मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब
महज पांच माह का ही समय रह गया है, ऐसे में भाजपा के बड़े नेताओं द्वारा अपने परिजनों को राजनीति में स्थापित करने की लिए तैयार की जाने वाली रणनीति पर पूरी तरह से पानी फिरता नजर आ रहा है। इसकी वजह है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वह भाषण जो उनके द्वारा बीते रोज भोपाल में दिया गया है। इसमें उनके द्वारा विपक्षी दलों पर परिवारवाद को लेकर जमकर हमला बोला गया है। अहम बात यह है कि हमला विपक्षी दलों के नेताओं पर बोला जा रहा था , लेकिन धडक़ने प्रदेश के कई बड़े नेताओं की बढ़ रही थीं। यह हमला उनके द्वारा बीते रोज मप्र सहित अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव का शंखनाद करते समय बूथ विस्तारक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किया गया। इस हमले के दौरान प्रदेश भाजपा में उन नेताओं के चेहरों के हावभाव बदलते रहे, जो राजनीति में परिवार के सहारे लगातार आगे बढ़ते रहे हैं। दरअसल मप्र में कई ऐसे राजनेता हैं, जो राजनीति में अपने पारिवारिक विरासत की वजह से ही आगे बढ़े हैं। उन्हें परिवार की राजनीति पृष्ठभूमि की वजह से ही सत्ता व संगठन में लगातार मौके मिलते रहे हैं। इस दौरान मोदी ने विपक्ष के परिवारवाद पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर आपको गांधी परिवार के बेटे-बेटी का भला करना है तो कांग्रेस, मुलायम सिंह यादव के बेटे का भला करना है तो समाजवादी पार्टी, लालू प्रसाद के बेटे-बेटी का भला करना चाहते हैं तो राजद, शरद पवार की बेटी का भला करना हो तो एनसीपी, अब्दुल्ला परिवार के बेटे का भला करना हो तो नेशनल कांफ्रेंस, करुणानिधि के बेटे-बेटी, पोते-पोती का भला करना हो तो डीएमके, के चंद्रशेखर राव की बेटी का भला करना हो तो बीआरएस को वोट दीजिए। मगर आपको अपने परिवार के बेटे-बेटी, पोते-पोती, नाती-नातिन और बच्चों का भला करना हो तो भाजपा को वोट दें। मोदी ने इस तरह विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी की लाइन तय कर दी है जिससे परिवार के सहारे राजनीति में जमने वाले नेताओं के लिए चिंता की स्थिति बन गई है।
यह बने उत्तराधिकरी
इंदौर के पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मण गौड़ की पत्नी मालिनी गौड़ अभी विधायक हैं। उन्हें पहले पार्टी ने लक्ष्मण गौड़ के निधन के बाद इंदौर महापौर बनाया और उसके बाद विधायक । अब उनके बेटे भी राजनीति में उतरने को पूरी तरह से तैयार हैं। इसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री रहे स्व बाबूलाल गौर ने बहू को राजनीति में उतारा। वे पहले भोपाल की महापौर बनी और फिर 2018 में विधायक भी बनीं। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के भाई जालम सिंह हैं, जिन्हें बड़े भाई राजनीति में लाए। वे विधायक भी हैं। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा हैं। उन्होंने सुंदरलाल पटवा की रायसेन सीट पर राजनीतिक विरासत संभाली है। पूर्व मंत्री स्व. तुकोजीराव पवार की पत्नी हैं गायत्रीराजे। पति के निधन के बाद वे राजनीति में आई हैं और विधायक हैं। इसी तरह से पूर्व मंत्री और मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन की पुत्री मौसम बिसेन हैं। बिसेन बेटी को टिकट दिलाने के लिए 2018 से प्रयासरत हैं। मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे हैं अभिषेक। अभिषेक भी पिता की तरह राजनीति में आना चाहते हैं, लेकिन चुनावी राजनीति में अभी तक उन्हें मौका नहीं मिल सका है।
इसी तरह से मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे हैं सुकर्ण। वे भी राजनीति में उतरना चाहते हैं और अपनी पिता की राजनीतिक विरासत संभालना चाहते हैं। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई हीरा सिंह हैं और बेटे आकाश सिंह हैं। हीरा सिंह तो जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, तो आकाश सिंह समाजसेवा में सक्रिय हो गए हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. ईश्वरदास रोहाणी के पुत्र हैं अशोक रोहाणी। पिता के निधन के बाद उन्हें टिकट मिला और वे विधायक बने। पूर्व विधायक राजेंद्र वर्मा के बेटे हैं देवेंद्र। पिता के निधन के बाद वे राजनीति में आए और विधायक बने। पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा की पत्नी हैं नीना। पति की राजनीतिक विरासत पत्नी ने संभाली है। हालांकि विक्रम वर्मा अभी 79 उम्र के हैं। पूर्व मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र हैं आकाश। पिता ने पिछले चुनाव में बेटे को विधानसभा का टिकट दिलाया था। पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मीकांत शर्मा के भाई हैं उमाकांत। लक्ष्मीकांत शर्मा के खिलाफ व्यापमं घोटाले में अपराधिक प्रकरण दर्ज हो जाने के बाद उनके भाई को पार्टी ने टिकट दिया। मंत्री विजय शाह के भाई हैं संजय शाह। वे राजनीति में आना चाहते थे और उन्होंने पहले निर्दलीय चुनाव जीता। अब वे भाजपा के विधायक हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा के पुत्र हैं ओमप्रकाश। पिता के निधन के बाद राजनीति में आए और आज वरिष्ठ मंत्री हैं। पूर्व सांसद और मध्य प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष रहे कैलाश नारायण सारंग के बेटे हैं विश्वास सारंग। पहले पार्षद और फिर विधानसभा में पहुंचे व अभी मंत्री हैं। पूर्व मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार के बेटे हैं मुदित। वे पिछला चुनाव हार चुके हैं और अभी भी विधानसभा चुनाव लड़ने की मंशा रखते हैं। पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे हैं सिद्धार्थ। वे उप चुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन टिकट नहीं मिला और वे पार्टी से निष्कासित कर दिए गए थे। पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह नागौद के बेटे हैं कृ्ष्णदेव सिंह। नागेंद्र सिंह चुनाव लडऩे से इनकार कर चुके हैं और बेटे को टिकट दिलाने के लिए कोशिश कर रहे हैं।
यह भी मामले…
पूर्व मंत्री और पूर्व आईपीएस अधिकारी रुस्तम सिंह के बेटे हैं राकेश सिंह। रुस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह भी चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। इनके अलावा भाजपा में पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस के पिता विधानसभा अध्यक्ष थे, तो छतरपुर जिले के विधायक राजेश प्रजापति के पिता रामदयाल प्रजापति भी विधायक रह चुके हैं। विधायक राहुल लोधी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे हैं। जनसंघ व भाजपा की संस्थापकों में से एक विजयाराजे सिंधिया की बेटी हैं यशोधरा राजे व पोते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया। यशोधरा राजे शुरू से ही भाजपा में हैं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को अभी तीन साल हुए हैं। यशोधरा राजे मध्य प्रदेश में मंत्री हैं, तो ज्योतिरादित्य केंद्रीय मंत्री हैं।