मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव में
महज चार माह का ही समय रह गया है। ऐसे में प्रत्याशियों को लेकर चर्चाएं भी अभी से जोर पकड़ने लगी हैं। टिकट के दावेदार अभी से सक्रिय हो गए हैं। इस बीच संगठन ने उन सीटों पर पूरा फोकस करना शुरु कर दिया है , जहां पर बीते चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इस तरह की सीटों की संख्या 103 है। इनमें से कांग्रेस के पास 96 और सात अन्य के पास हैं। पार्टी अब इन सीटों पर हर-हाल में जीत चाहती है। यही वजह है कि इन सीटों पर पार्टी ने नए चेहरों पर दांव लगाने का फैसला कर लिया है। इनमें वे 13 सीटें भी शामिल हैं, जिन पर मंत्री रहते नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था। इससे यह तो तय है कि अब पार्टी इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में हरल्ले साबित हो चुके मंत्रियों को चुनाव लड़ने का मौका नहीं देगी। यह बात अलग है कि दो चार सीटों पर अपवाद के रुप में पुराने चेहरों को उतारा जा सकता है। इन सीटों पर पार्टी की जीत तय करने के लिए संगठन ने अपने बड़े नेताओं के दौरे कराने का भी तय किया है। इसके लिए पार्टी ने सभी सीटों के लिए एक-एक प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है। इसके बाद से अब हर पखवाड़े में इन क्षेत्रों की पूरी जानकारी ली जा रही है। दरअसल भाजपा अभी से वहां के कांग्रेस विधायकों के खिलाफ पूरी ताकत से माहौल बनाकर उनके खिलाफ एंटी इनकंबैंसी का पूरा फायदा उठाना चाहती है।
पार्टी द्वारा तय की जा रही नई गाइड लाइन से जिन एक दर्जन पूर्व मंत्रियों के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा हैं उनमें अंतर सिंह आर्य, ललिता यादव, ओमप्रकाश धुर्वे, नारायण सिंह कुशवाहा, जयभान ङ्क्षसह पवैया, रुस्तम सिंह, उमा शंकर गुप्ता , अर्चना चिटनिस, शरद जैन , जयंत मलैया , बालकृष्ण पाटीदार और लाल सिंह आर्य शामिल हैं। इनमें से अधिकांश नेता उम्रदराज हो चुके हैं, तो कई पूर्व मंत्रियों के क्षेत्र में श्रीमंत समर्थक विधायक अब भाजपा की तरफ से दावेदार हैं। ऐसे में इन नेताओं के टिकट को लेकर तो पहले से ही असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। यह नेता उन इलाकों से आते हैं, जहां पर बीते चुनाव में उनके आसपास की सीटें भी भाजपा हार गई थी। इसकी वजह भी इनमें से अधिकांश पूर्व मंत्रियों के कामकाज को माना जा रहा है।
कांग्रेस नेताओं की करेंगे घेराबंदी
भाजपा कांग्रेस के बड़े नेताओं की 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले घेराबंदी करना चाहती है, ताकि उन्हें क्षेत्र के बाहर प्रचार का मौका न मिल पाए। इसमें खासतौर पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमल नाथ को उनके घर में ही घेरने की रणनीति तैयार की गई है। दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा विधानसभा सीट से विधायक हैं ,तो बेटे जयवर्धन सिंह राघौगढ़ सीट से। इस परिवार का आसपास की सीटों पर भी प्रभाव पड़ता है। इसी तरह कमल नाथ के छिंदवाड़ा के लिए भाजपा ने दो स्तर पर नेताओं की अभी से तैनाती कर दी है। लोकसभा सीट के लिए जहां केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को तो वहीं, विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल को जिम्मा दिया गया है।
इस तरह की तैयारी
इन सीटों की जीत के लिए बहुत पहले ही भाजपा द्वारा तैयारियां शुरु कर दी गई थीं, जिसके तहत प्रभारी नियुक्त कर उनसे मैदानी स्तर पर जाकर मिली हार की वजह और उठाए जाने वाले कदमों के बारे में फीडबैक लेकर कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए संबंधित विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की संगठनात्मक कमजोरी का अध्ययन कर उन्हें दूर किया जा रहा है। चिह्नित कमजोरियों को दूर करने के लिए सभी मोर्चा-प्रकोष्ठ और संगठन के नेताओं के साथ समन्वय बनाने पर जोर दिया जा रहा है। यही नहीं सामाजिक और जातिगत समीकरणों का का पता कर उसके हिसाब से अभी से चुनावी जमावट की भी तैयारी की जा रही है।
कांग्रेस के बड़े नेताओं को घर तक ही सीमित करने का प्रयास
भाजपा के रणनीतिकारों ने इसके साथ ही कांग्रेस के बड़े और प्रभावशाली नेताओं को भी चुनाव के समय उन्हें उनके घर तक सीमित रखने की योजना तैयार की है। उन नेताओं की सभी सीटों पर वरिष्ठ भाजपा नेताओं की निगरानी में कांग्रेसी कद्दावर नेताओं को घेरने की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा उन सात सीटों पर भी भाजपा का फोकस है, जिन पर अन्य दलों के अलावा निर्दलीय विधायक हैं।
युवाओं को मिल सकता है मौका
पार्टी सूत्रों के अनुसार जिस तरह से संगठन में पीढ़ी का बदलाव किया गया है, उसका असर इस बार भाजपा के प्रत्याशी चयन में भी दिख सकता है। माना जा रहा है कि पार्टी इस बार युवा और अधिक ऊर्जावान नेताओं पर दांव लगा सकती है। यह वे चेहरे होंगे जो, बीते दो तीन चुनावों से इलाके में न केवल बेहद सक्रिय हैं, बल्कि लगातार दावेदारी के बाद भी टिकट नहीं पा सके हैं।