अवैध कॉलोनी किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं: विजयवर्गीय.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने माना है कि एमपी में अवैध कॉलोनी डेवलप करने वालों का नेक्सस है। शहरों में अवैध कॉलोनी की समस्या है। उन्होंने कहा कि अगले तीन माह में वे नए कानून को अनुमति दे देंगे। उन्होंने सदन में कहा कि अवैध और अनाधिकृत अलग- अलग है। अनाधिकृत कॉलोनी में विकास कर रहे हैं, ताकि वे लोन ले सकें और उन्हें सुविधाएं मिल सके। भविष्य में अवैध कॉलोनी को रोकने कड़े कानून बनाने वाले हैं, उन्होंने कहा कि यदि बंधक प्लाट को बेचा तो बेचने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे, वैसे भी बंधक प्लाट की रजिस्ट्री नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि अवैध कॉलोनियों को रोकने के लिए राज्य सरकार कड़े कानून बना रही है, कानून बनाने के लिए अफसरों को निर्देश दे दिए गए हैं।
मप्र सरकार कर्ज की दलदल में पूरी तरह से डूबी: कमलनाथ
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एमपी सरकार के कर्ज को लेकर सियासी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि डॉ मोहन यादव सरकार ने प्रदेश को कर्ज के दलदल में डूबा दिया है। राज्य सरकार पर इस समय करीब पौने 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। यदि प्रति व्यक्ति कर्ज के लिहाज से देखें तो एक साल पहले मध्य प्रदेश के हर नागरिक पर 39 हजार रुपया कर्ज था, जो इस वर्ष बढक़र 45 हजार रुपया हो गया और मार्च 2025 तक 55 हजार रुपया प्रति व्यक्ति कर्ज हो जाएगा। राज्य सरकार की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च होता है। प्रदेश सरकार कि इसी कर्ज नीति का परिणाम है कि मध्य प्रदेश की जनता पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस सिलेंडर और बिजली सबसे ज्यादा महंगी कीमत पर खरीदती है। जनता जो टैक्स जमा करती है, उसका इस्तेमाल सरकार कर्ज का ब्याज चुकाने में कर रही है। इस भारी भरकम कर्ज का उपयोग जनता के कल्याण के बजाए ठेका और कमीशनराज में हो रहा है।
मंत्री को मिलने वाले वेतन- भत्ता नहीं लेंगे मंत्री काश्यप, सदन में घोषणा
एमएसएमई मंत्री चैतन्य कुमार कश्यप ने विधानसभा में गुरुवार को शून्यकाल के दौरान घोषणा की कि वह मंत्री के रूप में उन्हें मिलने वाले वेतन-भत्ता नहीं लेंगे। मंत्री को सरकार की तरफ से वेतन-भत्ते के रूप में करीब 1.50 लाख रुपए महीना मिलता है। उन्होंने कहा-उन्हें मिलने वाला वेतन-भत्ता वह राजकोष में समर्पण करेंगे। इस घोषणा से विधानसभा सदस्यों ने मेजें थपथपाकर कश्यप का स्वागत किया। इसके पहले भी कश्यप विधायक के रूप में मिलने वाले वेतन-भत्ता एक लाख दस हजार रुपए लेने से मना कर दिया था। वे एक रुपए वेतन पर ही विधायक के रूप में काम करते रहे हैं। काश्यप ने कहा-राष्ट: सेवा, समाज सेवा और जनसेवा करना ही उनके जीवन का ध्येय है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह राजनीति में आए हैं। उन्होंने कहा-वे किशोर अवस्था से ही समाज सेवा के कामों में अग्रसर है।
सीएस वीरा राणा के खिलाफ अवमानना चार्ज फ्रेम
हाईकोर्ट के कर्मचारियों के उच्च वेतनमान से जुड़े मामले में गुरुवार को सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव वीरा राणा वर्चुअल हाजिर हुई। कोर्ट जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ, इसलिए चार्ज फ्रेम करने पर 29 जुलाई को सुनवाई की व्यवस्था दे दी गई। इससे पहले छह वर्ष बाद भी आदेश का पालन नदारद होने पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई थी। मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ ने प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा को इस मामले में एक दिन पूर्व सरकार का मंतव्य स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि हाईकोर्ट कर्मचारी किशन पिल्लई सहित 109 कर्मचारियों ने याचिका दायर कर उच्च वेतनमान और भत्ते देने के लिए 2016 में याचिका दायर की थी। दरअसल वादी पक्ष के द्वारा इस मामले में हाईकोर्ट ने 2017 में राज्य शासन को आदेश जारी किए थे। पालन नहीं होने पर 2018 में अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई थी ।