाजापुर की, केपी सिंह को गुना, अशोकनगर, विदिशा की और लाखन सिंह यादव को सीहोर और देवास की जिम्मेदारी सौंपी है।