मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। टिकट वितरण के बाद भाजपा में
मची बगावत के बवाल से पार्टी के रणनीतिकार भी हतप्रभ रह गए हैं। इस बीच पार्टी के पास पहुंची खबरों और सर्वे रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अगर समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया तो चुनाव में बड़ा नुकसान होना तय है। उधर, टिकट पाने वाले पार्टी के नेता भी अंसतुष्टों की वजह से हलकान बने हुए हैं। पार्टी के सर्वे और अन्य स्तरों से मिली जानकारी के बाद ही भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह को प्रदेश में तीन दिन तक रहकर बैठकों का दौर चलाना पड़ा है। इस दौरे के दौरान शाह उन प्रदेश के बड़े 14 नेताओं से पूरी तरह से नाराज दिखे , जिन्हें पार्टी ने असंतुष्ट नेताओं को मनाने का जिम्मा सौंपा था। अब सभी की निगाहें शाह के इस दौरे के परिणामों पर लगी हुई है। इसका पता दो दिन बाद चल जाएगा , जब प्रदेश में नाम वापसी का समय समाप्त हो जाएगा।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि शाह ने चुनाव की कमान संभाल रहे नेताओं से साफ कह दिया है कि किसी भी तरह से अपनों को निर्दलीय चुनाव लडऩे से रोकें। उन्होंने इस दौरे के दौरान अलग- अलग अंचलों का दौरा कर लगभग सभी विधानसभा सीटों के लिए पार्टी की तैयारी का पूरा फीडबैक लिया तो उन्होंने बागी बन रहे नेताओं से भी चर्चा कर उन्हें समझाइस दी है। इस दौरान उनके द्वारा चुनाव लड़ने के टिप्स भी दिए गए हैं। शाह ने बैठकों में अफसरों पर भी नजर रखने के लिए चेताया है। पार्टी सूत्रों की मानें तो शाह ने संभागीय बैठकों के दौरान चुनाव की जिम्मेदारी संभालने वाले नेताओं को साफ कर दिया है कि प्रत्याशी तय होने बाद पास जो गोपनीय और सर्वे की रिपोर्ट मिल रही हैं,उसके मुताबिक अगर पूरी ताकत के साथ मेहनत नहीं की गई तो सरकार बनना मुश्किल है। बैठक में शाह ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि जिन 14 नेताओं को असंतुष्टों को मनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। उसमें वे पूरी तरह से असफल साबित हुए हैं। इनमें से कुछ नेता तो चुनाव में प्रत्याशी बनाए गए हैं तो, दूसरे नेता नाराज कार्यकर्ताओं को समझ पाने में लगभग पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। यह स्थिति फिलहाल अच्छी नहीं है।
शाह खुद देख रहे हैं मप्र
प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है, जब विधानसभा चुनाव में खुद केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह इतने अधिक सक्रिय बने हुए हैं और उन्हें एक साथ कई- कई दिन तक प्रदेश में रुक कर अलग -अलग अंचलों में जाकर बैठक करनी पड़ी हो। दरअसल प्रदेश में पार्टी की स्थिति को देखते हुए स्वयं शाह ने प्रदेश की अप्रत्यक्ष रुप से चुनावी कमान सम्हाल रखी है। अब जैसे-जैसे मतदान का समय पास आ रहा है, शाह ने मध्यप्रदेश पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है। प्रदेश में टिकट बांटने के बाद जारी बगावत को रोकने का काम खुद शाह देख रहे हैं। जबलपुर हो या इंदौर, रीवा, ग्वालियर सभी अंचलों में शाह ने बैठक लेने के अलावा नाराज नेताओं को समझाने का काम किया है। उन्होंने युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धीरज पटैरिया, पूर्व मंत्री शरद जैन और पूर्व मंत्री रंजना बघेल से बातचीत की और उनसे पार्टी हित में नाराजगी छोडक़र काम करने को कहा। साथ ही इसके बदले में उन्हें उचित सम्मान देने का आश्वासन भी दिया। कुछ अन्य नेताओं के साथ भी शाह ने चर्चा की है। कुछ ऐसे ही प्रयास दूसरे अंचलों में भी किए गए है। इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने पार्टी पदाधिकारियों को जीत का मंत्र भी दिया और कुछ क्षेत्रों के उम्मीदवारों से वन टू वन चर्चा भी की। उन्होंने चुनाव में जीत के साथ पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने का मंत्र भी दिया।
भाजपा ने इन नेताओं को सौंपा था जिम्मा
पार्टी ने प्रदेश के जिन 14 नेताओं को नाराज नेताओं को समझाने का जिम्मा सौंपा था , उनमें नरेंद्र सिंह तोमर को इंदौर, भोपाल, सीहोर जिले का ,राकेश सिंह को नर्मदापुरम, बैतूल, मंडला जिले का ,प्रभात झा को खरगोन, बुरहानपुर, गोपाल भार्गव को छिंदवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, कैलाश विजयवर्गीय को जबलपुर, धार, रीवा, सतना का ,जयभान सिंह पवैया को उज्जैन, शाजापुर, देवास, माखन सिंह को गुना, शिवपुरी, श्योपुर, कृष्ण मुरारी मोघे को विदिशा, रायसेन, सागर, सत्यनारायण जटिया को रतलाम, मंदसौर, नीमच, फग्गन सिंह कुलस्ते को झाबुआ, अलीराजपुर, माया सिंह को राजगढ़, नरसिंहपुर, दतिया लाल सिंह आर्य को टीकमगढ़, कटनी, पन्ना, छतरपुर, सुधीर गुप्ता को ग्वालियर, भिंड, मुरैना और राजेन्द्र शुक्ल को सीधी, सिंगरौली, अनूपपुर, उमरिया, शहडोल जिला शामिल है। अहम बात यह है कि इनमें से अधिकांश नेता खुद चुनावी मैदान में हैं।
दी नसीहत
शाह ने कहा, सपा और बसपा के उम्मीदवारों की मदद करो, ये जितने मजबूत होंगे, उतना हमें फायदा होगा। यही कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा, अपने रूठे हुए फूफाओं (बीजेपी के बागी नेता) को मनाने की ज्यादा जरूरत नहीं है। शाह का कहना था कि अगर वो मान रहे हैं तो ठीक है, वरना आगे बढ़ो। फूफा अपने आप 10 तारीख (नवंबर) तक पार्टी का प्रचार करते हुए नजर आएंगे। अभी जो लोग पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ रहे हैं, उनसे जरूर संपर्क करें। उनको मनाने की कोशिश करें, जिससे वो अपना नाम वापस ले लें। अगर जरूरत हो तो मुझसे भी बात कराएं। शाह ने कहा, जिन लाभार्थियों को डबल इंजन की सरकार का लाभ मिला है, उनसे सीधे संपर्क करो। उनका वोट हर हालत में डले, इसके प्रयास करो। सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह जब सपा और बसपा के उम्मीदवारों को दाना पानी देने की बात कर रहे थे, उसी समय अशोक नगर के जिलाध्यक्ष ने कहा कि उनके यहां इन पार्टियों से जो उम्मीदवार खड़े हुए हैं, वे काफी पैसे वाले हैं। इस पर शाह ने दो टूक कहा, राजनीति में जो लोग पैसा कमा लेते हैं, वे खर्च नहीं करना चाहते हैं। इसलिए इस चक्कर में मत पड़ना कि वे पैसे वाले हैं तो उनकी मदद नहीं की जाए।