मास्टर प्लान: रसूखदारों का ध्यान रखने की गई बाजीगरी

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। ताल तलैया या फिर कहें कि झीलों

की नगरी के रूप में देशभर में अपनी पहचान रखने वाले भोपाल शहर को रसूखदारों की नजर ऐसी लगी कि अब कई तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं तो कई का आकार बेहद सीमित तक हो चुका है। इसके बाद भी रसूखदारों का मन नहीं भर रहा है और वे लगातार नए मास्टर प्लान के विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं। इस नए मास्टर प्लान में किए गए प्रावधानों को लेकर रसूखदारों का पूरा ध्यान रखा गया है,जबकि आमजन की अनदेखी की गई है।
दरअसल इन रसूखदारों में अफसरों से लेकर नेता तक शामिल हैं, जो अपने फायदे के लिए शहर की प्राकृतिक सुंदरता से लेकर आबोहवा तक को खराब करने में पीछे नहीं रह रहे हैं। इन्हें शासन व प्रशासन का भी खूब सहयोग मिलता है, जिसकी वजह से ही भोपाल शहर के साथ ही उसके आसपास के इलाकों में न केवल फारेस्ट एरिया कम हो चुका है बल्कि , तालाबों पर भी अवैध रूप से जमकर कब्जा कर लिया गया है। भोपाल में हालात किस तरह के बन चुके हैं, इससे ही समझा जा सकता है कि बड़े तालाब के 361 वर्ग किमी के कैचमेंट एरिया में ही सैकड़ों की संख्या में अवैध रूप से निर्माण कर लिए गए हैं। इस एरिया में भोपाल जिले के 63 और सीहोर जिले के 36 गांव आते हैं। कैचमेंट एरिया होने की वजह से यहां के लैड्यूज कृषि है। मतलब आप सिर्फ ऑर्गेनिक खेती कर सकते हैं, जिससे बड़े तालाब का पानी दूषित न हो। यहां निर्माण की अनुमति नहीं मिलती। ऐसे में इस इलाके में हुए सभी निर्माण अवैध ही है। यही वजह है कि कारण है कि कुल आपत्तियों की 45 फीसदी आपत्ति कैचमेंट और लैंडयूज से ही जुड़ी हुई पहुंची। गौरतलब है कि मास्टर प्लान के ड्राफ्ट पर आए 3005 आपत्ति और सुझावों पर इन दिनों सुनवाई हो रही है। उल्लेखनीय है कि राजधानी होने के बाद भी भोपाल का मास्टर प्लान का प्रारुप 18 साल बाद तैयार हो पाया है। फिलहाल इस मामले में दूसरे चरण की सुनवाई का आज अंतिम दिन है।
कर दी गई कलम की बाजीगरी
भोपाल मास्टर प्लान 2031 के प्रारूप में बड़े तालाब का जेडओआई यानी 7 संवेदनशील क्षेत्र ग्रामीण इलाके और शहरी इलाके में अलग-अलग निर्धारित कर दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्र में यह 250 मीटर है, जिसके कारण गांव में इस दायरे के अंदर बने गरीबों के घर अवैध हो गए। वहीं शहरी क्षेत्र में यह 50 मीटर प्रस्तावित किया गया है, इसका मतलब यह हुआ कि भोपाल शहर में 50 मीटर के बाहर वीआईपी और रसूखदारों के बने सभी निर्माण वैध हो गए हैं।
मास्टर प्लान के विवाद की तीन बड़ी वजह
लैंडयूज पर सैकड़ों आपत्तियां: लैंड यूज बड़े तालाब के कैचमेंट से ही है। कैचमेंट होने के जुड़ा कारण एक बड़े भाग में निर्माण की अनुमति नहीं मिल पा रही है, यहां सिर्फ कृषि की जा सकती है। लोग कैचमेंट के एरिए को कम करने के साथ ही इस लैंडयूज को रहवासी चेंज करवाना चाहते हैं, जिससे निर्माण में लगी पाबंदियां खत्म हो। लैंडयूज को लेकर 770 आपत्तियां लगी हैं। इसी तरह से बड़े तालाब के कैचमेंट से संबंधित करीब 600 आपत्तियां आई हैं। मुख्य वॉटर बॉडी यानी बड़े तालाब में शहरी क्षेत्र में जेडओआई 50 मीटर और उसकी सहायक नदी कोलांस में यह 100 मीटर से अधिक रखा गया है। इस दोहरे रवैये के खिलाफ लोगों ने आपत्ति लगाई हंै।
एफएआर को लेकर रसूखदार सक्रिय
एफएआर यानी फ्लोर एरिया रेशो, इसे लेकर करीब 394 आपत्तियां आई हैं। लो डेंसिटी एरिया में कई आईएएस और आईपीएस के बंगले हैं। वर्तमान मास्टर प्लान के अनुसार लो डेनसिटी एरिया में मात्र 0.06 एफएआर ही मान्य है, जबकि अफसरों ने तय एफएआर से ज्यादा निर्माण करवा लिया, इसे वैध कराने के लिए एफएआर का बढऩा जरूरी था, यह हुआ भी, लेकिन लोगों ने भर-भरकर आपत्तियां लगा दी, जिसके बाद इसे 0.06 ही रहने दिया गया, लेकिन अब इसे लेकर भी आपत्तियां लग गई है।
केरवा – कलियासोत में आलीशान कोठियां और फार्म हाउस
भोपाल के मास्टर प्लान प्रस्तावित संशोधन प्रस्ताव में बाघ भ्रमण क्षेत्र को पूर्व में 2005 की भोपाल विकास योजना में सार्वजनिक और अद्र्ध सार्वजनिक भूमि उपयोग के लिए रखा गया है। प्रस्तावित संशोधित मास्टर प्लान में इस क्षेत्र को 2021 के गजट नोटिफिकेशन के आधार पर 357 हेक्टेयर भूमि को संरक्षित वन घोषित किया गया। इसलिए प्रस्तावित प्लान के नक्शे में जंगल बढ़ा हुआ दिखता है। जहां पर लाल रंग दर्शाया गया है वहां निजी स्वामित्वों को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) ने परमीशन दी है, जो भूमि आज पीएसपी है। पूर्व में पीएसपी में न्यूनतम भूमि का कोई प्रावधान नहीं है एवं एफएआर 1.0 का किया गया है। यही कारण है कि बाघ भ्रमण और उसके आसपास के क्षेत्रों में न केवल शैक्षणिक संस्थान खड़े हो गए, बल्कि वहां रसूखदारों ने कई हेक्टेयर क्षेत्र में दर्जनों फार्म हाउस, रिसोर्ट, मनोरंजन केंद्र और आलाशीन कोठियां तान दी। बाघ भ्रमण क्षेत्र में केरवा, कलियासोत दामखेड़ा, चंदनपुरा, मेंडोरी, मेंडोरा, मदरबुल फार्म आदि क्षेत्र शामिल हैं। फिलहाल यहां 13 बाघ और उनके 9 शावकों का मूवमेंट है। इस क्षेत्र को भोपाल अर्बन टाइगर के नाम से पहचाना जाता है। यह देश का एकमात्र ऐसा शहरी इलाका है, जहां बाघ आता है।
बाघ भ्रमण क्षेत्र में सर्वाधिक निर्माण
वन्य प्राणी विशेषज्ञ, पर्यावरणविदों की चिंता चंदनपुरा के 712 हेक्टेयर क्षेत्र को लेकर है, जहां बाघों का मूवमेंट है और डीम्ड जंगल है। यहां तेजी से निर्माण कार्य हो रहे हैं। कई रसूखदारों ने टीएंडसीपी से अनुमति लेकर यहां कई एकड़ में दर्जनों फार्म हाउस, रिसोर्ट और कोठियां बना ली हैं। सूत्रों के मुताबिक, चंदानी ने पॉली हाउस, राकेश मलिक और राजेश पारदासानी ने खसरा क्रमांक 75/1 पर कोठियां बना लीं। एक शिक्षण संस्थान ने पहले चरण के निर्माण में वन संरक्षण अधिनियम 1980 का पालन किया, लेकिन दूसरे चरण में नहीं किया, दूसरे शिक्षण संस्थान ने तो कुछ भी पालन नहीं किया । अन्य रसूखदार इस परिपाटी को आगे बढ़ा रहे हैं।