कर्नाटक फॉर्मूले पर बंटेगा और कटेगा टिकट

फील्ड में कमजोर कांग्रेस विधायकों के टिकट खतरे में.

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस पूरे दमखम से लगी हुई है। पार्टी मप्र में भी कर्नाटक दोहराना चाहती है। यानी कर्नाटक फॉर्मूले पर चुनाव लड़ना चाहती है। यानी मप्र में भी कर्नाटक फॉर्मूले के अनुसार टिकट बंटेगा और कटेगा। इससे यह साफ है की के कांग्रेस इस बार फिर जीत सकने वाले मौजूदा विधायकों को ही टिकट देगी। हर सीट पर सर्वे के आधार पर विधायक का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया है। सर्वे में जिस विधायक के खिलाफ लगातार रिपोर्ट आएगी उनका टिकट खतरे में आना तय है। जानकारी के अनुसार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने राज्य की लगभग 200 से ज्यादा सीटों पर सर्वे करा लिया है। सर्वे में विधायकों की परफॉर्मेंस, पार्टी के वोटबैंक के आधार पर चार कैटेगरी ए, बी, सी और डी में बांटा है। इसके आधार पर प्रत्याशी घोषित करने की तैयारी भी कर ली है। सूत्रों का कहना की सर्वे में कांग्रेस के 96 विधायकों में से 26 की परफॉर्मेंस चिंताजनक है। संभावना जताई जा रही है कि इनके टिकट पर कैंची चल सकती है। इस विषय पर 15 जून को होने वाली बैठक में चर्चा होने की संभावना है।
जानकारी के अनुसार हर सीट पर कई राउंड सर्वे करवाकर फीडबैक लिया जा रहा है। आगे भी कई दौर के सर्वे होंगे। जिन विधायकों की जनता के बीच छवि खराब है और जीतने की हालत नहीं हैं, उनके टिकट काटे जाने की तैयारी है। जिन विधायकों के टिकट कटने हैं, उनमें से कुछ के चुनाव क्षेत्र से खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने फीडबैक लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी लगातार हारने वाली 66 सीटों पर कार्यकर्ताओं का मन टटोलकर आए हैं। ऐसी सीटों पर प्रत्याशियों के चयन में कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह की खुद की रिपोर्ट भी अहम रहेगी। सूत्रों का कहना है कि टिकट वितरण के प्रोसेस का कई लेयर में है। इसमें प्रभारी, सहप्रभारियों का फीडबैक होगा। लोगों का फीडबैक होगा। स्क्रीनिंग कमेटी का फीडबैक होगा। सर्वे होंगे, सर्वे के आधार पर ही हम कर्नाटक बेहतर तरीके से जीतकर आए हैं। हर सीट पर स्टडी की जा रही है। इस बार चुनाव बहुत माइक्रो मैनेजमेंट से लड़ा जा रहा है। कांग्रेस हर चुनावों में टिकट को लेकर मापदंड बनाती है, लेकिन बाद में उनमें छूट भी दी जाती रही है। पिछली बार दो बार से ज्यादा हारने वालों को टिकट नहीं देने का मापदंड बनाया था लेकिन कई नेताओं को इससे छूट दी गई थी। हर बार यह कहा जाता है कि पैराशूटी नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा, लेकिन इसकी कभी पालना नहीं होती। टिकट वितरण के मापदंड बनते और बदलते रहते हैं।
जुलाई में प्रत्याशियों के ऐलान की तैयारी
कांग्रेस में आंतरिक तौर पर कराए गए सर्वे में पार्टी करीब 50 सीटिंग विधायकों को टिकट देने की हरी झंडी दे चुकी है। वहीं 40 से अधिक विधायकों के टिकट पर पार्टी में संशय है। विधानसभा चुनाव में पार्टी लगभग अपने सभी दिग्गज चेहरों को उनकी पंरपरागत सीट से मैदान में उतार कर इन नेताओं को अन्य सीटों की जिम्मेदारी देने जा रही है। इसनें नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल और जयवर्धन सिंह जैसे नेताओं के नाम शामिल है। इसके साथ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को पूरे प्रदेश में सामंजस्य बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। संभवत: 15 जून के बाद पार्टी की बैठक में कुछ सीटों के लिए चर्चा हो सकती है। इसके बाद जुलाई में प्रत्याशियों के नामों का ऐलान भी हो सकता हैं। इनमें ज्यादातर ऐसी सीटें है। कांग्रेस सर्वे रिपोर्ट में डी कैटेगरी वाले विधायकों के टिकट काटेगी। साथ ही कुछ सी कैटेगरी वालों के भी टिकट बदले जा सकते हैं। पार्टी ने हर सीट पर सर्वे के आधार पर हर विधायक का रिपोर्ट कार्ड तैयार कराया है। प्रदेश में सत्ता की वापसी की कोशिश कर रही कांग्रेस में सर्वे के आधार पर टिकट तय हो रहे है। सर्वे में कमलनाथ का फोकस उन विधानसभा सीटों पर है जहां पर पार्टी पिछला चुनाव हार गई थी। ऐसे में कमलनाथ ऐसी सीटों पर मजबूत उम्मीदवार की तलाश के लिए सर्वे को तरजीह दे रहे है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने टिकट के दावेदारों को साफ कर दिया है कि स्थानीय स्तर से सर्वे में जिस उम्मीदवार का नाम निकलकर आएगा, उसको ही टिकट दिया जाएगा। इसके साथ सर्वे के जरिए कमलनाथ प्रदेश में जिलों और अंचल के हिसाब से स्थानीय मुद्दों की तलाश कर रहे हैं, जिसके सहारे पार्टी उन को चुनावी मुद्दा बना सके और चुनाव स्थानीय मुद्दों पर ही लड़ा जा सके। इसके लिए कमलनाथ विंध्य,महाकौशल, मालवा और ग्वालियर-चंबल में अलग-अलग सर्वे एजेंसियों से सर्वे करा रहे है। कमलनाथ सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर पार्टी की चुनावी रणनीति तैयार कर रही है और सर्वे में सामने आए मुद्दों को तरजीह देते हुए पार्टी जिला स्तर पर अपना वचन पत्र बना रही है।
तैयार हो रही प्रत्याशियों की सूची
प्रदेश कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार पार्टी में प्रत्याशियों की सूची तैयार करने पर काम शुरू हो गया है। जिन नेताओं के टिकट काटे जाने हैं, उसकी एक शुरुआती लिस्ट तैयार कर ली गई है। हारने वाले उम्मीदवारों को सचेत भी कर दिया गया है और उन्हें फील्ड में मेहनत करने को कहा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार वर्तमान में मप्र में कांग्रेस के 96 विधायक हैं। क्षेत्र के अनुसार देखें तो मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। इनमें से करीब 8-10 विधायकों के टिकट कट सकते हैं। इसी तरह ग्वालियर- चंबल की 34 सीटों में से कांग्रेस के पास 17 सीटें है। इनमें से करीब 3-4 विधायकों के टिकट पर कैंची चल सकती है। बुंदेलखंड में 26 सीटों में से कांग्रेस के पास सिर्फ 7 विधायक हैं। इनमें से पार्टी सर्वे रिपोर्ट एवं विधायकों की जीतने की संभावना के चलते 2-3 विधायकों को चुनाव नहीं लड़ा सकती है। विंध्य क्षेत्र में 30 सीटों में से कांग्रेस के पास सिर्फ 6 सीट हैं। इनमें से भी 2 विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। महाकौशल क्षेत्र में 38 सीटों में से कांग्रेस के पास 24 सीटें है। इनमें से 5-6 विधायकों के टिकट कट सकते हैं। इसी तरह भोपाल-होशंगाबाद क्षेत्र की 36 सीटों में से कांग्रेस के पास 12 सीट हैं। इनमें से भी 3-4 टिकट पर कैंची चलाई जा सकती है।
प्रोफेशनल एजेंसियों से सर्वे की शुरुआती रिपोर्ट
मप्र चुनावों के लिए प्रोफेशनल एजेंसी से सर्वे करवाया जा रहा है। सर्वे के आधार पर जिताऊ उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार की जा चुकी है। जिन नेताओं के टिकट काटे जाने हैं , उसकी एक शुरुआती लिस्ट तैयार कर ली गई है। हारने वाले उम्मीदवारों को सचेत भी कर दिया है और उन्हें फील्ड में मेहनत करने को कहा है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने मप्र में टिकट बांटने का कर्नाटक वाला फॉर्मूला अपनाने की तैयारी कर ली है। इस फॉर्मूले के अनुसार हर सीट पर पहले कई राउंड में सर्वे करवाए जा रहे हैं। मौजूदा विधायक अगर हार रहा है तो उनके टिकट काटे जाएंगे। हारने वाले विधायकों को पहले से सचेत कर दिया गया है। सर्वे में हार रहे विधायकों से कहा गया है कि वे फील्ड में जनता के बीच अपना पर्सेप्शन सुधारें। आगे के सर्वे तक के लिए इन विधायकों के पास मौका है, अगर सुधार हो जाता है और आगे सर्वे में उनके पक्ष में राय आ जाती है तो टिकट नहीं कटेंगे। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि अभी सर्वे हो रहा है, उसमें किसी की ग्राउंड से रिपोर्ट खराब आती है तो उस पर संज्ञान लिया जाएगा। लोग कांग्रेस को वोट करना चाहते हैं। कुछ चुनिंदा लोग ऐसे हैं, जिनकी सर्वे में रिपोर्ट ठीक नहीं है तो उनके बारे में क्या कदम उठाया जाए, इस पर विचार किया जाएगा।