कलेक्टर की कायल हुई कांग्रेस.
हमेशा प्रदेश सरकार के अफसरों को चेतावनी देने वाली कांग्रेस इन दिनों 2011 बैच के एक आईएएस अधिकारी पर इस कदर फिदा है कि पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि अगर प्रदेश में उनकी सरकार बनी तो उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। दरअसल, ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले में ये साहब कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं। दरअसल, साहब जिस जिले में पदस्थ हैं, वहां शासकीय जमीन पर हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के लोगों ने पट्टे करा लिए और भारी कीमत पर बेंच रहे है। इसकी भनक लगते ही कलेक्टर कुछ दिन पहले ही एक निजी इंजीनियर के छापा मारकर मनरेगा से संबंधित 61 पंचायतों के दस्तावेज जब्त किए थे। जिसमें खुलासा हुआ कि जिले में बहुसंख्या में सरकारी जमीन के पट्टे ऐसे लोगों को बांट दिए गए हैं ,जो प्रदेश के निवासी हैं ही नहीं। यह बात कांग्रेस को जंच गई है और वह साहब की कायल हो गई है।
फिल्मी स्टाइल में छापामारी
अक्सर फिल्मों में देखा जाता है कि बिना लाव-लश्कर के अफसर अपराधियों के बीच पहुंच जाते हैं और उनका काम तमाम कर देते हैं। लेकिन ऐसा हकीकत में भी होता है। यह दर्शा दिया है, ग्वालियर-चंबल अंचल के भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने। साहब जिस जिले में कलेक्टर हैं, वह अवैध खनन और माफियागिरी के कारण हमेशा चर्चा में रहता है। विगत दिनों साहब को खबर मिली कि नदी में पोकलेन मशीन से रेत निकाली जा रही है। इस सूचना पर कलेक्टर सादा कार (बिना हूटर और बत्ती) से ड्राइवर और गनर के साथ मौके पर पहुंच गए। कुछ लोगों ने साहब को पहचान लिया और वहां से फरार हो गए। उसके बाद साहब ने अमले को सूचना भेजी और उन्होंने आकर मशीनें और गाडिय़ां जब्त कीं।
बच्चों को मिली सौगात
अपने नवाचारों के लिए ख्यात 2011 बैच के एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी ने निमाड़ क्षेत्र के नीमच जिले की जब से दिनेश जैन ने कलेक्टरी संभाली है, वहां के लोगों की उम्मीदें पूरी होने लगी हैं। इसी क्रम में साहब ने गत दिनों मूक बधिर बच्चों के लिए ऑनलाइन स्मार्ट क्लास का शुभारंभ किया गया। बताया जाता है कि साहब को कहीं से सूचना मिली थी कि मूक बधिर बच्चों की पढ़ाई के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। फिर क्या था, साहब ने अपने नवाचारों की कड़ी में ऑनलाइन स्मार्ट क्लास की परिकल्पना को साकार करने का बीड़ा उठाया। अब बच्चे इस ऑनलाइन स्मार्ट क्लास के जरिए अपनी पढ़ाई को और बेहतर तरीके से कर पाएंगे। बच्चों को साइन लैंग्वेज के माध्यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा।
जाते-जाते साहब दिखा गए कमाल
अक्सर देखा जाता है कि जब भी कोई ब्यूरोक्रेट रिटायरमेंट के पास पहुंचता है तो वह अपना चाल, चेहरा और चरित्र इस तरह दर्शाने की कोशिश करता है कि उससे बड़ा सेवाभावी और ईमानदार कोई अफसर नहीं है। भले ही उन्होंने अपने पूरे सेवाकाल में भ्रष्टाचार की चादर ओढक़र जमकर कमाई की हो। लेकिन 1992 बैच के एक आईपीएस अधिकारी ने तो सारी मान्यता ही तोड़ दी। साहब एडिशनल डीजी के पद से रिटायर हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि रिटायरमेंट से पहले साहब ने राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा के लिए डीपीसी में शामिल अफसरों को जल्दी से डीपीसी कराने का सपना दिखाया और उनसे दो-दो लाख रुपए वसूल लिए। साहब ने पैसा तो ले लिया, लेकिन डीपीसी अपने समय पर हुई। अब साहब के रिटायरमेंट के बाद अफसर अपना मुंह खोल रहे हैं।
ऐसे भी होते हैं अफसर
कभी-कभी कुछ अफसर ऐसा कर जाते हैं, जिसकी हर ओर चर्चा होने लगती है। ऐसा ही कुछ मप्र पुलिस के मुखिया सुधीर सक्सेना ने किया है, जिसकी प्रदेश ही नहीं बल्कि, दूसरे राज्यों की प्रशासनिक वीथिका में चर्चा हो रही है और अफसर साहब के नवाचार को सराह रहे हैं। दरअसल, साहब ने पूरब से लेकर पश्चिम, उत्तर से लेकर दक्षिण तक मप्र मूल के जितने भी अफसर विभिन्न राज्यों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं, उन्हें आमंत्रित किया था। सूत्रों के अनुसार इसमें लगभग वे सभी अफसर आए थे, जो आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आईआरएस आदि के तहत देशभर में सेवाएं दे रहे हैं। इस आयोजन के पीछे एकमात्र उद्देश्य था एक-दूसरे से मेल-मिलाप करना। बताया जाता है कि इस दौरान अपने प्रदेश के अन्य कैडर के अफसरों से मिलकर हर कोई फूले नहीं समा रहा था। इसके लिए सभी ने साहब को धन्यवाद भी दिया।