साफ पानी के मामले में मप्र को मिला पहला स्थान

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित जल

उपलब्ध कराने के मामले में मप्र को पहला स्थान मिला है। हर मापदंड पर पेयजल की गुणवत्ता जांच के लिए यह मूल्यांकन किया गया था। मूल्यांकन के बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान की प्रगति रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह उपलब्धि सामने आई है। अभियान का लक्ष्य जल गुणवत्ता परीक्षण के लिए ग्राम, जिला एवं राज्य स्तर पर व्यापक जन-भागीदारी और पानी की गुणवत्ता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना है। अभियान में रासायनिक मापदंडों और जीवाणुतत्व संबंधी मापदंडों का पता लगाने के लिए सभी गांवों में पीडब्ल्यूएस स्रोतों का परीक्षण, गांवों में घरेलू स्तर पर पानी की गुणवत्ता का परीक्षण, स्कूलों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में पानी की गुणवत्ता का परीक्षण, दूषित नमूनों के लिए किए गए। पर्याप्त मात्रा के साथ स्वच्छ जल की उपलब्धता जल जीवन मिशन का प्रमुख घटक है। सुरक्षित और स्वच्छ जल की उपलब्धता के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा स्वच्छ जल से सुरक्षा (एसजेएसएस) अभियान चलाया गया। अभियान की रिपोर्ट में मप्र को अग्रणी राज्य में शामिल किया गया है। पर्याप्त मात्रा के साथ स्वच्छ जल की उपलब्धता जल जीवन मिशन का प्रमुख घटक है। सुरक्षित और स्वच्छ जल की उपलब्धता के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान चलाया गया। अभियान की रिपोर्ट में मप्र को अग्रणी राज्य में शामिल किया गया है। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा देशव्यापी अभियान में 2 अक्टूबर, 2022 से 31 मार्च, 2023 की अवधि में राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में पानी की गुणवत्ता की निगरानी और निरीक्षण की गतिविधियां का मूल्यांकन किया गया। अभियान में राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का आंकलन कर रिपोर्ट जारी की गयी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर घर शुद्ध जल पहुंचाने के संकल्प में मध्यप्रदेश सरकार तेज़ी से कार्य कर रही है। स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान की उपलब्धि मध्यप्रदेश के विकास के जन-भागीदारी मॉडल का एक और सशक्त उदाहरण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मप्र में सरकार एवं नागरिक कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी राज्य मंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव ने इस उपलब्धि पर विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, नागरिकों एवं टेस्टिंग प्रशिक्षण प्राप्त कर अपनी सशक्त भागीदारी सुनिश्चित करने वाली समस्त महिलाओं को बधाई दी है।
59 लाख से अधिक घरों में नल से जल
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में समूचे प्रदेश के हर घर में नल-जल पहुंचाने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। हर दिन अनेक गांवों में नल-जल सुविधा प्रारंभ हो रही है। अब तक 59 लाख 7 हजार 373 परिवार को नल से जल की सुविधा प्राप्त हो चुकी है। प्रदेश की 2 हजार 709 पंचायतों में शत प्रतिशत नल से जल पहुंच चुका है। इनमें से 1 हजार 127 पंचायतों को हर घर नल-जल प्रमाणित भी किया जा चुका है। वहीं ग्रामों की बात करें तो 8 हजार 612 ग्राम शत प्रतिशत नल-जल ग्राम हैं, जिनमें से 3 हजार 653 ग्रामों को प्रमाणित किया जा चुका हैं। वही 25 हजार 290 ग्रामों में कार्य तेजी से प्रगतिरत है। जल संसाधनों के उचित उपयोग, बेहतर प्रबंधन और स्त्रोतों के संरक्षण, संवर्धन में जन-भागीदारी का समावेश जल जीवन मिशन का एक महत्वपूर्ण घटक है।
योजना में यह परिकल्पना की गई है कि समुदाय ही गांव की जल संबंधित योजना के क्रियान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रख-रखाव में मुख्य भूमिका निभाएगा। साथ ही जल के उचित उपयोग के लिए जन-जागरूकता लाने में ग्रामीणजन की भागीदारी सुनिश्चित करने ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का प्रावधान है। प्रदेश में अब तक 31 हजंार 173 ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का गठन किया जा चुका है। इन समितियों द्वारा जल-प्रदाय योजनाओं का संचालन, संधारण और जल कर वसूली कार्य का निर्वहन किया जा रहा है। समितियों में 50 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। जन-सहयोग से ही जल जीवन मिशन के लक्ष्य को योजनाबद्ध तरीके से प्राप्त किया जा सकता है। इसे ध्यान रखते हुए विभाग द्वारा समय-समय पर ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का उन्मुखीकरण किया जा रहा है। मिशन में ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति द्वारा किए जाने वाले कार्यों संबंधी, समिति के सदस्यों को उनकी भूमिका एवं कार्य की जानकारी दी जाती हैं। प्रशिक्षण में जल-संरक्षण के तरीके, पेयजल योजनाओं के संचालन-संधारण, खाता संचालन एवं जन-जागरूकता से कार्य करने के संदर्भ में प्रशिक्षित किया जाता है।
महिलाओं को किया प्रशिक्षित
अभियान के दौरान फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करके जल गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए 42 हजार 595 गांवों में महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि 11 हजार 606 दूषित सैंपलों में से 11 हजार 505 के लिए उपचारात्मक कार्रवाई की गई है। अभियान का लक्ष्य जल गुणवत्ता परीक्षण के लिए ग्राम, जिला एवं राज्य स्तर पर व्यापक जन-भागीदारी और पानी की गुणवत्ता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना है। अभियान में रासायनिक मापदंडों और जीवाणुतत्व संबंधी मापदंडों का पता लगाने के लिए सभी गांवों में पीडब्ल्यूएस स्रोतों का परीक्षण, गांवों में घरेलू स्तर पर पानी की गुणवत्ता का परीक्षण, स्कूलों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में पानी की गुणवत्ता का परीक्षण, दूषित नमूनों के लिए किए गए उपचारात्मक कार्य, ग्रामीण स्तर पर एफटीके/एच2एस किट का उपयोग कर जल गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए महिलाओं का प्रशिक्षण आदि की गतिविधियां शामिल हैं।