प्रदेश के तीन नए चेहरों को मिल सकता है मंत्री पद

मोदी कैबिनेट में बढ़ेगा मध्यप्रदेश का दबदबा.

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। बीते कई दिनों से दिल्ली में जारी बैठकों के बाद कई नए पदाधिकारियों की घोषणा के बाद अब मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल की तैयारी कर ली गई है। बताया जा रहा है कि यह फेरबदल एक दो दिन में कर लिया जाएगा। इसमें प्रदेश के तीन नए चेहरों को मौका मिल सकता है जबकि, दो पुराने चेहरों को मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है। जिन चेहरों को मंत्रिमंडल से हटाया जाएगा उनको संगठन में भेजकर पार्टी का जिम्मा सौंपा जा सकता है।
यह पूरी कवायद मप्र में तीन माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर की जा रही है। इन चेहरों के माध्यम से मोदी सरकार क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधने का प्रयास करेगी। जिन तीन चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है ,उनमें जबलपुर सांसद राकेश सिंह, सतना सांसद गणेश सिंह, राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी के नाम बताए जा रहे हैं। पार्टी का मानना है कि इसका फायदा लोकसभा चुनाव में भी मिल सकता है। इनको शामिल करने के साथ ही मंत्रिमंडल से वैसे तो इतने ही चेहरे बाहर किए जाने की बात कही जा रही है, उनमें मंडला से सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते वीरेंद्र खटीक और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम शामिल है। दरअसल फग्गन सिंह कुलस्ते और वीरेन्द्र खटीक अब तक प्रदेश में अपना कोई प्रभाव नहीं छोड़ सके हैं। कुलस्ते जहां आदिवासी समाज से आते हैं तो खटीक अनुसूचित जाति से आते हैं। इसके बाद भी वे अपनी समाज में भी पकड़ नहीं बन सके हैं। यह नेता अपने क्षेत्र के अलावा प्रदेश में भी सक्रियता नहीं दिखा सके हैं। यही वजह है कि उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाकर दूसरे चेहरों को शामिल किया जा रहा है। यह दोनों ऐसे नेता हैं, जिन्हें पार्टी द्वारा लगातार मौके दिए गए हैं, इसके बाद भी वे अपनी छाप नहीं छोड़ सके हैं। पार्टी उन्हें सागर और उसके बाद आरक्षित हुई टीकमगढ़ लोकसभा सीट से टिकट देती आयी है। इस बार उनके संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले विधानसभा सीटों पर पार्टी की हालत अच्छी नहीं बतायी जा रही है। लगभग यही हाल कुलस्ते के मामले में भी है। उन्हें भी कई बार संगठन व सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर मौका दिया जाता रहा है। इन नए चेहरों के माध्यम से पार्टी तीन वर्गों के मतदाताओं को साधना चाहती है।
किस चेहरे से किस वर्ग को साधने की कवायद
गणेश सिंह विंध्य में भाजपा का बड़ा पिछड़ा वर्ग का चेहरा हैं। वे लगातार चार बार से लोकसभा सदस्य निर्वाचित होते आ रहे हैं। वे कुर्मी जाति से आते हैं। विंध्य क्षेत्र में कुर्मी वोट बैंक चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता आ रहा है। बीते विधानसभा आम चुनाव में भाजपा को बड़ी सफलता मिली थी। इस अंचल की 30 सीटों में से 24 पर भाजपा को विजय मिली थी। भाजपा इस बार भी इसी जीत को दोहराना चाहती है। इसकी वजह से ही गणेश सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर पार्टी बड़ा दांव खेलने जा रही है। इसके अलावा राज्य सरकार में उपेक्षित अंचल की शिकायत को भी इस माध्यम से दूर करने का प्रयास है। इसी तरह से चौथी बार के महाकौशल अंचल के जबलपुर सांसद राकेश सिंह पूर्व में प्रदेश संगठन की कमान भी सम्हाल चुके हैं। यह अंचल भी प्रदेश सरकार में इस बार उपेक्षित है। इससे इस अंचल के लोगों में निराशा है। इसी अंचल से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ भी आते हैं। उनका अंचल में बढ़ा प्रभाव है। इसकी वजह से राकेश सिंह को मौका दिया जा रहा है। बीते आम चुनाव में इस अंचल की 38 में से 24 सीटों पर कांग्रेस को विजय मिली थी। कांग्रेस भी इस अंचल पर अपना फोकस किए हुए है। यही वजह है कि बीते माह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने चुनाव अभियान प्रचार का शुभारंभ जबलपुर से किया था। यही वजह है कि भाजपा राकेश सिंह को मंत्रिमंडल में जगह देकर पूरे महाकौशल अंचल में वोट बैंक को साधने की कवायद कर रही है। राकेश सिंह सामान्य वर्ग से आते हैं। तीसरा नाम सुमेर सिंह सोलंकी का है। वे मालवा अंचल के आदिवासी वर्ग से आते हैं और अभी राज्यसभा सांसद हैं। वे संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं। पार्टी में प्रदेश स्तर पर इस समय इस वर्ग का कोई बड़ा प्रभावी आदिवासी चेहरा नहीं है। यही वजह है कि पार्टी उन्हें भविष्य के बड़े आदिवासी चेहरे के तौर पर तैयार करने की रणनीति पर काम कर रही है। बीते चुनाव में भाजपा को इस वर्ग का साथ नहीं मिलने की वजह से ही सत्ता से बाहर होना पड़ा था। प्रदेश में 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा करीब 30 सीटों पर आदिवासी वोट बैंक निर्णायक स्थिति में रहता है। यही वजह कि सुमेर सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर भाजपा पूरे प्रदेश में आदिवासी वोट बैंक को साधने की कोशिश में है।