जनता के फीडबैक से तैयार हो रही रिपोर्ट से दावेदारों की धडक़नें बढ़ीं.
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी .हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक को जीतने के बाद कांग्रेस का अब पूरा फोकस मप्र पर है। कांग्रेस भाजपा से हर हाल में 2020 का बदला लेना चाहती है। इसके लिए मप्र कांग्रेस जहां जमीनी तैयारी में जुटी हुई है, वहीं कर्नाटक में कांग्रेस की जीत की रणनीति बनाने वाली राहुल गांधी की टीम ने भी प्रदेश में मोर्चा संभाल लिया है। राहुल के ये ‘जासूस’ सभी 230 विधानसभा सीट के दावेदारों की रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसे राहुल गांधी को सौंपेंगे। सूत्रों का कहना है कि राहुल के जासूसों की सक्रियता ने विधायकों के साथ ही अन्य दावेदारों को पसोपेस में डाल दिया है। क्योंकि इस बार केवल जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाएगा।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी इस बार प्रदेश में 150 सीटें जीतने का टारगेट लेकर चल रही है। इसको लेकर कांग्रेस ने तैयारियां तेज कर दी है। इसी कड़ी में कांग्रेस अपने विधायकों की रिपोर्ट तैयार करेगी। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के ‘जासूस’ मप्र के कांग्रेस नेताओं की रिपोर्ट बनाएंगे। कर्नाटक चुनाव में जीत दिलाने वाली राहुल गांधी की टीम इंटरनल सर्वे में जुट गई है। कांग्रेस नेताओं की रिपोर्ट तैयार करने के लिए अलग-अलग जिलों में टीम भेजी गई है। यह टीम प्रदेश की 230 विधानसभा में पहुंचकर जनता से राय ले रही है। जनता के फीडबैक से तैयार हुई रिपोर्ट को सीधे राहुल गांधी को सौंपा जाएगा। जानकारों का कहना है कि इस बार कांग्रेस के सर्वे का तरीका काफी जटिल है। सर्वे टीम बिना किसी सूचना के क्षेत्रों में उतारी गई है, जिनके द्वारा बूथ से लेकर घर-घर जाकर लोगों से पूछा जा रहा है कि उनके यहां प्रत्याशी कैसा होना चाहिए। टीम के सदस्य कई नाम मतदाताओं के सामने रखते हैं और फिर मतदाताओं की रुचि के आधार पर संभावितों को ग्रेड दे रहे है। ऐसे में पहले से संभावित माने जाने वाले नेता या टिकट की दावेदारी कर रहे नेताओं के नाम भी उलझ रहे हैं।
दावेदारों के उड़ाए होश
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि टीम राहुल की सक्रियता ने टिकट के दावेदारों के होश उड़ा दिए हैं। खासकर उन नेताओं की धडक़ने बढऩे लगी हैं, जो अगले विधानसभा चुनाव के लिए अपना टिकट पक्का मान बैठे हैं। इन नेताओं को डर है कि कहीं वे टीम कर्नाटक के फार्मूले पर फिट नहीं बैठे, तो उनका टिकट कट सकता है। इनमें से अधिकांश नेता ऐसे विधानसभा क्षेत्र से हैं, जहां कांग्रेस को जीतने की उम्मीद है और वहां टीम कर्नाटक टिकट बंटवारे में अहम भूमिका निभाएगी। दरअसल इस बार प्रत्याशी तय करने में हाईकमान रुचि दिखा रहा है। और इसके लिए उस टीम को जिम्मेदारी दी गई है, जिसने कर्नाटक में चुनाव जिताने में खास भूमिका निभाई। इधर मप्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ चाहते है कि कांग्रेस से सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों को टिकट दिया जाए जो अपने क्षेत्र में जीत दर्ज करने का दमखम रखते हों। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सभी विधानसभा सीटों पर टिकट का वितरण सर्वे के आधार पर करवाना चाहते हैं। ऐसे में उन सभी कांग्रेसी नेताओं के चेहरे भी मुरझाने लगे हैं, जिन्हें उम्मीद थी कि दिल्ली में बैठे पार्टी आलाकमान नेताओं के सिफारिश के बाद टिकट मिल जाएगा।
150 सीटें जीतने का दावा
पिछले महीने दिल्ली में राहुल गांधी ने मप्र के सभी बड़े नेताओं को इंटरनल रिपोर्ट के आधार पर चौंका दिया था कि मौजूदा विधायकों में से 30 विधायक चुनाव हार रहे हैं, जिन्हें अपनी विधानसभा में फोकस करना होगा, तभी अपनी सीट बचा पाएंगे। उसी दिन राहुल मप्र में इंटरनल असिस्मेंट के आधार पर 150 सीटें जीतने की बात कह चुके हैं। इसके साथ ही केंद्रीय पर्यवेक्षकों की टीम पिछले पांच चुनावों में लगातार हारने वाली सीटों पर पहुंच रही है, जहां से उम्मीदवारों के बायोडाटा लिए जा रहे हैं। कर्नाटक में जीत के बाद विधानसभा चुनाव के पांच महीने पहले राहुल गांधी की टीम ने मप्र में मोर्चा संभाल लिया है। टीम के सदस्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीट में पहुंचकर लोगों की राय जानकर चुनावी रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं। इसके साथ ही यह टीम जनता के बीच लोकप्रिय चेहरे जो टिकट के दावेदार हैं, उनके भी संपर्क में है। यह रिपोर्ट भी सीधे राहुल गांधी को सौंपी जाएगी। इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही मप्र में विधानसभा चुनाव की रणनीति और टिकट के बारे में तय होगा।
प्रत्याशियों के नामों का तैयार होगा पैनल
मप्र में कांग्रेस जैसे-जैसे अपनी चुनावी तैयारियों को पुख्ता करने में जुट रही है, वैसे-वैसे टिकट के लिए नए-नए फार्मूले सामने आ रहे है। पिछले एक साल से पीसीसी चीफ कमलनाथ अपने स्तर पर प्रत्याशियों के लिए सर्वे करा रहे है। ऐसे में अधिकांश नेताओं को उम्मीद थी कि उनके टिकट पक्के होंगे, लेकिन पिछले माह दिल्ली में हुई बैठक में ये सुनिश्चित हुआ कि टीम कमलनाथ के अलावा टीम कर्नाटक भी पूरे प्रदेश में अपने-अपने स्तर पर फीडबैक और सर्वे के जरिए प्रत्याशियों के नामों का पैनल तैयार करेगी। दोनों टीमों के सर्वे का आकंलन करने के बाद दिल्ली स्तर पर बनाई गई टीम प्रत्याशियों के नामों पर अंतिम मोहर लगाएंगी। सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर ही टिकट तय किए जाएंगे, इसमें यदि कोई मौजूदा विधायक या वरिष्ठ नेता अथवा उनका समर्थक क्राइटएरिया में फिट नहीं बैठता है, तो उसका टिकट कटना तय है। इसलिए इन नेताओं ने टिकट के लिए अपने क्षेत्रों पर पूरा ध्यान देना शुरू कर दिया है। जानकारों की मानें तो कांग्रेस को इस बार सबसे ज्यादा विंध्य और ग्वालियर चम्बल संभाग में अपनी जीत की उम्मीद है। इसी आधार पर सर्वे टीम इन अंचलों की विधानसभा सीटों के लिए ज्यादा ही मेहनत कर रही है। यहां एक- एक संभावित उम्मीदवार के बारे में पूरी बारीकी से आंकलन किया जा रहा है। कसौटी में फिट होने के बाद ही उन्हें टिकट के संभावितों की सूची में शामिल किया जा रहा है।
दावेदारों को फील्ड में रहने का निर्देश
उधर, मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है, टिकट के दावेदारों की दौड़ तेज होती जा रही है। खासकर कांग्रेस के नेता टिकट के लिए सबसे अधिक मारामारी कर रहे हैं। टिकट के दावेदार भोपाल से लेकर दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं। जिस समय नेताओं को अपने क्षेत्र में होना चाहिए तब अधिकांश नेता भोपाल या दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं। इसको देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने नेताओं को हिदायत दी है कि वे अपने क्षेत्र में चुनाव पर फोकस करें। दरअसल, दिल्ली में मप्र के नेता डेरा डाले हुए हैं, जहां एआईसीसी में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल से कांग्रेस के 24 अकबर रोड दफ्तर में मिल रहे हैं, लेकिन दिल्ली के नेता मुलाकात करने वालों से दिल्ली दौड़ के बजाए चुनाव पर फोकस करने को कह रहे हैं। नई दिल्ली में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खडग़ेे से मिले और प्रदेश के राजनीतिक हालातों पर चर्चा की। खडग़ेे ने यादव से चुनाव पर फोकस करने को कहा है। पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल भी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, जहां वे बड़े नेताओं से मेल-मुलाकात कर रहे हैं।