मध्यप्रदेश भाजपा में टिकट का क्राइटेरिया ध्वस्त

पहली ही सूची में परिवारवाद का लगा तडक़ा….

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। विधानसभा चुनाव से तीन महीना पहले 39 प्रत्याशियों की सूची जारी कर भाजपा ने सभी को अचंभित कर दिया है। वहीं इस पहली सूची में ही पार्टी ने टिकट के सारे क्राइटेरिया का ध्वस्त कर दिया है। यानी पार्टी ने पिछला चुनाव हारे प्रत्याशियों को टिकट तो दिया ही है, वहीं बागी पर भी भरोसा जताया है। साथ पहली ही सूची में परिवारवाद का तडक़ा भी लगाया गया है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी के प्रत्याशियों की पहली सूची एक प्रयोग है। इससे पार्टी यह आंकलन करेगी कि अगर आगे ऐसा होता है तो पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और मतदाताओं पर क्या असर पड़ेगा।
विधानसभा चुनावों में भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर रणनीतिक बढ़त बना ली है। दूसरी सूची भी जल्द सामने आ सकती है। भाजपा ने हारी सीटों पर लिए फीडबैक के आधार पर रणनीति बनाई और उसी के तहत चुनावों से करीब 100 दिन पहले 39 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की चुनावी रणनीति की कमान अपने हाथों में ले रखी है। ऐसे में उन्होंने फीडबैक के आधार पर टिकट की गाइडलाइन भी बनाई है। पहली सूची देखकर लगता है कि 70 साल से अधिक उम्र के विधायकों के टिकट कटेंगे। वहीं नेता के परिवार के सदस्यों को भी टिकट तभी मिलेंगे, जब उनकी जीत की गारंटी हो। पार्टी परिवारवाद और वंशवाद से दूर रहना चाहती है, लेकिन सबलगढ़ के पूर्व विधायक स्वर्गीय मेहरबान सिंह रावत की बहू सरला रावत को उम्मीदवार बनाया गया है। जबलपुर की बरगी सीट से पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह के बेटे नीरज सिंह ठाकुर को टिकट दिया गया है। छतरपुर जिले के महाराजपुर में पूर्व विधायक मानवेंद्र सिंह भंवर राजा के बेटे कामाख्या प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है। इससे पार्टी ने यह संकेत दे दिया है कि जीत के लिए परिवारवाद से परहेज नहीं किया जाएगा।वहीं नए चेहरों में जयदीप पटेल कुक्षी, महेश नागेश गोटेगांव, बिछिया डॉक्टर विजय आनंद मरावी, धीरेंद सिंह बड़वारा, वीरेंद्र सिंह लंबरदार बंडा, प्रियंका मीणा चाचौड़ा, राजकुमार कराये लांजी, प्रकाश उइके पादुर्ना, सरला रावत सबलगढ़, नीरज सिंह ठाकुर पाटन और कामाख्या प्रताप सिंह को महाराजपुर से टिकट दिया गया है। इनमें से कई चेहरे पुराने नेताओं के परिजन हैं।
बागी पर भी भरोसा
महेश्वर विधानसभा सीट से भाजपा ने राजकुमार मेव को अपना प्रत्याशी बनाया है। वे 2018 के चुनाव में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर बागी हो गए थे। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और भाजपा के प्रत्याशी भूपेंद्र आर्य से ज्यादा वोट हासिल किए थे। हालांकि वो कांग्रेस की विजयलक्ष्मी साधौ से चुनाव हार गए थे, लेकिन उन्होंने पार्टी में अपनी अहमियत साबित कर दी थी। इससे पहले 2013 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस को हराया था, लेकिन तब कांग्रेस की ओर से सुनील खांडे उम्मीदवार थे। वहीं पार्टी ने पुराने चेहरों को भी मौका दिया है। भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान 2018 में महाकौशल, मालवा-निमाड़ और ग्वालियर-चंबल में हुआ था। हालांकि उप चुनाव में ग्वालियर-चंबल में पार्टी ने हारी सीटों को दोबारा जीत लिया था। भाजपा ने अपनी सूची में अधिकतर पिछली बार हारे उम्मीदवारों को मौका दिया है। वहीं, छह पूर्व मंत्री को टिकट दिया है। इसमें छतरपुर से ललिता यादव, गोहद से लाल सिंह आर्य, शाहपुरा से ओमप्रकाश धुर्वे और सौंसर से नाना भाऊ मोहोड़, सुमावली से एंदल सिंह कसाना ओर जबलपुर पूर्व से अंचल सोनकर शामिल है। वहीं, पूर्व विधायकों में भोपाल मध्य से ध्रुव नारायण सिंह, महेश्वर से राजकुमार मेव, मुलताई से चंद्रशेखर देशमुख, घट्टिया से सतीश मालवीय, भैंसदेंही से महेंद्र सिंह चौहान को टिकट दिया है। पार्टी की तरफ से पिछली बार हारे 14 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है। भाजपा की पहली लिस्ट में सिंधिया के साथ कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए एक पूर्व विधायक का टिकट कट गया है। भिंड जिले की गोहद सीट से कांग्रेस के टिकट पर 2018 में विधायक बने रणवीर जाटव को भाजपा ने उम्मीदवार नहीं बनाया है। रणवीर जाटव ने 2020 में हुए उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वे हार गए थे। 2023 के चुनाव के लिए भाजपा ने इस सीट से पूर्व मंत्री और भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य को उतारा है।
भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ विजयी होगी
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि केंद्रीय चुनाव समिति ने विधानसभा चुनाव के लिए जिन 39 प्रत्याशियों का चयन किया है उसमें युवा, अनुभवी और महिला वर्ग का विशेष ध्यान रखा है। यह सभी प्रत्याशी 2023 के विधानसभा चुनाव की विजयी पताका लेकर प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प अनुसार 2047 में विकसित भारत के संकल्प को पूरा करेंगे। शर्मा ने घोषित सभी प्रत्याशियों को शुभकामनाएं देते हुए मैदान ने जुट जाने की बात कहीं।
इनको मिला टिकट
सरला विरेंद्र रावत को सबलगढ़, एदल सिंह कंसाना को सुमावली, लाल सिंह आर्य को गोहद, प्रीतम लोधी को पिछोर, प्रियंका मीणा को चाचौड़ा, जगन्नाथ रघुवंशी को चंदेरी, वीरेंद्र सिंह लंबरदार को बंडा, कामाख्या प्रसाद सिंह को महाराजपुर, ललिता यादव को छतरपुर, लखन पटेल को पथरिया, राजेश कुमार वर्मा को गुनौर, सुरेंद्र सिंह गहरवार को चित्रकूट, हीरासिंह श्याम को पुष्पराजगढ़, धीरेंद्र सिंह को बड़वारा, नीरज ठाकुर को बरगी, अंचल सोनकर को जबलपुर पूर्व, ओमप्रकाश धुर्वे को शहपुरा, डॉ. विजय आनंद मरावी को बिछिया, भगत सिंह नेताम को बैहर, राजकुमार कर्राये को लांजी, कमल मस्कोले को बरघाट, महेंद्र सिंह चौहान को गोटेगांव, नानाभाऊ मोहोड को सौंसर, प्रकाश उइके को पांढुर्ना, चंद्रशेखर देशमुख को मुलताई, महेंद्र सिंह चौहान को भैंसदेही, आलोक शर्मा को भोपाल उत्तर, ध्रुव नारायण सिंह को भोपाल मध्य, राजेश सोनकर को सोनकच्छ, राजकुमार मेव को महेश्वर, आत्माराम पटेल को कसरावद, नागर सिंह चौहान को अलीराजपुर, भानू भूरिया को झाबुआ, निर्मला भूरिया को पेटलावद, जयदीप पटेल को कुक्षी, कालू सिंह ठाकुर को धरमपुरी, मधु वर्मा को राऊ, ताराचंद गोयल को तराना, सतीश मालवीय को घट्टिया से टिकट दिया गया।
70 पार को नहीं बनाएंगे उम्मीदवार
पार्टी ने तय किया है कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा। इससे गोपाल भार्गव समेत कम से कम दस विधायकों के टिकट कटने की संभावना बताई जा रही है। आठ बार के विधायक गोपाल भार्गव 72 के हो चुके हैं। ऐसे में उनके बेटे अभिषेक का दावा भी मजबूत बताया जा रहा है। हालांकि, अमित शाह की गाइडलाइन साफ है कि टिकट सिर्फ जिताऊ उम्मीदवार को दिया जाएगा। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि रहली विधानसभा से भाजपा किसे उतारती है। वैसे, पहली लिस्ट में 39 में से दो उम्मीदवारों की आयु 70 वर्ष से अधिक है। इस आधार पर कहा जा रहा है कि जिताऊ प्रत्याशी के लिए उम्र के नियम को दरकिनार किया जा सकता है। पहली सूची में भाजपा ने 50 से कम उम्र के 17 उम्मीदवारों को रखा है। वहीं, 50 से 60 वर्ष की आयु के बीच 13 उम्मीदवार हैं। पहली लिस्ट में युवाओं को बराबरी से तवज्जो दी जा रही है। आगे आने वाली सूचियों में भी यह ट्रेंड दिख सकता है। इसके साथ ही स्थानीय समीकरणों पर फोकस किया गया है। चार महिला उम्मीदवारों को टिकट देने के साथ ही अजा की आठ और अजजा की 13 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि 18 अनारक्षित सीटों में से सिर्फ पांच पर ही सामान्य उम्मीदवारों को उतारा गया है। वहीं, 13 उम्मीदवार अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं। मध्य प्रदेश की आबादी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग को आगे भी उम्मीदवारी में तरजीह मिलने वाली है।