बोले श्रीमंत, आत्मसम्मान पर कभी नहीं करुंगा समझौता

बोले श्रीमंत, आत्मसम्मान पर कभी नहीं करुंगा समझौता

श्रीमंत ने अब तीन साल बाद कांग्रेस छोड़ने का कारण बताते हुए कहा है कि उन्होंने पद- प्रतिष्ठा के लिए नहीं बल्कि आत्म सम्मान की खातिर कांग्रेस छोड़ी थी। उन्होंंने यह खुलासा करते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री द्वारा मेरा अपमान किया गया तो मैंने यह कदम उठाया। सेल्फ रिस्पेक्ट के मुद्दे पर जीवन में कभी समझौता नहीं कर सकता। कांग्रेस ने मेरे आत्म सम्मान की रक्षा नहीं की। इसलिए मैंने कांग्रेस छोड़ने का निर्णय लिया। उन्होंने यह भी कहा कि मैंने कुर्सी के बारे में कभी नहीं सोचा, मेरा लक्ष्य तो जनसेवा है। मेरे पिताजी ने कहा था कि जिंदगी का लक्ष्य कभी राजनीति नहीं बल्कि जनसेवा होना चाहिए ।

सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दी चेतावनी
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी लंबे समय बाद एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। उनके द्वारा सक्रिय होते ही तीखे तेवर दिखाना शुरू कर दिए गए हैं। उनका कहना है कि मप्र के कई मंदिरों पर सरकार का कब्जा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार किसी भी सरकार को यह अधिकार नहीं है। मंदिरों पर पुजारियों व ट्रस्ट का ही अधिकार है। इसलिए मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से कहना चाहता हूं, कि तत्काल सारे मंदिर और ट्रस्ट पुजारियों को सौंपें। अन्यथा सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के केस के लिए तैयार रहे। स्वामी ने कहा कि मप्र सरकार लगातार मंदिरों को अपने अधिग्रहण में ले रही है। ऐसा ही चला तो फिर से भाजपा सरकार बनना बड़ा मुश्किल है। उनका कहना है कि उत्तराखंड और महाराष्ट्र में भी भाजपा सरकार का यही रवैया है।

प्रेक्षक के सामने गाली-गलौज
लगातार पांच बार से हार रही विधानसभा सीटों को जिताने का संकल्प लेकर मैदानी दौरों पर जा रहे कांग्रेस पर्यवेक्षकों को बेहद अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। बीते रोज बैरसिया विधानसभा में पर्यवेक्षक सुभाष चोपड़ा के सामने दिग्विजय सिंह और सुरेश पचौरी के समर्थक न केवल आमने -सामने आ गए, बल्कि वे गालीगलौज करने में भी पीछे नही रहे। दरअसल चोपड़ा मंडलम, सेक्टर पदाधिकारियों से विधानसभा उम्मीदवार के बारे में रायशुमारी करने पहुंचे थे। बैठक शुरू हुई तो स्वागत के लिए पार्षद चंचल गुर्जर को नहीं बुलाया गया , जिस पर विवाद खड़ा हो गया। गुर्जर राम मेहर समर्थक हैं जो दिग्विजय सिंह के खास हैं। इधर, वहां मौजूद जिला पंचायत सदस्य सुरेश पचौरी समर्थक विनय मेहर ने भी चिल्लाना शुरु कर दिया। इस दौरान गुर्जर और विनय मेहर के बीच गाली गलौज तक हो गई। इससे असहज हुए चोपड़ा ने कहा, मैंने ऐसी अप्रिय स्थिति कहीं किसी विधानसभा में नहीं देखी।

नेता प्रतिपक्ष ने फिर खड़ा किया सवाल
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मप्र कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पार्टी के ही लोग विवाद खड़ा करते रहते हैं, जिससे भाजपा को हमला करने का मौका मिल जाता है। यह विवाद ऐसे समय खड़े किए जा रहे हैं, जब पार्टी की ओर से चुनाव में मुख्य चेहरा कमलनाथ को घोषित किया जा चुका है। कांग्रेस नेता अरुण यादव, अजय सिंह से लेकर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह सीएम फेस को लेकर कह चुके हैं कि ये निर्णय हाईकमान और विधायक दल करता है। अब डॉ. सिंह ने एक बार फिर सीएम चेहरे को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि पहले से सीएम का चेहरा घोषित कर दो। वो चुनाव हार जाए, तो सीएम का फेस कैसे बनेगा ? जब चुनकर आ जाते हैं, तो जिसे एमएलए चाहते हैं, जिसे पब्लिक चाहती है, वो बनता है। हमने कह दिया कि ये व्यक्ति सीएम फेस है। वो चुनाव हार गया फिर क्या होगा? इसलिए कांग्रेस में ये पद्धति नहीं होती। प्रजातांत्रिक पार्टी है। प्रजातंत्र में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि निर्णय लेंगे।