बालाघाट जिले में कांग्रेस होगी मजबूत
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनेताओं का दल बदल करने का दौर शुरु हो गया है। हाल ही में पार्टी के बड़े ब्राह्मण चेहरे और पूर्व मंत्री दीपक जोशी के कांग्रेस में शामिल होने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है और एक बार फिर भाजपा के एक पूर्व सांसद ने पार्टी को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन थामने की तैयारी कर ली है। खास बात यह है कि यह नेता आदिवासी वर्ग से आते हैं। उनके साथ ही एक अन्य आदिवासी महिला नेता भी कांग्रेस में शामिल होने जा रही हैं। इससे पार्टी की आदिवासी समुदाय को अपने साथ जोड़ने की भाजपा की मुहिम को बड़ा झटका लगने के रूप में देखा जा रहा है। बालाघाट से भाजपा के सांसद रह चुके बोध सिंह भगत और सपा नेता और पूर्व सांसद कंकर मुंजारे की पत्नी अनुभा मुंजारे भी कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा कर चुकी हैं। बताया जा रहा है कि यह दोनों नेता कांग्रेस की सदस्यता लेने जा रहे हैं। भगत इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कटंगी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी हो सकते हैं। अभी कटंगी विधानसभा क्षेत्र के विधायक कांग्रेस के टामलाल सहारे हैं। कांग्रेस विधायक सहारे आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान पहले ही कर चुके हैं। पूर्व सांसद भगत ने पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा से बगावत कर बालाघाट संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उस समय उनका टिकट काटकर भाजपा ने पूर्व मंत्री ढाल सिंह बिसेन को प्रत्याशी बनाया था, जिससे नाराज होकर भगत ने बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा था और वे 47 हजार से अधिक मत पाकर चौथे नंबर पर रहे थे। उनकी नाराजगी को देखते हुए भाजपा नेताओं द्वारा उन्हें बीते कई दिनों से मनाने के प्रयास किए जा रहे थे, किंतु वे मानने को तैयार नहीं हुए। भगत के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि पूर्व सांसद बोध सिंह 25 मई को कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं। वहीं, सपा नेता अनुभा मुंजारे की कल यानी कि 21 मई को कांग्रेस की सदस्यता लेने की खबर है। मुंजारे ने बालाघाट विस क्षेत्र से निर्दलीय लड़ा था और दूसरे स्थान पर रहीं थी। उस समय उन्हें करीब 70 हजार मत मिले थे। इसके पहले वे सपा से भी चुनाव लड़ चुकी हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने विधायक संजय उइके और महिला विधायक हिना कांवरे को अनुभा मुंजारे को भोपाल लाने की जिम्मेदारी सौंपी है। पूर्व में अनुभा मुंजारे की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात हो चुकी है। लंबे समय से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व सांसद कंकर मुंजारे और उनकी पत्नी अनुभा मुंजारे को कांग्रेस में लाने के लिए लगातार प्रयासरत थे।
डीके शिव कुमार डालेंगे मप्र में डेरा
कांग्रेस कर्नाटक चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त देकर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डीके शिव कुमार जल्द ही मप्र में डेरा डालने जा रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि डीके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के साथ चुनाव प्रबंधन का कामकाज देखेंगे। इसके अलावा यूपी के प्रमोद तिवारी और हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा भी मप्र में अपना डेरा जमाने वाले हैं। दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात के कांग्रेस नेता पहले ही मप्र में चुनाव की कमान संभाल चुके हैं। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि जुलाई में ये सभी नेता भोपाल में कमलनाथ के साथ बैठक करेंगे और अगस्त से ये मध्य प्रदेश में सक्रिय हो जाएंगे। दूसरी तरफ एमपी कांग्रेस कर्नाटक की बेस्ट चुनावी प्रैक्टिस को प्रदेश में आजमाने की तैयारी कर रही है। मप्र के कांग्रेस नेताओं के लिए डीके शिवकुमार का नाम नया नहीं है, क्योंकि मार्च, 2020 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के बागी विधायकों ने बेंगलुरु के होटल में डेरा जमाया था, तब कांग्रेस के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह व पूर्व मंत्री जीतू पटवारी इन नेताओं की मान-मनौव्वल करने और वापस लेने कर्नाटक पहुंचे थे। तब डीके शिवकुमार ने दिग्विजय सिंह व पटवारी की मदद की थी।
प्रियंका की रैली का जिम्मा 20 विधायकों को
जबलपुर में 12 जून को होने वाली प्रियंका गांधी की रैली और आमसभा की तैयारियों के लिए कांग्रेस संगठन ने अभी से 20 विधायकों और 12 जिलों के 100 से ज्यादा पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंप दी है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह और वरिष्ठ नेता चंद्रप्रभाष शेखर इन पदाधिकारियों के साथ तैयारियों को लेकर बैठक करने जा रहे हैं। कांग्रेस का इस रैली में दो लाख लोगों को इक_ा करने का लक्ष्य है। वरिष्ठ नेताओं की मीटिंग में सभा स्थल, सिक्योरिटी के निर्देशानुसार मंच का आकार आदि तय होगा। सभा स्थल पर तीन मंच बनाए जाएंगे। जिन विधायकों को जिम्मेदारी दी गई हैं उनमें जबलपुर महापौर जगत बहादुर अन्नू के अलावा विधायक लखन घनघोरिया, तरुण भनोत, एनपी प्रजापति, ओमकार सिंह मरकाम, संजय शर्मा, सुनीता पटेल, अजय टंडन, सुनील सर्राफ, फुंदेलाल सिंह मार्को, अर्जुन सिंह काकोडिय़ा, योगेंद्र सिंह बाबा आदि शामिल हैं।
भगत व बिसेन के बीच है वर्चस्व की लड़ाई
गौरतलब है कि पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष एवं विधायक गौरी शंकर बिसेन और बोध सिंह भगत के बीच बालाघाट में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। बिसेन के कारण ही भगत को पार्टी ने भाजपा की मुख्य धारा से हाशिए पर धकेल दिया था। कहा तो यह भी जा जाता रहा है कि बिसेन की वजह से ही भगत का बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट काट कर ढाल सिंह बिसेन को प्रत्याशी बनाया गया था। ऐसे में वहां पर जमकर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। आखिर में बोध सिंह भगत ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया था।
ढह सकता है भाजपा का गढ़
वैनगंगा नदी के किनारे दो छोरों में बालाघाट-सिवनी लोकसभा क्षेत्र फैला हुआ है। करीब 25 लाख की आबादी वाले इस क्षेत्र में लगभग 17 लाख 56 हजार 715 मतदाता हैं। यह सीट दो जिलों की ही नहीं, बल्कि दो राज्यों महाराष्ट्र- छत्तीसगढ़ की सीमा से भी जुड़ी है। हालांकि, भाजपा यहां पर लगातार 30 साल से जीत का परचम लहरा रही है। भाजपा को यहां जीत का खाता खोलने में लंबा इंतजार करना पड़ा, लेकिन उसके बाद से भाजपा को यहां पर कोई मात नहीं दे पाया। 1998 में भाजपा ने यहां पर अपना पहला चुनाव जीता और ये सिलसिला अब तक जारी है। अब मुंजारे और भगत के कांग्रेस में आने से पार्टी को बड़ा फायदा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसकी वजह है दोनों ही नेताओं की मतदाताओं पर अपनी पकड़ है। इसका फायदा कांग्रेस को बालाघाट लोकसभा क्षेत्र और उसके तहत आने वाली सभी आठ सीटों पर मिल सकता है। माना जा रहा है कि इन दोनों ही आदिवासी चेहरों की मदद से कांग्रेस भाजपा के गढ़ को ढहा सकती है। बैहर, बालाघाट, बारघाट, लांजी, वारसिवनी, सिवनी, पारसवाडा, कटांगी यहां की विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 4 पर कांग्रेस, 3 पर भाजपा का कब्जा है और 1 सीट पर निर्दलीय विधायक है।