दीपक जोशी की बगावत के बाद आला नेताओं ने कार्यकर्ताओं से की बात.
पूर्व मंत्री दीपक जोशी के पार्टी छोड़ने के बाद अब भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। पार्टी की कोशिश यही है कि जो नुकसान हो गया सो हो गया। अब आगे कोई और न पार्टी छोडक़र जाए। यही कारण है कि अब हर संभाग के प्रभारी, जिला प्रभारी, जिला अध्यक्ष और विधायकों से वन टू वन चर्चा करके जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में गतदिनों भोपाल और नर्मदापुरम संभाग के विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के साथ आला नेताओं ने वन टू वन चर्चा की। जानकारों की मानें तो चर्चा के दौरान विधायकों और जिलाध्यक्षों से स्पष्ट कहा गया है कि अब कोई जनाधार वाला नेता नाराजगी की वजह से पार्टी से दूर नहीं होना चाहिए।
विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा पांचवी बार सत्ता पाने अपनी हर कमजोर कड़ी को दूर करने में जुट गई है। पार्टी नाराज नेताओं को मनाने में जुट गई है, तो जमीनी हकीकत का पता लगाने पदाधिकारियों से लेकर विधायकों से वन टू वन चर्चा की जा रही है। जिसमें यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि सरकार और संगठन की गतिविधियों का कितना लाभ चुनाव में पार्टी को मिलेगा। साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा की शिकायत थी कि आलाकमान कार्यकर्ताओं से संवाद नहीं कर रहा है। इसलिए कार्यकर्ता नाराज हो रहे हैं। इसी बीच पूर्व मंत्री दीपक जोशी पार्टी छोडक़र भी चले गए। यही कारण है कि भाजपा नेता अब जमीनी स्थिति जानने के लिए जिला पदाधिकारियों और विधायकों से मुलाकात कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं का डाटा भी तैयार किया जा रहा है। आखिर कोई व्यक्ति नाराज तो नहीं है और अगर नाराज है तो उसकी नाराजगी की वजह क्या है। और इसे कैसे दूर किया जाना है। इस तरह की बैठकों का दौर भाजपा में आगे भी जारी रहेगा।
आखिर क्यों जरूरी है वन टू वन चर्चा
भाजपा में चल रही बैठकों पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी का कहना है किसी के जाने आने से भाजपा पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। और ना उसके लिए कोई बैठकें होती हैं। यह एक सतत प्रक्रिया है, क्योंकि भाजपा के सभी आला नेता यहां मौजूद हैं। यही कारण है कि अलग-अलग संभाग के प्रभारी, जिलाध्यक्ष और विधायकों को चुनाव की चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है। पार्टी पदाधिकारियों की मानें तो आने वाले दिनों में इस तरह की बैठके जारी रहेगीं, जिसमें प्रदेश संगठन से संबंधित सभी शीर्ष पदाधिकारियों की मौजूदगी में बैठकें होगी, जिसमें ऐसी उन सभी कमजोरियों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा, जिसकी वजह से पार्टी को अगले विधानसभा चुनाव में किसी तरह की कठिनाई हो। वहीं सांसद प्रज्ञा सिंह ने कहा नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है। यदि कोई नाराज होगा भी तो संगठन उन्हें मना लेगा। पार्टी अभी से नाराज जनता और कार्यकर्ताओं को मनाने में लगी है। बीते दिन ही पार्टी से बागी हुए नेताओं को एक बार फिर पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अपने पाले में कर लिया। इनमें पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया और पार्टी के पूर्व नेता प्रीतम लोधी के अलावा बागी हुए कार्यकर्ता शामिल हैं। पार्टी लगातार अपने विधायकों और सांसदों के कामकाज पर नजर बनाए हुए हैं। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के आलाकमान का सारा फोकस एमपी की राजनीति पर रहने वाला है।
दिल्ली से मिले निर्देश के बाद कवायद
गौरतलब है कि पिछले दिनों पूर्व सीएम कैलाश जोशी के पुत्र पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने अपनी उपेक्षा का आरोप मढ़ कर भाजपा से विदाई ले ली और कांग्रेस का हाथ थाम लिया। इससे प्रदेश भाजपा में हडक़म्प सा मच गया। सूत्रों की माने तो इस सम्बन्ध में प्रदेश संगठन ने शीर्ष नेतृत्व को आश्वस्त किया है कि दीपक के जाने से पार्टी को अगले विधानसभा चुनाव में कोई नुकसान नहीं होगा। भाजपा संगठन इससे निपटने में समक्ष है। लेकिन अंदरूनी तौर पर पार्टी ने डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। दिल्ली के फरमान के बाद अब हर संभाग के प्रभारी जिला प्रभारी जिला संगठन अध्यक्ष और विधायकों से रायशुमारी शुरू की गई है। जिसमें एक- एक पदाधिकारी विधायक व वरिष्ठ नेताओं से वन टू वन चर्चा की जा रही है। इस चर्चा के दौरान संबंधित जिले के असंतुष्ट नेताओं को भी बुलाया जा रहा है, जिनसे बंद कमरे में अलग से बात की जा रही है और तत्काल ही उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।