सरकार! ये 13 हजार महिलाएं न्याय के लिए कहां जाएं

राज्य महिला आयोग चल रहा कर्मचारियों के भरोसे

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान एक तरफ नारी पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता कर रहे हैं… उनकी सरकार लाड़ली बहना योजना के जरिए प्रदेश की महिलाओं की हितैषी होने का दावा कर रही है, तो दूसरी तरफ प्रदेश की 13 हजार महिलाएं न्याय की गुहार लिए दर-व-दर भटक रही हैं। वो भी पूरे चार साल से। ये पति, सास-ससुर, देवर और समाज से प्रताड़ित महिलाओं की सरकार में कोई सुनने वाला नहीं है। इन प्रताड़ित-पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने जो राज्य महिला आयोग बनाया गया है, वो सफेद हाथी साबित हो रहा है।
बताते हैं कि वर्ष 2020 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राज्य महिला आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां की थी, लेकिन इसके पंद्रह महीने बाद ही प्रदेश में शिवराज सरकार की पुर्नवापसी के साथ ही यह आयोग वेबा (भगवान भरोसे) हो गया।
हालात यह हैं कि पिछले चार साल से राज्य महिला आयोग कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है। आयोग में न अध्यक्ष है और न सदस्य हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रतिवेदन के अनुसार राज्य महिला आयोग में पिछले साल (वर्ष 2022) में 4079 महिलाएं अपनी शिकायत लेकर पहुंची। इसमें करीब एक हजार शिकायतें दहेज प्रताड़ना, मानसिक प्रताड़ना और यौन शोषण की थीं। जबकि ज्यादातर शिकायतें दैहिक शोषण और देह व्यापार की थीं। इस तरह से महिला आयोग में 4 साल से 13 हजार से ज्यादा महिलाएं न्याय की बाट जोह रही हैं। पर उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।
शिकायत दर्ज पर सुनवाई नहीं
सूत्रों के अनुसार राज्य महिला आयोग में प्रताड़ित-पीड़ित महिलाओं की शिकायतों की सुनवाई मार्च 2019 से नहीं हो रही है। पीड़ित-प्रताड़ित महिलाएं शिकायत करती भी हैं, तो शिकायती आवेदन लेकर उन्हें आयोग से चलता कर दिया जाता है। पिछले चार साल में आयोग में 13 हजार से ज्यादा महिलाओं ने शिकायती आवेदन दिए, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल सका है।
अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति क्यों अटकीं
बताते हैं कि आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष लता वानखेड़े का कार्यकाल वर्ष 2019 में समाप्त हो गया था। इसके बाद कमलनाथ सरकार में 16 मार्च 2020 को शोभा ओझा को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन कुछ महीने बाद ही दोबारा प्रदेश में शिवराज सरकार के काबिज होते ही अध्यक्ष का पद विवादों में उलझ गया। हालांकि बाद में शोभा ओझा ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन तब से महिला आयोग भगवान भरोसे ही चल रहा है। आखिर सरकार आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति क्यों अटकाए हुए है, यह समझ परे बना हुआ है। वो तब, जब सीएम शिवराज हर दिन लाड़ली बहना योजना के जरिए प्रदेश की महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा का जज्बा दिखा रहे हैं।