मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्य प्रदेश में अब विधानसभा
चुनाव होने में महज तीन माह का ही समय रह गया है। ऐसे में भाजपा संगठन चुनावी तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। बीते आम चुनाव में मामूली अंक गणित में पिछडऩे की वजह से भाजपा को सत्ता से बाहर बैठना पड़ा था। इससे सबक लेते हुए ही इस बार राज्य व केन्द्रीय संगठन हर खामी को ठीक कर लेना चाहता है। यही वजह है की इस बार संगठन सरकार के मंत्रियों को विभिन्न समाजों को साधने का जिम्मा सौंपने जा रहा है। यह वे समाज हैं, जो किसी न किसी कारण से सरकार से नाराज चल रहे हैं। इन मंत्रियों को इस काम में गुपचुप लगाया जा रहा है। जिससे की इस मामले में कोई हो- हल्ला न हो। पार्टी सूत्रों के अनुसार यह नेता समाजों के विभिन्न समाजिक संगठनों से मिलकर अपनी बात रखेंगे और उनकी बातों को सुनकर नाराजगी दूर करने का प्रयास करेंगे।
मिल रही जानकारी के मुताबिक योजना के तहत भाजपा संगठन ने करणी सेना की नाराजगी दूर कर उसे साधने के लिए सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया को सक्रिय कर दिया है। पूर्व में भी भदौरिया इस मामले में सक्रिय किए गए थे, तब वे सफल भी रहे थे। उधर, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव अभियान समिति का संयोजक बनाए जाने से स्थिति काफी सुधरेगी। दरअसल करणी सेना की 21 सूत्रीय मांगे हैं, इसमें सबसे पहले आर्थिक आधार पर आरक्षण की है। इसके अलावा एट्रोसिटी एक्ट में परिवर्तन , प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों की भांति ही सरकारी स्कूलों की व्यवस्था करने की मांग शामिल है, उधर, करणी सेना द्वारा लगातार प्रदेश में विधानसभा चुनाव में उतरने की घोषणा भी की जा रही है। इस मामले में करणी सेना का कहना है कि हमारी लड़ाई सत्ता परिवर्तन की नहीं है। कल भी हमारी लड़ाई सत्ता परिवर्तन की नहीं थी, आज भी नहीं है। यह लड़ाई व्यवस्था परिवर्तन की है। इस मामले में प्रदर्शन के दौरान करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर ने कहा था कि यदि सरकार व्यवस्था परिवर्तन नहीं करती है, तो सत्ता परिवर्तन के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि हम अपने वचनों से पीछे नहीं हटेंगे। यदि हमारी बातें नहीं मानीं तो हम चुनावी रणभूमि में उतरेंगे, इनको बताएंगे कि ये माई के लाल क्या कर सकते हैं। दूसरी तरफ ब्राह्मण समाज को साधने के लिए मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव और पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला को भी सक्रिय करने की रणनीति बनाई गई है। यह तीनों नेता अपने-अपने अंचलों में काम करेंगे। दरअसल आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट से तो पहले ही यह वर्ग नाराज चल रहा था। ऐसे में सीधी जिले में एक आदिवासी मामले में की गई कार्रवाई ने नाराजगी और बढ़ा दी है। इसको लेकर यह समाज सरकार से बेहद नाराज है। इसी तरह से पिछड़ा वर्ग को भाजपा के पाले में बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद सक्रिय बने हुए हैं। इसी तरह से आदिवासी वर्ग को साधने का जिम्मा पार्टी वन मंत्री विजय शाह को पहले ही सौंप चुकी है। दलितों को साधने के लिए विधायक हरिशंकर खटीक को भी लगाए जाने की तैयारी है।
चार नेताओं की भूमिका भी होगी तय
प्रदेश संगठन व सत्ता चाहती है कि चुनावी काम में उसकेे चार बड़े नेताओं की भी अहम भूमिका हो, यही वजह है कि इस बात पर मंथन जारी है कि, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रहलाद पटेल और पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका क्या हो। दरअसल प्रदेश में इन नेताओं के अपने -अपने समर्थक हैं। संगठन जानता है कि अगर चुनाव में श्रीमंत की उपेक्षा की गई तो उसे चुनाव में यह उपेक्षा भरी पड़ सकती है। दरअसल अब तक श्रीमंत को संगठन द्वारा कोई भी चुनावी जिम्मेदारी नहीं दी गई है। इस वजह से उनके समर्थक मंत्री, विधायक व कार्यकर्ताओं में मायूसी बनी हुई है। यह बात अलग है कि इसके बाद भी वे खुलकर कुछ कहने की स्थिति में नही हैं। इसी तरह से प्रदेश भाजपा को आदिवासी समाज के बड़े चेहरे के संकट का सामना भी करना पड़ रहा है। ऐसे में अब संगठन को केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की भूमिका पर भी विचार करना पड़ रहा है। दरअसल वे कई बार केन्द्र में मंत्री बनने के बाद भी अपने समाज में कोई पकड़ नहीं बना सके हैं। उधर, सरकार व संगठन में उपेक्षित दिखने वालीं पूर्व सीएम उमा भारती अक्सर अपने बयानों से भाजपा के लिए परेशानी खड़ी करती रहती हैं। उनकी अपनी स्वीकार्यता है, लेकिन उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने पर संदेह बना हुआ है। यह बात अलग है कि लोधी, लोधा, पाल, यादव, कुर्मी सहित बहुत से समाजों का करीब तीन दर्जन सीटों पर बड़ा प्रभाव है। ऐसे में पार्टी इनका साथ बनाए रखने के लिए प्रहलाद पटेल को किसी बड़ी भूमिका दे सकती है। उधर, प्रदेश में भाजपा का महत्वपूर्ण वोट बैंक ब्राह्मण, वैश्य माना जाता है, लेकिन अब यह वर्ग पार्टी से दूर होते नजर आ रहे हैं, खासकर व्यापारी वर्ग भाजपा से खुश नहीं नजर आ रहा है। इसकी वजह से पार्टी कैलाश विजयवर्गीय को भी चुनावी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके अलावा पार्टी का मानना है कि इन चारों दिग्गज नेताओं की चुनाव में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी , तब तक उनके समर्थक कार्यकर्ता मैदानी स्तर पर सक्रिय नहीं होंगे। सूत्रों का कहना है कि कुछ दिन पहले दिल्ली में भाजपा के, दिग्गज नेता के घर पर सभी संगठन के प्रभारी एकत्रित हुए। इस दौरान इन नेताओं के लिए चुनावी भूमिका पर गहन विचार- विमर्श किया गया है।