पुलिसकर्मियों के समर्थन में विधायक हुए लामबंद

भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश के सत्ता व विपक्ष के विधायक


अब पुलिसकर्मियों की वेतन विसंगति के मामले में लामबंद हो गए हैं। इन विधायकों ने अब एकराय होकर इस समस्या को दूर करने के लिए शासन से लेकर सरकार तक को पत्र लिखा है। दरअसल पुलिस मुख्यालय में पदस्थ रहने वाले गैर राजपत्रित कर्मचारियों की दो श्रेणियों के कर्मचारियों को जिला बल के आरक्षकों से भी कम वेतन मिल रहा है। पुलिस मुख्यालय द्वारा इस विसंगति को दूर करने के लिए पूर्व में गृह विभाग को प्रस्ताव भी भेजा गया था , लेकिन गृह विभाग के अफसरों ने उसे महत्व ही नहीं दिया। इसकी वजह से अब विधायकों को चुनावी साल में उनके समर्थन में लामबंद होना पड़ गया है। विधायकों के एक साथ आने की वजह से अब यह मामला जोर पकड़ गया है। जानकारी के मुताबिक अब तक भाजपा और कांग्रेस के तकरीबन 40 से अधिक विधायक इनकी मांगों के सामर्थन में सामने आ चुके हैं। उनके द्वारा इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मांगों को हल करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा कांग्रेस के करीब एक दर्जन विधायकों ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र लिखकर पुलिस अफसरों की मांगों को वचन पत्र में शामिल किए जाने की मांग की है। दरअसल पुलिस मुख्यालय में अनुसचिवीय कर्मचारियों की भर्ती सहायक पुलिस निरीक्षक (एएसआई) के पद पर होती है। जिसकी वजह से उन्हें एएसआई (एम) नाम दिया गया है। इसी तरह से जिला बल में भर्ती आरक्षक के पद पर की जाती है। जो आरक्षक से पदोन्नति के बाद हवलदार और उसके बाद एएसआई बनते हैं। एएसआई गैर राजपत्रित अधिकारी में शामिल हैं। पीएचक्यू के एएसआई और जिले के सिपाही का मौजूदा वेतनमान 1900 रुपए है। जिले के हवलदार का वेतनमान 2400 रुपए और एएसआई का वेतनमान 2800 रुपए है। उस हिसाब से पीएचक्यू के एएसआई जिलों पदस्थ एएसआई से वेतनमान में बहुत पीछे हैं। जिले के सिपाही और पीएचक्यू के एएसआई 1900 रुपए के समान ग्रेड-पे पर काम करते हैं, लेकिन मैदानी पदस्थापना का फायदा मिलने से सिपाहियों को 125 रुपए ज्यादा मिलते हैं। उस हिसाब से सिपाही का वेतनमान 2025 रुपए हो जाता है। कमोबेश यही वेतन विसंगति एसआई (एम) के पद पर भी है। एसआई (एम) और सूबेदार (एम) का ग्रेड-पे 2400 रुपए है, जबकि जिला बल के सूबेदार और एसआई का वेतनमान 3600 रुपए है।
इन विधायकों का है समर्थन….
चुनावी साल में दोनों दलों के नेता संजीदा हो गए हैं। शिवराज और कमलनाथ को पत्र लिखने वालों में प्रदेश सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव, डॉ. प्रभुराम चौधरी, प्रेम सिंह पटेल, ओपीएस भदौरिया, पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला, हरिशंकर खटीक, जय सिंह मरावी, विधायक चेतन्य काश्यप, बापू सिंह तबर, शैलेंद्र कुमार जैन, कुणाल चौधरी, झूमा सोलंकी, रवि जोशी, सीताराम आदिवासी, श्री राम दांगोरे, सुरेंद्र सिंह बघेल, राजेश शुक्ला, आलोक चतुर्वेदी, प्रद्युम्न लोधी, विक्रम सिंह, रामलाल मालवीय, सिद्धार्थ कुशवाहा, राजेश प्रजापति, महेश परमार, बाबू सिंह चंडेल, सुरेश धाकड़, आशीष शर्मा, पहाड़ सिंह बागली, प्रदीप लारिया, सूबेदार सिंह राजौधा, सतीश सिंह सिकरवार, मनोज चौधरी, सुरेंद्र सिंह शेरा, वेल सिंह मेड़ा, अशोक रोहाणी, वीरेंद्र रघुवंशी, गायत्री राजे पवार, संजीव सिंह, पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल, डॉ. रामकिशोर दोगने, जमना सिंह सोलंकी शामिल हैं।