अलग-अलग मतदाताओं का जिम्मा संभालेंगे तीनों कांग्रेसी दिग्गज

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में तीन माह बाद होने वाले


विधानसभा के आम चुनाव के लिए अब कांग्रेस भी पूरी तरह से सक्रिय हो चुकी है। कांग्रेस इस बार पूरी योजना के तहत अपने बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने जा रही है। पार्टी ने अपने तीन सबसे बड़े चेहरों के माध्यम से अलग-अलग मतदाताओं को पार्टी से जोडऩे की योजना बनाई है। इसके तहत जहां प्रियंका गांधी शहरी, राहुल गांधी आदिवासी बाहुल और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर फोकस करेगें। फिलहाल प्रदेश के चारों महानगरों में शामिल जबलपुर में पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की एक सभा हो चुकी है जबकि , उनकी दूसरी सभा कल 21 जुलाई को ग्वालियर में होने जा रही है। इसके अलावा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अगले माह शहडोल में सभा कर चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे, तो वहीं पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े भी अगले माह बुदेंलखंड या चंबल अंचल से दौरे की शुरुआत करने जा रहे हैं। दरअसल बीते चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो पता चलता है कि कांग्रेस की प्रदेश के शहरी इलाकों में पकड़ कमजोर हुई है। शहरी इलाकों की तुलना में कांग्रेस का ग्रामीण इलाकों में बेहतर प्रदर्शन रहा है। इसी वजह से ही पार्टी के रणनीतिकारों द्वारा शहरी मतदाताओं को साधने के लिए बड़े शहरों में प्रियंका की सभाएं कराई जा रहीं हैं। पार्टी प्रियंका के सहारे प्रदेश की आधी आबादी यानी की महिलाओं को भी साधना चाहती हैं। यही वजह है कि पार्टी का प्रदेश संगठन अधिक से अधिक प्रियंका की सभाएं कराने के प्रयास में है। उधर, प्रदेश में सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाने वाले आदिवासी मतदाताओं को साधने के लिए राहुल गांधी मैदान सम्हालने जा रहे हैं। वे अगस्त में शहडोल में सभा कर अपने चुनावी प्रचार की शुरुआत करेंगे। इसकी वजह है प्रदेश में आदिवासी वोटर्स की संख्या एक करोड़ से अधिक होना । यही नहीं प्रदेश में इस वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। इसके अलावा 80 सीटों पर आदिवासी वोर्ट निर्णायक माने जाते हैं।
खडग़े साधेंगे दलित वोटर
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े इस समय पार्टी के सबसे बड़े दलित चेहरे हैं। प्रदेश में अजा वर्ग के मतदाताओं की संख्या करीब 80 लाख है। इस वर्ग के लिए 35 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 18 और भाजपा को 17 सीटें मिली थीं। प्रदेश में 100 ज्यादा सीटों पर दलित वोटर्स की निर्णायक भूमिका मानी जाती है। इस वर्ग के मतदाताओं की संख्या बहुतायत में ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और विंध्य अंचल में है।
कांग्रेस के निशाने पर हैं श्रीमंत
सरकार गिराने और दलबदल करने की वजह से श्रीमंत पूरी तरह से कांग्रेस के निशाने पर है। यही वजह है कि कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं का फोकस श्रीमंत के गढ़ ग्वालियर -चंबल अंचल पर बना हुआ है। कांग्रेस विधानसभा चुनावों को श्रीमंत से बदला लेने के अवसर के रूप में देख रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रियंका के इस दौरे का मुख्य उद्देश्य सिंधिया की घेराबंदी करना है। यही वजह है कि वे जनसभा से पहले झांसी की रानी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगी।
अंचल का सियासी महत्व
इस अंचल का प्रदेश की राजनीति में बेहद अहम सियासी महत्व है। बीते चुनाव में इस अंचल में एट्रोसिटी एक्ट के विरोध की वजह से हुए संघर्ष का फायदा कांग्रेस को मिला था। श्रीमंत के दलबदल के बाद 2020 में जब 28 विधानसभा क्षेत्रों में एक साथ उपचुनाव हुए तो भी सर्वाधिक सीटें इसी अंचल में थीं। इस अंचल में वैसे कुल 34 विधानसभा सीटें आती हैं। बीते चुनाव में कांग्रेस ने 26 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने महज 7 और एक सीट बसपा ने जीती थी।
प्रियंका के निशाने पर रहेंगे श्रीमंत
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी कल श्रीमंत के गृह नगर में सभा करने जा रही हैं। माना जा रहा है कि इस दौरान उनके निशाने पर पूरी तरह से श्रीमंत रहेगें। इसकी वजह है, श्रीमंत द्वारा प्रदेश में पार्टी तोडक़र दलबदल किया जाना। इसकी वजह से कांग्रेस की डेढ़ दशक बाद बनी सरकार गिर गई थी। अहम बात यह है कि वे रानी लक्ष्मीबाई के बहाने भी श्रीमंत पर जमकर निशाना साधेगींं। सभा के पहले उनका रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाकर श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम है। बताया जा रहा है कि वे इस दौरान अपने भाषण को झांसी की रानी के इतिहास से जोड़ेगी। उधर, कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के ग्वालियर दौरे को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। उनकी जनसभा में भीड़ जुटाने के लिए घर-घर पीले चावल देकर न्योता दिया जा रहा है। यह पहला मौका है, जब श्रीमंत के भाजपा में जाने के बाद पहली बार प्रियंका गांधी ग्वालियर आ रही हैं।