मनरेगा फंड से होगा अंतिम क्रियाकर्म.
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश सरकार अब गायों का भी अंतिम संस्कार कराने जा रही है। अब मृत गौवंश को गड्ढा खोदकर गाड़ा जाएगा। सरकार की ओर से इसके लिए बाकायदा फरमान जारी किया गया है जिसके तहत मृत गौवंश की समाधि बनाई जाएगी। इसके लिए मनरेगा से फंड की व्यवस्था भी की गई है। हालांकि गौवंश को समाधि देने का काम सिर्फ पंजीकृत गौशालाओं के मृत गौवंश के लिए किया जाएगा। गौरतलब है कि जनवरी, 2022 में भोपाल के पास बैरसिया तहसील में गौसेवा भारती नाम की गौशाला से सटे मैदान में करीब 80 गायों के शव और कंकाल मिलने की खबर सुर्खियों में रही थी। यह मामला मप्र विधानसभा में गूंजा था। करीब तीन महीने में भदभदा स्थित जीवदया गोशाला के अंदर और बाहर बड़ी संख्या में गौवंश के शव व कंकाल मिले थे।
दरअसल, अमूमन गौशाला में गौवंश की मृत्यु हो जाने पर शव को खुले में फेंक दिया जाता है। इससे आसपास का वातावरण तो प्रदूषित होता ही है, साथ ही लोगों की धार्मिक भावनाएं भी कहीं न कहीं आहत होती हैं। हाल ही में राजधानी भोपाल में गौवंश की मौतों और उनकी खाल उतारने एवं हड्डियां बेचने का मामला उठा था। इसके बाद संत समाज की ओर से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की संस्था अखिल भारतीय सर्वदलीय गोरक्षा महाभियान समिति ने मप्र के राज्यपाल मंगू भाई पटेल को ज्ञापन दिया था। इसमें मृत गायों का चमड़ा उतरवाने पर रोक लगवाने की मांग की गई। इसके बाद राज्यपाल ने गो संवर्धन बोर्ड को पत्र लिखकर इस दिशा में कदम उठाने को कहा। अब गोवंश की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए समाधि बनाने का निर्णय लिया गया है।
गौ कैबिनेट के प्रस्ताव को मिली मंजूरी
वर्तमान में मप्र में गोहत्या पर कानून मौजूद है, लेकिन गाय के मृत हो जाने के बाद उसका चमड़ा उतार कर उसके शव को कुत्ता व चील, कौओं को खाने के लिए छोड़ दिया जाता है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गौशालाओं में ज्यादातर निराश्रित, बुजुर्ग और बीमार गायें रखी जाती हैं। इनकी मृत्यु दर 16 प्रतिशत है। यानी हर साल 100 में से 16 गायों की मौत हो जाती है। चूंकि गायों को दफनाने की प्रक्रिया लंबी और खर्चीली होती है, इसलिए मृत गायों को गौशालाओं के पास खुले में फेंक दिया जाता है, जिससे कंकालों के ढेर लग जाते हैं। यही वजह है कि कुछ समय पहले हुई गौ कैबिनेट की बैठक में अफसरों ने गौशालाओं के पास गौ समाधि बनाने का प्रस्ताव रखा था। इसमें कहा गया था कि गायों को जमीन में दफनाते समय चूना, नमक आदि का उपयोग किया जाएगा, ताकि निश्चित समयावधि में कंकाल पूरी तरह से नष्ट हो जाए। तमाम पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद अब इस प्रस्ताव को सहमति दे दी गई है।
धार्मिक रस्में भी होंगी
बताया जाता है कि शिवराज सरकार ने मृत गौवंश का विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया है। इसके तहत गौशालाओं के पास मृत गौवंश की समाधि बनाई जाएगी। इस दौरान अंतिम विदाई देने के लिए धार्मिक रस्में भी अदा करना होंगी। मप्र संभवत: देश का पहला राज्य है, जहां मृत गौवंश की समाधि बनाई जाएगी। दरअसल, पिछले करीब डेढ़ साल से गौशालाओं के पास बड़ी संख्या में गायों के कंकाल मिलने की खबरें सुर्खियों में हैं। इससे सरकार की छवि खराब हो रही है। गौरतलब है कि प्रदेश में 1758 गौशालाएं संचालित हो रही हैं, जिनमें दो लाख 76 हजार गौवंश हैं। करीब 1500 गौशालाएं निर्माणाधीन हैं। इनका निर्माण पूरा होने पर करीब डेढ़ लाख गौवंश गौशालाओं में पहुंच जाएगा। सडक़ों पर करीब साढ़े चार लाख गौवंश है।