भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र विधानसभा के चुनाव
को लेकर सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है, भाजपा सत्ता को बचाए रखने की जद्दोजहद कर रही है तो, कांग्रेस अपनी वापसी के लिए बेताब है। ऐसे में प्रादेशिक नेताओं के साथ ही राष्ट्रीय नेताओं ने भी कमलनाथ के चेहरे पर अपनी मुहर लगा दी है। यानी मप्र में आगामी चुनाव कांग्रेस कमलनाथ के चेहरे और नेतृत्व में ही लड़ेगी। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है की प्रदेश में कांग्रेस के पास फिलहाल कोई और ऐसा चेहरा नहीं है जिसे आगे किया जा सके। कमलनाथ के पास राजनीतिक अनुभव के साथ ही कुशल नेतृत्व की क्षमता भी है। उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एकजुट कर अपनी सांगठनिक क्षमता भी दिखा दी है। यही नहीं इस बार भी उन्होंने कांग्रेस के सभी क्षत्रपों को एकता के सूत्र में बांधे रखा है।
मप्र में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने पूरी तरह से चुनावी मोर्चा अपने हाथ में रखा है। वे लगातार दिग्गज नेताओं के साथ समन्वय बनाकर चुनावी रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसका असर बीते रोज आलाकमान के साथ दिल्ली में हुई मप्र के नेताओं की बैठक में भी दिखा। बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, अजय सिंह , अरुण यादव, विवेक तन्खा, कांतिलाल भूरिया व अन्य नेता शामिल हुए। सूत्रों का कहना है कि बैठक में मप्र के सभी कांग्रेस नेताओं ने एक सुर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में चुनाव लडऩे की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी को कमलनाथ को मुख्यमंत्री का चेहरा आधिकारिक तौर पर घोषित करना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़ेे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस पर सहमति जताई, हालांकि अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं की गई। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले पार्टी आधिकारिक तौर पर कमलनाथ को एमपी में सीएम फेस की घोषणा कर सकती है।
कमलनाथ के पास लंबा सियासी अनुभव
वर्तमान राजनीतिक स्थित और समीकरणों के तहत मप्र कांग्रेस के लिए कमलनाथ जरूरी बन गए हैं। कमलनाथ के पास सियासत का पांच दशक से ज्यादा का राजनीतिक अनुभव है। जाति के तौर पर न्यूट्रल फेस के साथ ही वह मप्र में होने वाले चुनाव में कांग्रेस के लिए संसाधन जुटाने की क्षमता रखते हैं। चुनावी प्रबंधन से आर्थिक मैनेजमेंट के मामले में पार्टी के अन्य नेताओं से वह मजबूत हैं। उन्हें गांधी परिवार का भी समर्थन हासिल है तो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी रणनीतिक तौर पर समर्थन मिल रहा है। कमलनाथ कांग्रेस में सबसे सीनियर लीडर हैं और प्रदेश कांग्रेस में फिलहाल ऐसा कोई भी नेता इस योग्य नहीं है कि जिसे आगे कर पार्टी चुनावी मैदान में उतार सके। कमलनाथ मप्र में कांग्रेस का 15 साल का सत्ता का वनवास 5 साल पहले 2018 में खत्म करने में सफल रहे हैं। 2018 विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने खुद को सिद्ध किया था और मोदी-शिवराज-शाह की मजबूत तिकड़ी को चुनौती देते हुए सत्ता में आए थे। लेकिन, ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते कमलनाथ 15 महीने ही सत्ता में रह सके थे। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद कमलनाथ को चुनौती देने के लिए पार्टी में कोई नहीं बचा है। दिग्विजय से लेकर अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी और गोविंद सिंह तक सभी कमलनाथ के साथ खड़े हैं।
पार्टी घोषित करेगी सीएम फेस
सोमवार को दिल्ली में आलाकमान ने कमलनाथ के नेतृत्व पर जिस तरह से विश्वास जताया है, उससे यह तय है कि कांग्रेस उन्हें सीएम फेस घोषित कर सकती है। गौरतलब है कि कांग्रेस में जनवरी की शुरुआत से ही चुनाव में सीएम फेस को लेकर घमासान मचा है। विवाद की शुरुआत तब हुई, जब कमलनाथ समर्थकों ने नए साल की शुरुआत में पूरे प्रदेश में नाथ को भावी मुख्यमंत्री बताते हुए होर्डिंग लगवा दिए। होडिंग पर सवाल उठाते हुए पहले पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और फिर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा था कि कांग्रेस में चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की परंपरा नहीं है। हालांकि बाद में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि कमलनाथ ही पार्टी का सीएम फेस होंगे। दरअसल, कर्नाटक में मिली शानदार जीत से कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। इसलिए दिल्ली में मप्र कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की मल्लिकार्जुन खडग़े, राहुल गांधी और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ बैठक में कमलनाथ के नेतृत्व पर विश्वास जताया गया। बैठक के बाद राहुल गांधी ने दावा किया कि मप्र में कांग्रेस 150 सीटें जीतेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ मध्यप्रदेश में कांग्रेस की 150 सीटें जीतने के राहुल के दावे से पूरी तरह सहमत हैं। उन्होंने कहा, चुनाव में कैसी रणनीति बनाई जाए, मप्र का भविष्य कैसे सुरक्षित रखा जाए, इस पर चर्चा हुई। यह प्रदेश के भविष्य का सवाल है। चुनाव में मुद्दों पर बात करेंगे। लोगों की बात करेंगे। सभी एक साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे।
कांग्रेस संगठन पर कमलनाथ की पकड़
कमलनाथ सबको एकजुट रखे हुए हैं। उन्होंने प्रदेश में कांग्रेस के संगठन को तैयार किया। बूथ स्तर तक उनका नेटवर्क है। मप्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी जब मिली थी तो कमलनाथ के सामने पार्टी के सभी गुटों को साथ लाने की भी चुनौती थी। कांग्रेस के खोए हुए सामाजिक आधार को वापस दिलाना बड़ा टास्क था। उन्होंने 2018 के विधानसभा में यह सब कर खुद को सिद्ध किया और प्रदेश में सरकार भी बनाई। उनको सरकार चलाना आता है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ अपने गढ़ छिंदवाड़ा को बचाए रखने में सफल रहे थे। प्रदेश कांग्रेस के सभी अहम फैसले कमलनाथ ले रहे हैं, क्योंकि आलाकमान को उन पर भरोसा है। टिकट वितरण में कमलनाथ की मर्जी चलना है। वे प्रदेश के सभी नेताओं के लिए स्वीकार्य है। मप्र में भाजपा और शिवराज को हरा चुके हैं। कमलनाथ ने अपनी टीम बना रखी है और उनके पास संसाधनों की कमी नहीं है।
सॉफ्ट हिंदुत्व का चेहरा
प्रदेश में भाजपा के हार्ड हिंदुत्व की पॉलिटिक्स के जवाब में कमलनाथ के पास सॉफ्ट हिंदुत्व का एजेंडा है। वे खुद को हनुमान भक्त बताते हैं। छिंदवाड़ा में 101 फीट की हनुमान जी की मूर्ति लगवा रखी है तो साधु-संतों के साथ भी सामंजस्य बनाकर चलते हैं। इस तरह से हिंदू वोटर्स को भी साधने की कवायद कर रहे हैं। रामनवमी और हनुमान जयंती पर उन्होंने अपने पदाधिकारियों, विधायकों एवं कार्यकर्ताओं को रामलीला, सुंदरकांड एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने के निर्देश दिए थे। भाजपा को उसी के राजनीतिक हथियार से मात देने का तानाबाना कमलनाथ बुन रहे हैं। कमलनाथ हिंदुत्व की पिच पर उतरकर बैटिंग कर रहे हैं।