नाराज नेताओं की अपनी-अपनी पार्टी को खुली चुनौती.
भोपाल/मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। मप्र की सियासत में शायद पहली बार टिकट को लेकर भाजपा और कांग्रेस में बड़े स्तर पर विद्रोह और बगावत देखने को मिल रही हैं। टिकट से वंचित नेता आर -पार की लड़ाई करने को बेताब है। कुछ दिन पहले तक जिस पार्टी को अपना माई-बाप कहते थकते नहीं थे , उससे ही आर पार की लड़ाई करते नजर आ रहे हैं। कुछ ने तो अपनी पार्टी का खुली चुनौती दे दी है कि इस बार चुनावी मैदान में हम भी खेलेंगे…नहीं तो पूरा खेल बिगाड़ देंगे।
कांग्रेस-भाजपा दोनों तरफ से टिकट को लेकर जिस तरह का घमासान मचा हुआ है उससे देशभर में मप्र चर्चा का विषय बना हुआ है।
आलम यह है कि असंतुष्ट दिग्गजों की बातों को भी नहीं मान रहे हैं। दोनों ही दलों में टिकट वितरण को लेकर उपजा असंतोष थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आमतौर पर हर बार विरोध के स्वर फूटते है, लेकिन वह प्याले में उठे तूफान की तरह होते है, लेकिन इस बार कई दावेदार आक्रामक तेवर अपनाएं हुए है। किसी ने खुली चुनौती दे दी है, तो कोई चुनाव लडऩे पर ही आमादा है। नाराज नेताओं ने प्रदेश भाजपा और कांग्रेस कार्यालय पहुंचकर ने केवल प्रदर्शन कर रहे हैं बल्कि प्रत्याशी बदलने की मांग भी की जा रही है। दोनों पार्टियों के 30 प्रत्याशियों के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है। इनमें भाजपा के 12 और कांग्रेस के 18 प्रत्याशियों का टिकट बदलने की मांग की जा रही है। कई जगह टिकट कटने से नाराज दावेदारों ने दूसरे दलों का हाथ थाम कर चुनाव में दो-दो हाथ करने का फैसला कर लिया है। इसके अलावा कुछ दावेदार अपने समर्थकों के जरिए पार्टी नेतृत्व पर टिकट बदलने का दबाव बना रहे हैं। इन्हें अभी भी उम्मीद है कि पार्टी कार्यकर्ताओं के मन की बात सुनकर सूची में फेरबदल कर सकती है। प्रत्याशियों के नामांकन की अंतिम तारीख 30 अक्टूबर है।
कमलनाथ के बंगले का घेराव
कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर मची कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश की करीब 47 सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है। 5 सीटों पर तो खुली बगावत हो रही है। सोमवार को भोपाल में कमलनाथ के बंगले पर शुजालपुर और होशंगाबाद विधानसभा क्षेत्र के नाराज कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। ये कार्यकर्ता प्रत्याशी बदले जाने की मांग कर रहे हैं। शुजालपुर (शाजापुर) से नाराज कार्यकर्ता तीन दिन में दूसरी बार भोपाल पहुंचे। जिन्होंने शुजालपुर सीट से कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी रामवीर सिंह का विरोध किया। प्रदर्शनकारी टिकट की दावेदारी कर रहे योगेंद्र सिंह बंटी बना के समर्थक हैं, जो उनके लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। होशंगाबाद (नर्मदापुरम) सीट से बड़ी संख्या में आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भोपाल में कमलनाथ के बंगले का घेराव किया। कार्यकर्ताओं ने भाजपा से आए गिरिजाशंकर शर्मा को टिकट देने पर नाराजगी जताई। प्रदर्शनकारी होशंगाबाद सीट से दावेदारी कर रहे चंद्रगोपाल मलैया के समर्थक है। चंद्रगोपाल मलैया होशंगाबाद सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन टिकट गिरिजाशंकर शर्मा को दे दिया गया।
भाजपा में 22 सीटों पर विरोध
भाजपा उम्मीदवारों की 5वीं लिस्ट जारी होने के बाद 22 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है। इनके अलावा 6 सीटों पर बगावत खुलकर सामने आई है। कार्यकर्ता नारेबाजी और पुतला दहन कर अपनी नाराजगी जता रहे हैं। पार्टी छोडऩे का सिलसिला भी जारी है। सोमवार को पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह ने भाजपा छोडक़र बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ज्वॉइन कर ली है। वे अपने बेटे राकेश सिंह के लिए मुरैना से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने यहां से रघुराज कंषाना को मौका दिया है। कंषाना 2018 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे। इसके बाद वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्हें उपचुनाव में कांग्रेस के राकेश मावई से हार का सामना करना पड़ा था। रुस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह मुरैना से बसपा प्रत्याशी हैं। भाजपा में टीकमगढ़, पवई, भोपाल दक्षिण पश्चिम, त्यौंथर, जबलपुर उत्तर, उज्जैन उत्तर, बुरहानपुर, जोबट, अलीराजपुर, काला पीपल, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, अटेर, रैगांव, नागौद, वारासिवनी, होशंगाबाद, भिंड, महू, मनावर, महेश्वर और देपालपुर पर प्रत्याशी का विरोध हो रहा है। इंदौर के पूर्व विधायक अश्विन जोशी भी तीन नंबर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना रहे है। सोमवार को उनके कार्यालय में 50 से ज्यादा समर्थक जोशी से मिले और निर्दलीय चुनाव लडऩे की मांग की। समर्थक इस बात से नाराज है कि जब इंदौर में सत्यनारायण पटेल को हारने के बाद टिकट दे दिया गया तो फिर जोशी का टिकट आखिर किस मापदंड के तहत काटा गया। वहीं पवई विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट बदलने के लिए पार्टी नेता संजय नगायच ने 5 दिन का अल्टीमेटम दिया है।
डैमेज कंट्रोल की तैयारी
गौरतलब है कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने सभी 230 तो भाजपा ने 228 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। प्रत्याशियों के चेहरे सामने आने के बाद अब चुनावी रण में संग्राम शुरू होगा। सूची सामने आने के बाद दोनों ही दलों के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती रूठों को मनाने को लेकर है। दोनों ही पार्टियां चाहती हैं कि बगावत की आग को जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी शांत कर दिया जाए ताकि डैमेज कंट्रोल किया जा सके। प्रत्याशियों की घोषणा से आक्रोशित दावेदार और उनके समर्थकों के हंगामे और प्रदर्शन की खबरें प्रदेशभर से अब भी आ रही हैं। कई जगह टिकट कटने से नाराज दावेदारों ने दूसरे दलों का हाथ थामकर चुनाव में दो-दो हाथ करने का फैसला कर लिया है। इसके अलावा कुछ दावेदार अपने समर्थकों के जरिए पार्टी नेतृत्व पर टिकट बदलने का दबाव बना रहे हैं।