ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस का ‘पीजी’ फॉर्मूला होगा कारगर?

भोपाल/मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। प्रदेश में ग्वालियर-चंबल


अंचल को कांग्रेस अपना गढ़ मानती आ रही है। अभी तक अंचल में महल के कारण कांग्रेस का वर्चस्व कायम रहता था। लेकिन 2020 में श्रीमंत के भाजपा में जाने के साथ ही कांग्रेस पूरी तरह से महल के प्रभाव से मुक्त हो गई है। ऐसे में अपने गढ़ को बचाए रखने के लिए कांग्रेस ने जहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में जिस ‘पीजी’ फॉर्मूले के सहारे कांग्रेस ने सत्ता हासिल की है, उसका इस्तेमाल मप्र में भी शुरू कर दिया है। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिना श्रीमंत के कांग्रेस ‘पीजी’ फॉर्मूला से अपना गढ़ बचा पाएगी?
गौरतलब है की हिमाचल और कर्नाटक में कांग्रेस की कामयाबी के पीछे ‘पीजी’ फॉर्मूला का बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस इसे मप्र में भी दोहराना चाह रही है। ‘पी’ मतलब प्रियंका गांधी और ‘जी’ मतलब गारंटी यानी वादे। जबलपुर के बाद ग्वालियर में भी कांग्रेस के ‘पीजी’ फॉर्मूले का प्रभाव दिखा। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बीते रोज ग्वालियर में एक रैली को संबोधित किया। इस रैली में उन्होंने 6 गारंटी दी। जिसमें पुरानी पेंशन लागू करेंगे, महिलाओं को हर माह 15 सौ रुपए, गैस सिलेंडर 5 सौ रुपए में मिलेगा, 100 यूनिट बिजली फ्री और 200 यूनिट पर बिल आधा किया जाएगा। किसानों का कर्ज माफ कर दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाई जाएगी। कांग्रेसियों का कहना है कि हिमाचल और कर्नाटक के बाद मप्र में भी ‘पीजी’ फॉर्मूला काम कर रहा है।
मजबूत सरकार बनाने का आह्वान
जन आक्रोश महारैली को संबोधित करते हुए प्रियंका गांधी ने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद काम की गारंटी देते हुए कहा, जहां-जहां हमारी सरकारें हैं, वहां जो गारंटी दी वो निभाई जा रही हैं। मप्र में भी बदलाव की लहर है। एक ऐसी मजबूत सरकार बनाइए जो न खरीदी जा सके, न गिराई जा सके। जो आपके भविष्य को मजबूत बनाए। वहीं सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आप नेताओं से पूछिए कि घोटाले क्यों हो रहे हैं। आपने 22 हजार घोषणाएं की, क्या इसमें से 2000 भी पूरी कीं। आप ईमानदार सरकार चाहते हैं, तो इस सरकार को हटाकर ऐसी सरकार चाहते हैं, जो रोजगार दे, अत्याचार खत्म करे। प्रियंका ने पटवारी घोटाले पर कहा, मां-बाप रुपए खर्च करके ट्यूशन कराते हैं। परीक्षा दिलाते हैं, आज देखिए पटवारी भर्ती घोटाले में क्या हो गया। शर्म की बात है कि पिछले तीन साल में मात्र तीन सरकारी नौकरियां दी गई हैं।
ग्वालियर पर पूरा फोकस
प्रियंका गांधी 40 दिन में दूसरी बार मप्र पहुंचीं और ग्वालियर में कांग्रेस ने अपना पूरा दम दिखाया। यह इस बात का संकेत है कि कांग्रेस ग्वालियर से अपनी जड़ें नहीं छोड़ना चाहती है। सिंधिया राजवंश ने एक समय ग्वालियर की तत्कालीन रियासत पर शासन किया है। यहां पार्टी पर सिंधिया परिवार कांग्रेस के साथ नहीं हैं। ऐसे में संगठन के सामने उसी मजबूती से खड़े रहने की चुनौती है। यही वजह है कि पार्टी 2020 के बाद इस इलाके में खास फोकस कर रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जब नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ा तो एसे ग्वालियर- चंबल इलाके के दिग्गज नेता गोविंद सिंह को सौंपा। गोविंद भिंड जिले की लहार सीट से 7 बार से विधायक हैं। इस इलाके को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस के ग्वालियर-चंबल में फोकस रखने की एक और वजह है। पार्टी को 2018 के विधानसभा चुनाव हों या 2020 का उपचुनाव या फिर नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव। इन सभी फॉर्मेट के चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल के 8 जिलों की कुल 34 सीटों में 26 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी को 7 और बसपा को एक सीट मिली थीं।
श्रीमंत का नाम तक नहीं लिया
जब से श्रीमंत ने पाला बदला है वे कांग्रेस नेताओं के निशाने पर रहे हैं। लेकिन उनके गढ़ में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने करीब 30 मिनट के भाषण के दौरान जहां मप्र सरकार पर जमकर हमला बोला, वहीं श्रीमंत का नाम तक नहीं लिया। भाषण के दौरान श्रीमंत पर कोई हमला नहीं किया। प्रियंका गांधी ने नकारात्मक राजनीति की बजाय जनता के मुद्दों पर ज्यादा फोकस किया। बता दें कि श्रीमंत के पिता माधवराव सिंधिया और प्रियंका के पिता राजीव गांधी करीबी मित्र थे। श्रीमंत भी जब तक कांग्रेस में थे, प्रियंका के बेहद करीब थे। श्रीमंत के भाजपा में जाने के बाद से सियासत पूरी तरह बदल गई, लेकिन प्रियंका ने इसे रिश्तों पर हावी नहीं होने दिया। अब सवाल यह है कि प्रियंका ने पुराने रिश्तों का मान रखा या भविष्य के संबंधों की नींव रखी