कर्नाटक नतीजे के बाद होगा मप्र मंत्रिमंडल का पुनर्गठन

मनीष द्विवेदी।मनीष द्विवेदी। मप्र में शिवराज मंत्रिमंडल के


विस्तार और फेरबदल की सुगबुगाहट एक बार फिर से तेज हो गई है। सत्ता और संगठन मंत्रिमंडल में जातीय, क्षेत्रीय संतुलन के साथ ही वर्तमान मंत्रियों के परफॉर्मेंस का आधार बनाएगा। इसके लिए मंत्रियों को पहले से ही बता दिया गया है। संभवत : कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद मप्र में मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि अगर कर्नाटक में भाजपा की सत्ता बरकरार रहती है तो मप्र में भी कर्नाटक के फॉर्मूले पर मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा। यानी बड़ी संख्या में मंत्रियों के पर कतरे जा सकते हैं।इनमें श्रीमंत समर्थकों के नाम भी शामिल बताए जा रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले दो महीने में पार्टी हाईकमान ने मप्र के प्रभारी और सह संगठन मंत्री सहित अपने सूत्रों से मप्र की जमीनी हकीकत का मूल्यांकन करा लिया है। इस दौरान प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मप्र के दौरे भी किए हैं। इसके बाद ही अब मंत्रिमंडल में फेरबदल के संकेत दे दिए गए हैं। चर्चा है कि जिन मंत्रियों को अगला चुनाव नहीं लड़ाना है उन्हें कैबिनेट से बाहर कर दिया जाएगा। बड़ी संख्या में नए चेहरों को मौका मिल सकता है। मंत्रिमंडल विस्तार में सर्वे और रिपोर्ट के आधार पर मंत्रियों का भविष्य तय किया जाएगा।
बड़े बदलाव से पहले समीक्षा
गौरतलब है कि कर्नाटक में अगले माह विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इन चुनाव का सीधा असर मप्र की राजनीति पर भी पड़ना तय है, ऐसा इसलिए क्योंकि कर्नाटक के नतीजों के बाद ही राज्य के भाजपा के कई बड़े नेताओं का भविष्य तय होगा। राज्य में लंबे अरसे से मंत्रिमंडल के विस्तार से लेकर कई नियुक्तियों का मामला लंबित है। इसी बीच कर्नाटक के विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के सामने खड़ी हो रहीं चुनौतियों ने मप्र के संभावित फैसले को टाल दिया है। कर्नाटक में कई बड़े नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है और उनके तेवर बागी हो गए हैं। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाईकमान की कर्नाटक पर खास नजर है और वहां के चुनाव बड़ी चुनौती भी बन गए हैं, इसलिए मप्र के संभावित फैसले लंबित हैं। राज्य में शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में मंत्रियों के चार पद रिक्त हैं और इन पर नियुक्ति की कोशिशें अरसे से चल रही हैं। कर्नाटक के चुनाव के जो भी नतीजे होंगे, उसी के आधार पर राज्य में फैसले होंगे। सूत्रों का कहना है कि कर्नाटक में अगर भाजपा की सत्ता दोबारा आती है तो मप्र में बड़े पैमाने पर सर्जरी तय है। अगर कर्नाटक के नतीजे भाजपा की इच्छा के अनुरूप नहीं आते हैं तो मप्र में बड़े बदलाव से पहले समीक्षा का दौर चलेगा। राज्य के कई बड़े नेता अगला चुनाव लड़े या न लड़े, वे मंत्रिमंडल में रहे या न रहे इसका फैसला कर्नाटक के नतीजों के आधार पर होना संभावित है।
कई मंत्रियों को लेकर जमीनी स्तर पर नाराजगी
राज्य में सत्ता और संगठन के जमीनी स्तर से जो फीडबैक आया है, वह साफ इशारा कर रहा हैं कि अगर पार्टी में बड़े बदलाव नहीं किए गए तो इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा के चुनाव पार्टी के लिए आसान नहीं रहने वाले। लिहाजा पार्टी मंथन में जुटी हुई है, मगर कर्नाटक के चुनाव से पहले बने माहौल ने पार्टी को बड़े फैसले लेने से रोक रखा है। पार्टी के सर्वे और फीडबैक में राज्य सरकार के कई मंत्रियों को लेकर जमीनी स्तर पर नाराजगी देखी जा रही है। बताया जा रहा है कि उनका रिपोर्ट कार्ड नकारात्मक आ रहा है। इसी के चलते मंत्रिमंडल में फेरबदल के आसार बने हुए हैं। हालांकि प्रदेश भाजपा अपने स्तर पर चुनावी तैयारी को अंतिम स्वरूप दे रही है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व प्रत्याशी तय करने के मापदण्ड को अंतिम रूप देगा। सूत्रों का कहना है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद भी मप्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी तय करने की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। जिसका असर मंत्रिमंडल में भी दिखेगा। गौरतलब है कि सरकार और संगठन के पास आए रिपोर्ट कार्ड के आधार पर मंत्रियों के साथ विधायकों को भी लगातार समझाइश दी गई है और इशारों-इशारों में यहां तक कह दिया गया है कि उनका रिपोर्ट कार्ड नहीं सुधरा तो सख्त फैसले भी लिए जा सकते हैं। जिन मंत्रियों की छुट्टी होनी है, उसकी बड़ी वजह उनके खिलाफ आ रही शिकायतें हैं। जनता में असंतोष है तो वहीं प्रभार वाले जिलों में उन मंत्रियों ने ज्यादा रुचि नहीं ली है। इससे स्थानीय कार्यकर्ता नाराज तो हैं ही। जिन मंत्रियों को लेकर नाराजगी है, उन्हें अगर मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया जाता है या उन्हें कम महत्व के विभाग दिए जाते हैं, तो एंटी इकंबेंसी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यही कारण है कि कई मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है और नए चेहरों को जगह मिल सकती है।
चार मंत्री पद खाली…
शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल पर गौर करें तो इस समय कुल मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की संख्या 31 है, जिसमें 23 कैबिनेट और सात राज्यमंत्री हैं, वही चार पद भी खाली है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चार पदों को तो भरा ही जाएगा, लेकिन कई मंत्रियों की उनके कामकाज के आधार पर छुट्टी भी की जा सकती है, इसके अलावा मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल किया जा सकता है, क्योंकि कई मंत्रियों के कामकाज से सरकार और संगठन दोनों ही खुश नहीं है। वहीं विंध्य और महाकौशल अंचल को भी मंत्रिमंडल में पर्याप्त जगह नहीं मिली थी, ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार के मंत्रिमंडल विस्तार में इसी अंचल से आने वाले विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है, जो विधायक मंत्री बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं उनमें राजेंद्र शुक्ल, केदारनाथ शुक्ला, यशपाल सिंह सिसोदिया, अजय विश्नोई, संजय पाठक, रमेश मेंदोला, महेंद्र हार्डिया, गोपीलाल जाटव, राजेंद्र पांडेय, रामपाल सिंह के नाम सबसे ऊपर चल रहे हैं, जिन्हें इस बार मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है।