कमलनाथ का दांव- सरकार बनने पर कराई जाएगी जातिगत जनगणना

अन्य पिछड़ा वर्ग को साधने की कवायद.

भोपाल/मंगल भारत। मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग को साधने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों जोर लगा रहे है। इससे पहले नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी पर सियासी महाभारत सभी देख चुके हैं। दरअसल प्रदेश की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी ओबीसी वर्ग से आती है। जिसका 125 विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव है। यहीं वजह है कि दोनों ही प्रमुख दल ओबीसी वर्ग का खुद को हितैषी बता रहे है। भोपाल में बीते रोज मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग संयुक्त मोर्चा के महासम्मेलन में पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की आबादी 55 फीसदी है। भाजपा सरकार जातिगत गणना इसलिए नहीं करा रही कि कहीं उसकी पोल न खुल जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर प्रदेश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी। ताकि पता लगाया जा सके कि हमारे समाज में गरीब व्यक्ति कितने है। उनकी क्या सहायता की जा सकती है। ताकि पिछड़े वर्ग की जातियों को वास्तविक संख्या का पता चल सके। उन्होंने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण का प्रावधान कराने के लिए नियम बनाए जायेंगे और ओबीसी वर्ग के साथ न्याय किया जायेगा। कमलनाथ ने कहा कि 27 प्रतिशत आरक्षण मैंने दिया था। सरकार बनने पर मैं इसे लागू कराऊंगा। एससी – एसटी को भी ओबीसी की तरह अधिकार संपन्न बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

इसी प्रकार आउट सोर्स की नीति भी बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि वे ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कराने के लिए वचनबद्ध है। वहीं, राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि संविधान में 73-74 वें संशोधन के अंतर्गत पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया गया। ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, बाबूलाल गौर और वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सही ढंग से कोर्ट में पैरवी नहीं करवाई। यहीं कारण है कि 2014 में इसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद 2019 में कांग्रेस की सरकार बनने पर 27 प्रतिशत आरक्षण लागू कराया गया। इसके बाद जैसे ही कांग्रेस की सरकार हटी 27 प्रतिशत आरक्षण पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। इसका कारण शिवराज सरकार का तथ्यात्मक रूप से कोर्ट में पक्ष नहीं रखना है। यहीं वजह है कि आज भी चयनित ओबीसी हितग्राही भटक रहे हैं।