स्वर्ण गरीबों को नौकरी नहीं देना पड़ सकता है भारी…

स्वर्ण गरीबों को नौकरी नहीं देना पड़ सकता है भारी…

मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि उच्च शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े स्वर्ण उम्मीदवारों को नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही है। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की ने युगलपीठ ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, आयुक्त लोक शिक्षण और व्यावसायिक परीक्षा मंडल के चेयरमैन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। यह मामला सतना की साधना मिश्रा के अलावा छिंदवाड़ा, ग्वालियर, उज्जैन, व अन्य जिलों के ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों की ओर से दायर किया गया है। जिसमें कहा गया कि उन्होंने उक्त परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की है, इसके बावजूद राज्य शासन ने उनकी नियुक्तियां होल्ड पर रख दी हैं। ईडब्ल्यूएस के लिए भी 10 फीसदी पद आरक्षित किए गए थे। आवेदकों की ओर से कहा गया कि कुल 17 हजार पदों पर नियुक्तियां होनी हैं, जिनमें से अब तक केवल 8470 पद ही भरे गए हैं। इनमें से ईडब्ल्यूएस के अधिकतर पद रिक्त पड़े हैं। यही नहीं रोक के बाद भी ओबीसी को 14 की जगह 27 फीसदी पदों पर नियुक्तियां दी जा रही हैं।

इस मुलाकात के मायने
दमोह जिले की राजनीति में एक दूसरे के मुखर विरोधी रहे दो नेताओं के बीच अगर मुलाकात होगी तो वह चर्चा में आएगी ही। इसकी वजह से शिव सरकार में पूर्व मंत्री रहीं कुसुम महेदले और कांग्रेस के प्रवक्ता मुकेश नायक अचानक से चर्चा में आ गए हैं। इन दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं। दरअसल बीते रोज अचानक से मुकेश नायक कुसुम सिंह महदेले से मिलने उनके घर अचानक पहुंच गए थे । यह मुलाकात भी ऐसे समय हुई है, जब प्रदेश में भाजपा के कई नेता विरोध में बयानबाजी कर रहे हैं। दरअसल महदेले पिछले चुनाव में टिकट काटे जाने से बेहद नाराज चल रही हैं और वे समय-समय पर सरकार व पार्टी को लेकर मुखर होती रहती हैं।

दिग्विजय सिंह ने फिर साधा सरकार पर निशाना
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर बजरंग दल के बहाने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा, एक हमारा बजरंग पुनिया पहलवान है, वह बेचारा बैठा है, जिसने गदा लेकर देश का सम्मान बढ़ाया, उसकी तो कोई सुन नहीं रहा और वह बजरंग दल जो आईएसआई और पाकिस्तान के लिए खुफियागिरी कर रहा है, उसको लेकर बात कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने फिल्म द केरल स्टोरी के सवाल पर कहा कि इसमें 32 हजार महिलाओं की बात कर रहे हैं, जबकि सिर्फ 3 महिलाएं ही ऐसी हैं । यह तो सिर्फ लोगों को भडक़ाने का काम कर रहे हैं। वहीं सांसद प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर उन्होंने कहा कि यदि भोपाल में ऐसी घटनाएं हुई हैं, तो वे उसे सामने लेकर आना चाहिए।

नौकरी के लिए छोड़ी सरपंची
आमतौर पर शासकीय सेवक नौकरी छोडक़र चुनाव के मैदान में उतरते हैं। परन्तु देवास जिले के आदिवासी अंचल कनाड़ पंचायत के युवा सरपंच बादल मुजाल्दे ने सरकारी शिक्षक के रूप में चयन होने पर सरपंची से त्यागपत्र दे डाला। वे कुछ महीने पहले हुए पंचायत चुनाव में जीतकर गांव के सरंपच चुने गए थे। इसके पूर्व युवक की पत्नी भी गांव की सरपंच रह चुकी हैं। पत्नी के ही कहने पर युवक ने सरकारी शिक्षक परीक्षा में चयन होने पर सरपंची से त्यागपत्र दिया है। उन्हें फिलहाल बड़वानी जिले में पदस्थापना मिली है। खास बात यह है कि इनके पूर्व सरपंच बने बागरसिंह भी कुछ दिन ही सरंपच रहे और शिक्षक बनते ही सरपंची छोड़ चुके हैं।