सरकार बनी तो वीडी होंगे सीएम मटेरियल!

मप्र में 6 दिन बाद मतदान होगा। भाजपा और कांग्रेस सहित


सभी पार्टियों ने चुनाव प्रचार में पूरा दम लगा रखा है। मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है। इस बार दोनों ही पार्टियों में कांटे की टक्कर है। ऐसे में इस बार प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी, यह तो 3 दिसंबर को ही पता चलेगा। लेकिन प्रदेशभर में चौपालों और लोगों के बीच भावी मुख्यमंत्री के नाम पर भी चर्चा हो रही है। प्रदेश में अगर कांग्रेस की सरकार जीती तो कमलनाथ का मुख्यमंत्री बनना तय है। लेकिन भाजपा में इस बार मुख्यमंत्री के दावेदारों की लंबी कतार है। इस कतार में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का नाम भी शामिल हो गया है।
दरअसल, 9 नवंबर को जब पीएम नरेंद्र मोदी बुंदेलखंड में चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे तो उन्होंने मंच पर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की पीठ थपथपाई। इसके बाद प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में भी यह चर्चा शुरू को गई है कि, अगर भाजपा जीतती है तो वीडी शर्मा भी सीएम मटेरियल होंगे। गौरतलब है की मप्र भाजपा के लिए अभी तक वीडी शर्मा भाग्यशाली साबित हुए हैं। उनके प्रदेश अध्यक्ष बनते ही भाजपा की सत्ता में वापसी हो गई थी। इसलिए सत्ता और संगठन में सभी उनको पसंद करते हैं।
ये नेता हैं सीएम के दावेदार
कई मंचों पर पार्टी ने साफ किया है कि मप्र का विधानसभा चुनाव डबल इंजन की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फेस पर लड़ा जा रहा है। लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि सीएम की कुर्सी का फैसला चुनाव जीतने के बाद ही होगा और इसमें आलाकमान की पसंद सर्वोच्च होगी। वर्तमान में सीएम की रेस में जिन नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं उनमें पहला तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ही है। उनके अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव और नरोत्तम मिश्रा का नाम शामिल है। वहीं अब इस कड़ी में वीडी शर्मा को भी शामिल कर लिया गया है।
अपने-अपने जाति और वर्ग के बड़े नेता
मप्र विधानसभा का चुनाव लड़ रहे, दिग्गजों की बात की जाए तो सभी अपने-अपने जाति और वर्ग के बड़े नेता हैं। पार्टी ने इन दिग्गज नेताओं के नाम पर मतदाताओं को साधने का कदम उठाया है। इसी वजह से फिर से सरकार बनने पर इनमें से किसी एक के अगला सीएम होने की अटकलों को हवा दी जा रही है। चुनाव मैदान में उतर चुके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल राज्य के सबसे बड़े वोटर ओबीसी वर्ग से आते है। अब पार्टी की रणनीति है कि ओबीसी वर्ग का वोटर इन दोनों नेताओं में अगले सीएम का प्रतिबिंब देखें और भाजपा के लिए वोट करे। इसी तरह विधायक बनने की राह पर चल पड़े केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद राकेश सिंह (क्षत्रिय) वहीं नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव (ब्राह्मण) सवर्ण वर्ग के नेता माने जाते हैं। मालवांचल के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गी को भी सवर्ण (वैश्य) वर्ग की कैटेगरी के हिसाब से चुनाव मैदान में उतर गया है। इन तीनों नेताओं के माध्यम से पार्टी मतदाताओं को यह संदेश पहुंचाना चाहती है कि, यदि उनका वोट भाजपा के पक्ष में जाता है तो उनके वर्ग का कोई नेता सीएम की कुर्सी पर बैठ सकता है। केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी वर्ग के बड़े नेता है। भाजपा ने इस बार उन्हें विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है। सत्ता में वापसी के लिए भाजपा के लिए तकरीबन 22 प्रतिशत आदिवासी वोट बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसी वजह से फग्गन सिंह कुलस्ते को भी आदिवासी वर्ग से अगले सीएम की दौड़ में शामिल बताया जा रहा है। प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए 47 सीटें तो सुरक्षित हैं। इसके अलावा 35 अन्य सीटों पर भी आदिवासी वोट निर्णायक स्थिति में हैं। इसी आधार पर भाजपा ने अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य को भी चुनाव मैदान में उतार दिया है। अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए आरक्षित 35 सीटें को ध्यान में रखकर पार्टी ने उनके चेहरे को आगे किया हैं। तकरीबन 22 प्रतिशत अनुसूचित जाति के वोटो को साधने के लिए लाल सिंह आर्य पार्टी का बड़ा चेहरा हो सकते हैं। वैसे, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव भी इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपना दावा ठोक चुके हैं। अब देखना होगा कि मतदाता सीएम फेस के लिए कोई एक नाम न होने से भ्रमित होगा अथवा अपनी जाति-वर्ग के नेता को सीएम की कुर्सी पर बैठने का सपना बुनते हुए 17 नवम्बर को वोट करेगा।
वीडी के मैनेजमेंट के सब कायल
मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल जहां सभी नेता विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा चुनावी बागडोर संभाले हुए हैं। अपने अब तक के कार्यकाल में शर्मा ने सत्ता और संगठन के बीच जिस तरह से समन्वय बनाकर काम किया है, उससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पूरी भाजपा उनके मैनेजमेंट की कायल है। दरअसल, वीडी शर्मा मप्र भाजपा के लिए शुभंकर तो साबित हुए ही हैं, उनकी छवि भी निर्विवाद है। सत्ता और संगठन के बीच जितना सामंजस्य मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा की जोड़ी के कार्यकाल में दिखा उतना पहले कभी नहीं दिखा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शर्मा ने फरवरी 2020 में पद संभाला था, उस समय भाजपा सत्ता में नहीं थी। करीब डेढ़ महीने बाद प्रदेश में सियासी उथल-पुथल के बाद भाजपा सत्तासीन हो गई। भाजपा विधानसभा चुनाव 2023 में भी जीत सुनिश्चित करने संगठन ऐप तैयार कर 65 हजार बूथों का डिजिटलाइजेशन किया है। इसके अलावा हर बूथ पर 10 फीसदी वोट शेयर बढ़ाने के जतन भी शुरू किए गए हैं।
दिग्गजों के चुनाव लडऩे से बना माहौल
प्रदेश में पिछले तीन चुनाव भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को सीएम फेस बनाकर लड़ा है। इस बार पार्टी ने सीएम फेस घोषित नहीं किया है। इससे अब सवाल उठने लगे हैं कि अगर भाजपा जीतती है तो, मप्र में कौन बनेगा मुख्यमंत्री? अगर देखा जाए तो आलाकमान ने किसी का नाम न लेते हुए मुकाबला ओपन फॉर आल कर दिया है। पार्टी ने जिन दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारा है, यदि उनकी सीएम की कुर्सी के लिए दावेदारी मानी जाए तो साफ संकेत है कि हर वर्ग को लगना चाहिए कि उनकी जाति का नेता इस कुर्सी पर बैठ सकता है। यहां बताते चले कि मप्र की 230 विधानसभा सीटों के लिए होने जा रहे चुनाव के लिए भाजपा ने जिन प्रत्याशियों को टिकट दिया है, उनमें तीन केंद्रीय मंत्री सहित 7 सांसदों और कई अन्य दिग्गज नेताओं को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी बुधनी सीट से उम्मीदवार बनाया है, लेकिन पार्टी ने उन्हें सीएम फेस प्रोजेक्ट करने से परहेज किया है। इसी वजह से अब पार्टी के भीतर और बाहर भी यह सवाल उठने लगा है कि 3 दिसंबर (मतगणना का दिन) के बाद कौन बनेगा मुख्यमंत्री?